Reliance General Insurance पर IRDAI की सख्ती, एक करोड़ रुपये का जुर्माना, जानें क्या है पूरा मामला

यह जुर्माना बीमा अधिनियम 1938 की धारा 102 के तहत लगाया गया है. इसमें बीमा ब्रोकर नियम 2018, एजेंट और बिचौलियों को कमीशन भुगतान से जुडे़ नियम 2016, आउटसोर्सिंग नियम 2017 और बीमा कंपनियों के लिए कॉरपोरेट गवर्नेंस दिशानिर्देशों के उल्लंघन का हवाला दिया गया है.

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शेयर बाजार से जुड़ी बीमा कंपनी Reliance General Insurance पर रेगुलेटर की सख्ती देखने को मिली है. भारतीय बीमा रेगुलेटर और विकास प्राधिकरण यानी IRDAI ने कंपनी पर नियमों के उल्लंघन के चलते एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. यह कार्रवाई बीमा बिचौलियों, कामों की आउटसोर्सिंग और कॉरपोरेट गवर्नेंस से जुडे़ नियमों के उल्लंघन को लेकर की गई है.

रिमोट निरीक्षण के बाद शुरू हुई कार्रवाई

IRDAI ने दिसंबर 2021 में 27 से 31 तारीख के बीच रिलायंस जनरल इंश्योरेंस का रिमोट निरीक्षण किया था. इसी निरीक्षण के आधार पर रेगुलेटर ने 29 नवंबर 2024 को कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया. कंपनी ने जनवरी 2025 में अपना जवाब दाखिल किया और 5 मार्च 2025 को हुई व्यक्तिगत सुनवाई में भी अपनी बात रखी.

नियमों के खिलाफ भुगतान का खुलासा

IRDAI के 26 दिसंबर 2025 के आदेश में कहा गया कि जांच के दौरान कई ऐसे भुगतान सामने आए जो नियमों के मुताबिक नहीं थे. इनमें बीमा ब्रोकरों से जुड़ी संबंधित पार्टियों, किसी दूसरी बीमा कंपनी से जुडे़ व्यक्तिगत एजेंट, बिना लाइसेंस वाली संस्था और कुछ कॉरपोरेट एजेंटों को किए गए भुगतान शामिल हैं.

आउटसोर्सिंग को विज्ञापन बताने का आरोप

रेगुलेटर के मुताबिक कंपनी ने कई गतिविधियों को विज्ञापन और उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम बताकर दिखाया, जबकि IRDAI ने इन्हें आउटसोर्सिंग के दायरे में माना. जांच में यह भी पाया गया कि कंपनी ने कई मामलों में जरूरी जांच पड़ताल, लागत और लाभ का आकलन, हितों के टकराव की जांच और आउटसोर्सिंग समिति की मंजूरी नहीं ली.

रेगुलेटर रिपोर्टिंग में गडबड़ी

IRDAI ने यह भी कहा कि कुछ भुगतान तय सीमा से ज्यादा होने के बावजूद आउटसोर्सिंग रिटर्न में नहीं दिखाए गए, जिससे रेगुलेटरी जांच से बचने की कोशिश हुई. रेगुलेटर का मानना है कि कुछ भुगतान असल में अनधिकृत या अतिरिक्त कमीशन थे, जिन्हें मार्केटिंग या जागरूकता खर्च बताकर छुपाया गया.

किन नियमों के तहत लगा जुर्माना

यह जुर्माना बीमा अधिनियम 1938 की धारा 102 के तहत लगाया गया है. इसमें बीमा ब्रोकर नियम 2018, एजेंट और बिचौलियों को कमीशन भुगतान से जुडे़ नियम 2016, आउटसोर्सिंग नियम 2017 और बीमा कंपनियों के लिए कॉरपोरेट गवर्नेंस दिशानिर्देशों के उल्लंघन का हवाला दिया गया है.

कंपनी को दिया निर्देश

IRDAI ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस को आदेश दिया है कि वह आदेश मिलने के 45 दिनों के भीतर जुर्माने की राशि जमा करे. साथ ही इस आदेश को बोर्ड के सामने रखा जाए और 90 दिनों के भीतर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी रेगुलेटर को सौंपी जाए. कंपनी के पास इस आदेश के खिलाफ बीमा अधिनियम के तहत सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील करने का विकल्प भी मौजूद है.