हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम और उम्र का सीधा है कनेक्शन, GST कटौती के बाद ऐसे सेलेक्ट करें बेस्ट प्लान
सही स्वास्थ्य बीमा न केवल आपके पैसे बचाता है, बल्कि आपको मानसिक शांति भी देता है. लेकिन हर व्यक्ति के लिए बीमा अलग होता है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आपकी उम्र के हिसाब से आपको कौन सा बीमा पर्फेक्ट होगा. आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और लोग आमतौर पर क्या गलतियां करते हैं. आइए विस्तार से जानते है.

Health Insurance: सही स्वास्थ्य बीमा न केवल आपके पैसे बचाता है, बल्कि आपको मानसिक शांति भी देता है. लेकिन हर व्यक्ति के लिए बीमा अलग होता है. 25 साल के व्यक्ति के लिए जो बीमा सही है, वह 50 या 60 साल के व्यक्ति के लिए ठीक नहीं हो सकता. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आपकी उम्र के हिसाब से आपको कौन सा बीमा पर्फेक्ट होगा. आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और लोग आमतौर पर क्या गलतियां करते हैं. आइए विस्तार से जानते है.
हाल ही में हुए GST रिफॉर्म में सभी पर्सनल लाइफ, हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस पॉलिसियों पर GST को पूरी तरह से हटा दिया है. अब तक इन पर 18 फीसदी की दर से टैक्स लगता था. अब यह टैक्स खत्म होने से बीमा पॉलिसियों की लागत सीधे घटेगी. इसे टर्म, ULIP, एंडोवमेंट और हेल्थ इंश्योरेंस के तहत फैमिली फ्लोटर पर भी लागू होगा.
उम्र क्यों मायने रखती है?
उम्र स्वास्थ्य बीमा की कीमत और कवरेज को प्रभावित करती है. अगर आप यंग हैं, तो बीमा कंपनी आपको कम जोखिम वाला मानती है, क्योंकि आपके बीमार होने की संभावना कम होती है. इसलिए, प्रीमियम कम होता है और बीमा लेना आसान होता है. लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, बीमारियों का खतरा बढ़ता है. इस वजह से प्रीमियम ज्यादा होता है.
हाल ही में डिजिट इंश्योरेंस की एक रिपोर्ट में पता चला कि 60 फीसदी से ज्यादा गंभीर बीमारी के दावे 40 साल से कम उम्र के लोगों ने किए. इससे समझ आता है कि कम उम्र में अच्छा बीमा लेना सस्ता ही नहीं, बल्कि जरूरी भी है. यह आपको भविष्य की स्वास्थ्य समस्याओं से बचाता है. उम्र के हिसाब से बीमा की जरूरतों को समझकर आप सही योजना चुन सकते हैं, जो हर उम्र में आपकी मदद करे.
20 और 30 की उम्र में क्या करें?
20 और 30 की उम्र में आप अपने करियर, कमाई और जीवनशैली पर ध्यान देते हैं. इस समय लिए गए फैसले आपके भविष्य को सुरक्षित करते हैं.
एक बेसिक बीमा पॉलिसी लें, जो अस्पताल में भर्ती, सर्जरी और आपातकालीन इलाज को कवर करे. कम उम्र में बीमा लेने से प्रीमियम कम रहता है और लंबे समय में पैसे बचते हैं. |
अगर आप शादी या बच्चे की योजना बना रहे हैं, तो मैटरनिटी और ओपीडी कवर जोड़ें. इनके लिए कुछ साल इंतजार करना पड़ता है, इसलिए पहले से लेना बेहतर है. |
कई बीमा योजनाएं हर साल या दो साल में मुफ्त स्वास्थ्य जांच देती हैं. ये जांच छोटी-मोटी बीमारियों को जल्दी पकड़ने में मदद करती हैं. |
अगर आप बीमा का दावा नहीं करते, तो कंपनी आपको बोनस देती है, जिससे आपकी बीमा राशि बढ़ जाती है. |
बीमा का प्रीमियम चुकाने पर आपको टैक्स में छूट मिलती है (इनकम टैक्स एक्ट, सेक्शन 80D). इससे पैसे बचते हैं और आप सुरक्षित भी रहते हैं. |
40 और 50 की उम्र में क्या करें?
