शुगर पेशेंट हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त न करें ये गलती, चुकानी पड़ सकती है बड़ी कीमत!
डायबिटीज पेशेंट्स को हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त कवर के अलावा दूसरी चीजों पर भी ध्यान देना चाहिए!

पिछले साल यानी 2023 में यूके मेडिकल जर्नल ‘लैंसेट’ में आईसीएमआर की एक अध्ययन प्रकाशित हुई थी. अध्ययन में शामिल आंकड़ों के अनुसार भारत में 101 मिलियन (तकरीबन 10 करोड़) लोग डायबिटीज पेशेंट हैं. नंबर काफी बड़ा है. इससे छुटकारा कैसे पाना है, ये बात तो डॉक्टर बताएंगे लेकिन इसमें आने वाले तमाम खर्चे को बचाने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान से जुड़ी जानकारियां हम देंगे. अक्सर लोग मोटर इंश्योरेंस, टर्म इंश्योरेंस, अब तो मोबाइल से लेकर टीवी तक के इंश्योरेंस लेने लगे हैं. डायबिटीज को ध्यान में रखकर हेल्थ इंश्योरेंस लेना आपको लाभ पहुंचा सकता है. हम बताएंगे कि डायबिटीज पेशेंट्स को आखिर क्या देखकर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेना चाहिए.
इंश्योरेंस खरीदते वक्त डायबिटीज को दिमाग में जरूर रखें
डायबिटीज पेशेंट्स के लिए केवल पॉलिसी कवर ही मायने नहीं रखती है. उन्हें दूसरे कई कवर वाले फैक्टर्स पर भी नजर रखनी चाहिए. कवर जिसमें इंसूलिन, डायबिटीज से जुड़ी दवाइयां, अस्पताल के रेग्यूलर चेक-अप्स शामिल हों. अगर आपका प्लान डायबिटीज के इन फैक्टर्स को कवर नहीं करता तब कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस प्लान आपके काम आ सकता है. कॉम्प्रिहेंसिव प्लान यानी वो प्लान्स जिसमें कई मेडिकल कंडिशन्स शामिल होती हैं. जैसे अस्पताल में स्टे, डॉक्टर विजिट्स, एमबुलेंस के खर्चे, आदि.
हेल्थ प्लान्स खरीदते वक्त प्रीमियम अमाउंट का रखें ख्याल
कई बार कम प्रीमियम वाले हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े डायबिटीज प्लान्स में वेटिंग पीरियड 24 से 48 महीने तक की होती है. इससे इंश्योरेंस होल्डर को नुकसान होता है. दरअसल प्रीमियम भरने की तारीख से लेकर अगले 24 से 48 महीने के बीच में अगर इंश्योरेंस होल्डर को डायबिटीज की वजह से हेल्थ से जुड़ी कोई दूसरी बीमारी होती है तब उसे कवर मिलने में बताए गए वेटिंग पीरियड तक इंतेजार करना पड़ सकता है. वहीं कुछ दूसरे प्लान्स भी होते हैं जिसमें वेटिंग पीरियड नहींं होती है, यानी इंश्योरेंस खरीदने की तारीख से ही आपको सभी कवर मिलने लगते हैं. ऐसी परिस्थिति में इंश्योरेंस खरीदने से पहले इंश्योरेंस होल्डर को पॉलिसी से जुड़ी बारीकियों को जरूर पढ़ना चाहिए.
दूसरी पॉलिसी और बीमा कंपनियों से तुलना करना है जरूरी
इंश्योरेंस खरीदते वक्त कभी भी किसी एक इंश्योरेंस प्लान को देखकर फैसला नहीं करना चाहिए. हो सकता है दूसरे इंश्योरेंस प्लान में आपको डायबिटीज के कवर या प्रीमियम से जुड़े बेहतर फायदे मिलें. इसीलिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वालों को हमेशा दूसरे प्रोवाइडर्स के साथ अपने प्लान की तुलना करनी चाहिए ताकि सबसे बेहतर प्लान का फायदा उन्हें को मिल सके.
एप्लिकेशन प्रोसेस भी है महत्वपूर्ण
आपके जरूरत के प्लान का चुनाव करना ही काफी नहीं है, इसके साथ आपको एप्लिकेशन प्रोसेस से भी सावधानी से गुजरना होगा. आपके पुराने मेडिकल हिस्ट्री से लेकर वर्तमान में चल रहे इलाज तक को डॉक्यूमेंटेशन में शामिल करना जरूरी है. अगर आप कोई भी बीमारी या मेडिकल कंडीशन छिपाते हैं तो बीमा कंपनी आपके क्लेम को खारिज भी कर सकती है.
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