क्या हमेशा के लिए फ्री नहीं रहेगा UPI? रिजर्व बैंक के गवर्नर ने दिया जवाब, कहा- उठाना होगा खर्च

Charge on UPI: सब्जी की दुकान से लेकर मॉल के आउटलेट तक नजर आ रहे क्यूआर कोड, ये बताने के लिए काफी हैं कि भारत में डिजिटल पेमेंट की क्रांति ने क्या कमाल किया है. लेकिन डिजिटल पेमेंट सिस्टम को लेकर लोगों के मन में अब एक सवाल उठने लगे हैं कि क्या उन्हें इसके लिए शुल्क का भी भुगतान करना होगा.

डिजिटल पेमेंट पर लगेगा चार्ज? Image Credit: Getty image

Charge on UPI: देश में डिजिटल पेमेंट का दायरा बहुत तेजी से बढ़ा है. लोग जमकर यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के जरिए भुगतान कर रहे हैं. सब्जी की दुकान से लेकर मॉल के आउटलेट तक नजर आ रहे क्यूआर कोड, ये बताने के लिए काफी हैं कि भारत में डिजिटल पेमेंट की क्रांति ने क्या कमाल किया है. लेकिन डिजिटल पेमेंट सिस्टम को लेकर लोगों के मन में अब एक सवाल उठने लगे हैं कि क्या उन्हें इसके लिए शुल्क का भी भुगतान करना होगा. क्योंकि हाल ही में खबर आई कि आईसीआईसीआई बैंक ने प्रोसेसिंग शुल्क लेना शुरू कर दिया है. इसको लेकर बुधवार को रिजर्व बैंक गवर्नर संजय मल्होत्रा से भी सवाल पूछा गया और उन्होंने जो जवाब दिया, वो यूपीआई के जरिए पेमेंट करने वालों को निराश कर सकता है.

हमेशा नहीं रह सकता फ्री

मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के बाद हुई हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में मल्होत्रा ने स्पष्ट कर दिया कि डिजिटल पेमेंट हमेशा फ्री नहीं रहने वाला है. संजय मल्होत्रा ने कहा कि मैंने कभी नहीं कहा कि यूपीआई हमेशा के लिए मुफ्त रह सकता है. मैंने बस इतना कहा था कि यूपीआई लेनदेन से जुड़ी लागतें हैं और किसी न किसी को उनका भुगतान करना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि अंततः किसी को डिजिटल पेमेंट सिस्टम को चलाने का खर्च उठाना ही होगा.

मॉडल की स्थिरता के लिए भुगतान जरूरी

मल्होत्रा ने कहा, ‘भुगतान कौन करता है यह महत्वपूर्ण है, लेकिन बिल का भुगतान कौन करता है, उससे कम महत्वपूर्ण यह है. इसलिए, इस मॉडल की स्थिरता के लिए यह महत्वपूर्ण है कि सामूहिक रूप से या व्यक्तिगत रूप से कोई भुगतान करे.’ मल्होत्रा की यह टिप्पणी UPI इकोसिस्टम में एक अहम बदलाव के बीच आई है.

आईसीआईसीआई बैंक ने लगाया शुल्क

ईटी वेल्थ ऑनलाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार, आईसीआईसीआई बैंक यूपीआई लेनदेन को संभालने वाले पेमेंट एग्रीगेटर्स (PA) के लिए औपचारिक रूप से प्रोसेसिंग शुल्क लागू करने वाला पहला बैंक बन गया है. यह शुल्क 1 अगस्त, 2025 से प्रभावी होगा. हालांकि बैंक ने आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

प्रति ट्रांजेक्शन फीस

रिपोर्ट के अनुसार, आईसीआईसीआई बैंक अपने एस्क्रो अकाउंट वाले पीए से 2 बेसिस प्वाइंट (प्रति 100 रुपये पर 0.02 रुपये) का शुल्क ले रहा है, जिसकी अधिकतम सीमा 6 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन है. आईसीआईसीआई में एस्क्रो खाते के बिना पीए के लिए, यह शुल्क 4 बेसिस प्वाइंट तक बढ़ जाता है, जिसकी अधिकतम सीमा 10 रुपये है. मर्चेंट के आईसीआईसीआई बैंक खाते के जरिए किए गए लेनदेन पर कोई शुल्क नहीं लगेगा.

फिलहाल जीरो मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) फ्रेमवर्क के कारण, न तो यूजर्स और न ही मर्चेंट को ये शुल्क वहन करने के लिए कहा जा रहा है.

आरबीआई गवर्नर ने स्वीकार किया कि मौजूदा सिस्टम पूरी तरह से सरकार द्वारा सब्सिडी प्राप्त है, तथा बैंकों और अन्य हितधारकों पर इतने बड़े पैमाने पर लेनदेन के लिए कोई प्रत्यक्ष लागत भार नहीं पड़ता है.

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