40 और 50 की उम्र में आपकी कमाई बढ़ सकती है, लेकिन स्वास्थ्य समस्याएं और जिम्मेदारियां भी बढ़ती हैं. इस समय बीमा को और स्मार्ट तरीके से चुनना चाहिए. ऐसे में इन बातों का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है-
ऐसी पॉलिसी लें, जिसमें ज्यादा बीमा राशि हो. यह अस्पताल के खर्चे, सर्जरी और लंबे इलाज को कवर करे. टॉप-अप प्लान लेना सस्ता तरीका है, जिससे कम प्रीमियम में ज्यादा कवर मिलता है. |
इस उम्र में कैंसर, दिल की बीमारी या किडनी की समस्याएं हो सकती हैं. गंभीर बीमारी का कवर (राइडर) लें, जो बीमारी पकड़ने पर एकमुश्त राशि देता है. |
इमरजेंसी में समय बचाने के लिए कैशलेस इलाज देने वाली पॉलिसी चुनें. इससे आपको पहले पैसे नहीं देने पड़ते और इलाज जल्दी शुरू होता है. |
अगर आपको डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्या है, तो ऐसी पॉलिसी लें, जो इन्हें कवर करे. कम इंतजार अवधि वाली पॉलिसी चुनें. |
यह आपके परिवार की आर्थिक सुरक्षा के लिए है. अगर आपके साथ कुछ होता है, तो यह आपके परिवार को पैसे देता है. यह सस्ता और जरूरी है. |
60 साल के बाद क्या जरूरी है?
60 साल के बाद स्वास्थ्य बीमा का ध्यान आपकी पुरानी बीमारियों और बार-बार होने वाली मेडिकल जरूरतों पर होना चाहिए. इस समय बीमारियां ज्यादा और जटिल हो सकती हैं. जरूरी बातें:
60 साल से ऊपर के लिए खास बीमा योजनाएं होती हैं. ये उम्र से जुड़ी और पुरानी बीमारियों को कवर करती हैं और इंतजार अवधि कम होती है. |
कई इलाजों के लिए अस्पताल में रुकने की जरूरत नहीं होती, जैसे मोतियाबिंद सर्जरी या डायलिसिस. ऐसी पॉलिसी लें, जो डेकेयर और घर पर इलाज को कवर करे. |
ऐसी पॉलिसी लें, जो हमेशा रिन्यू हो सके, चाहे आपकी उम्र कितनी भी हो. साथ ही, ज्यादा उम्र में भी पॉलिसी लेने की सुविधा हो (75-80 साल तक). |
इस उम्र में डायबिटीज, गठिया या दिल की बीमारियां आम हैं. कम इंतजार अवधि (1-2 साल) वाली पॉलिसी चुनें, जो इन बीमारियों को कवर करे. |
लोग कौन सी गलतियां करते हैं?
- बीमा लेने में देरी: कई लोग सोचते हैं कि जवानी में बीमा की जरूरत नहीं. इससे बाद में प्रीमियम ज्यादा देना पड़ता है और पुरानी बीमारियों के कारण दावे खारिज हो सकते हैं.
- कम कवर लेना: सस्ता प्रीमियम देखकर लोग कम कवर वाली पॉलिसी ले लेते हैं. लेकिन जैसे-जैसे खर्चे बढ़ते हैं, यह कवर नाकाफी होता है.
- अतिरिक्त कवर न लेना: मैटरनिटी, गंभीर बीमारी या ओपीडी जैसे कवर छोड़ने से बाद में जेब से ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं.
- पॉलिसी की समीक्षा न करना: शादी, बच्चे या माता-पिता की देखभाल जैसे बदलावों के बाद पॉलिसी को अपडेट करना जरूरी है.
- 60 के बाद गलत पॉलिसी: इस उम्र में रिटर्न देने वाली पॉलिसी (जैसे ULIP) लेना गलत है. सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए.
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