सिर्फ बीमारी का खर्च नहीं, बेहतर जीवन चाहिए? तो अपनी हेल्थ पॉलिसी को करें अपग्रेड

भारत में अब हेल्थ इंश्योरेंस सिर्फ बीमारी के इलाज तक सीमित नहीं रहा, बल्कि प्रिवेंटिव केयर और मानसिक स्वास्थ्य जैसी जरूरतों को भी कवर करना जरूरी हो गया है. कॉर्पोरेट बीमा सीमित होता है, इसलिए व्यक्तिगत हेल्थ पॉलिसी लेना समय की मांग है.यह पॉलिसी OPD, चेकअप, हेल्थ कोचिंग जैसे लाभ भी देती है.

भारत में अब हेल्थ इंश्योरेंस सिर्फ बीमारी के इलाज तक सीमित नहीं रहा. Image Credit: CANVA

मयंक बाथवाल | भारत में स्वास्थ्य सेवाएं तेजी से बदल रही हैं. जहां पहले बीमा का मतलब सिर्फ अस्पताल के खर्च का कवरेज होता था, अब लोग प्रिवेंटिव केयर और मेंटल हेल्थ को भी प्राथमिकता देने लगे हैं. आज भी ज्यादातर लोग सिर्फ अपने नियोक्ता द्वारा दी गई कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस पर निर्भर रहते हैं. हालांकि यह एक जरूरी कवच है, लेकिन यह सीमित कवरेज देता है और हर स्थिति के लिए पर्याप्त नहीं होता. बदलते समय के साथ यह जरूरी हो गया है कि लोग सिर्फ बीमारी के खर्च से बचने के लिए नहीं, बल्कि बेहतर और निरोग जीवन के लिए भी बीमा में निवेश करें.

कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस की लिमिट

कंपनियों द्वारा दी जाने वाली बीमा योजनाएं आमतौर पर सिर्फ अस्पताल में भर्ती होने के खर्च तक सीमित रहती हैं. ये योजनाएं मेडिकल इमरजेंसी में राहत तो देती हैं, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य, ओपीडी विजिट, और लाइफस्टाइल बीमारियों के इलाज को कवर नहीं करतीं. आज जब इलाज अस्पताल की दीवारों से बाहर निकल गया है, सिर्फ इस बीमा पर निर्भर रहना काफी नहीं है.

पर्सनल हेल्थ पॉलिसी क्यों जरूरी है

आज की स्वास्थ्य चुनौतियां सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं हैं. डायबिटीज, सांस की बीमारियां और मानसिक तनाव जैसी स्थितियों में लगातार देखभाल की जरूरत होती है. पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस आपको एनुअल हेल्थ चेकअप, ओपीडी खर्च, हेल्थ कोच और अल्टरनेटिव मेडिसिन जैसे लाभ भी देता है. यह आपको पूरी तरह से स्वस्थ रखने में मदद करता है.

अपनी जरूरतों के अनुसार बनाए पॉलिसी

हर व्यक्ति की स्वास्थ्य जरूरतें अलग होती हैं. कोई नवविवाहित दंपती मातृत्व कवर चाहता है तो बुजुर्ग व्यक्ति को बीमारी विशेष कोचिंग की जरूरत होती है. आज की हेल्थ पॉलिसियां इन जरूरतों के अनुसार कस्टमाइज की जा सकती हैं. टेक्नोलॉजी की मदद से अब टेलीकंसल्टेशन, डिजिटल क्लेम और AI आधारित सेवाएं भी मिल रही हैं.

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स्वास्थ्य बीमा को बनाइए सुरक्षा से आगे की सोच

कॉर्पोरेट बीमा बुरा नहीं है, लेकिन वह सीमित है. जैसे-जैसे जीवन में बदलाव आते हैं, हमारी स्वास्थ्य सुरक्षा की जरूरतें भी बदलती हैं. एक मजबूत वित्तीय योजना के लिए जरूरी है कि हम बेसिक कॉर्पोरेट पॉलिसी के साथ एक व्यक्तिगत और व्यापक हेल्थ इंश्योरेंस को भी शामिल करें. यह सिर्फ क्लेम भरने का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन को सुरक्षित और बेहतर बनाने का जरिया बन सकता है.

(लेखक आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस के सीईओ हैं. प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.)