हेल्थ इंश्योरेंस के बढ़ते प्रीमियम से हैं परेशान, ऐसे घटाएं बोझ, ये 2 तरीके होंगे फायदेमंद
आज के समय में स्वास्थ्य बीमा हर व्यक्ति की जरूरत बन गया है. साल 2023 के वित्तीय वर्ष में भारत में 55 करोड़ से ज्यादा लोग स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के दायरे में थे. ऐसे में अगर आपका स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम 30 फीसदी तक बढ़ गया है, तो यह आपके लिए चिंता का विषय हो सकता है. लेकिन घबराएं नहीं, कुछ आसान उपाय हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं. आइए इन ऑप्शन्स को समझते हैं.

Health Insurance: आज के समय में स्वास्थ्य बीमा हर व्यक्ति की जरूरत बन गया है. साल 2023 के वित्तीय वर्ष में भारत में 55 करोड़ से ज्यादा लोग स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के दायरे में थे. लेकिन ऐसी कई रिपोर्ट हैं, जिससे जाहिर हो रहा है कि लोग महंगे हेल्थ इंश्योरेंस से परेशान हैं. और प्रीमियम पेमेंट के लिए वह कई बार ईएमआई का सहारा ले रहे हैं. यही नहीं कई लोग तो अपना प्लान रिन्यू भी नहीं करा रहे हैं. आम तौर पर बीमा धारक का हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम 3-4 साल में बढ़ जाता है, और कई बार यह रकम 30 फीसदी तक बढ़ जाती है. इस स्थिति में क्या आप अपना प्रीमियम घटा सकते हैं. तो इसका जवाब हां में हैं. कई ऐसे विकल्प हैं जिसके जरिए आप ऐसा कर सकते हैं.
कैसे पड़ता है बोझ
उदाहरण के लिए, अगर आप सीनियर सिटीजन हैं और सिर्फ 2 लाख रुपये के कवर के लिए हर साल 50,000 रुपये से ज्यादा का प्रीमियम दे रहे हैं, तो यह बहुत भारी लग सकता है. लेकिन घबराएं नहीं, कुछ आसान उपाय हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं. आइए इन ऑप्शन्स को समझते हैं.
अगर आपका प्रीमियम बहुत ज्यादा बढ़ गया है, तो आप अपनी मौजूदा स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को किसी दूसरी बीमा कंपनी में ट्रांसफर कर सकते हैं. इसे पॉलिसी पोर्टिंग कहते हैं. भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) आपको यह सुविधा देता है कि आप अपनी पुरानी पॉलिसी के फायदों, जैसे पुरानी बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड को खोए बिना नई कंपनी में जा सकते हैं.
अब सवाल यह आता है कि कैसे करें पोर्टिंग?
इसके लिए आपको अपनी पॉलिसी खत्म होने से 45 दिन पहले पोर्टिंग की प्रक्रिया शुरू करनी होगी. नई बीमा कंपनी में पोर्टेबिलिटी और प्रपोजल फॉर्म भरें. अपनी सभी पुरानी और मौजूदा बीमारियों की जानकारी पूरी तरह से दें, ताकि बाद में कोई दिक्कत न हो. नई कंपनी चुनते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. इसमें कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो क्या है. आपके शहर में कंपनी के नेटवर्क हॉस्पिटल्स की संख्या कितनी है. नई पॉलिसी में मिलने वाले अतिरिक्त फायदे, जैसे रूम रेंट की सीमा या इलाज की अन्य शर्तें का भी ध्यान रखना चाहिए. पोर्टिंग से आप कम प्रीमियम वाली पॉलिसी चुन सकते हैं और अपने पुराने फायदों को भी बरकरार रख सकते हैं.
डिडक्टिबल आधारित प्लान चुनें
अगर आप प्रीमियम कम करना चाहते हैं, तो डिडक्टिबल आधारित स्वास्थ्य बीमा प्लान एक अच्छा विकल्प हो सकता है. इस तरह की पॉलिसी में आप कम कवर जैसे 2 या 3 लाख रुपये लेते हैं और क्लेम के समय एक निश्चित राशि अपनी जेब से देते हैं. इस राशि को डिडक्टिबल कहते हैं. उदाहरण के लिए, अगर आपका डिडक्टिबल 50,000 रुपये है, तो आपको पहले 50,000 रुपये खुद देने होंगे. उसके बाद बीमा कंपनी बाकी खर्च उठाएगी. इससे आपका सालाना प्रीमियम काफी कम हो सकता है. बड़े खर्चों जैसे ऑपरेशन या लंबे इलाज के लिए आपको सुरक्षा मिलती रहेगी. यह तरीका उन लोगों के लिए अच्छा है जो छोटे-मोटे खर्च खुद उठा सकते हैं, लेकिन बड़े मेडिकल खर्चों से बचना चाहते हैं.
अपने कवर की राशि की समीक्षा करें
आज के समय में मेडिकल खर्च बहुत बढ़ गए हैं. ऐसे में 2 लाख रुपये का कवर बहुत कम हो सकता है. अगर आप अपनी मौजूदा बीमा कंपनी के साथ ही रहना चाहते हैं, तो अपनी पॉलिसी की कवर राशि बढ़ाने पर विचार करें. कई बीमा कंपनियां पॉलिसी रिन्यूअल के समय कवर बढ़ाने की सुविधा देती हैं, लेकिन इसके लिए उनकी कुछ शर्तें (जैसे मेडिकल चेकअप) हो सकती हैं. उदाहरण के लिए, अगर आप 2 लाख के बजाय 5 लाख रुपये का कवर लेते हैं, तो प्रीमियम बढ़ेगा. लेकिन यह आपके लिए ज्यादा सुरक्षित होगा. मेडिकल इन्फ्लेशन को देखते हुए, बड़ा कवर लेना लंबे समय में फायदेमंद हो सकता है.
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