थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस हो सकता है महंगा, 25 फीसदी तक बढ़ सकता है प्रीमियम
Third party motor Insurance: मोटर वाहन अधिनियम के तहत अनिवार्य मोटर थर्ड पार्टी इंश्योरेंस, बीमित वाहनों से जुड़ी दुर्घटनाओं में होने वाली थर्ड पार्टी देनदारियों को कवर करता है. वित्त वर्ष 2025 में थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में कुल मोटर बीमा प्रीमियम का लगभग 60 फीसदी हिस्सा शामिल था.

Third party motor Insurance: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ((MoRTH) इंश्योरेंस रेगुलेटरी एवं डेवलपेमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) की सिफारिशों के बाद मोटर थर्ड पार्टी (TP) इंश्योरेंस प्रीमियम बढ़ाने के प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा है. प्रस्ताव में 18 फीसदी की औसत वृद्धि का सुझाव दिया गया है, जिसमें कम से कम एक वाहन कैटेगरी के लिए 20-25 फीसदी की भारी बढ़ोतरी शामिल है. CNBC-TV18 की रिपोर्ट के अनुसार, अगले 2-3 सप्ताह में अंतिम निर्णय की उम्मीद है, जिसके बाद स्टैंडर्ड रेगुलेटरी प्रैक्टिस के अनुसार, सार्वजनिक परामर्श के लिए एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी की जा सकती है.
घाटे का सामना कर रहा सेक्टर
मोटर वाहन अधिनियम के तहत अनिवार्य मोटर थर्ड पार्टी इंश्योरेंस, बीमित वाहनों से जुड़ी दुर्घटनाओं में होने वाली थर्ड पार्टी देनदारियों को कवर करता है. इसके महत्व के बावजूद, थर्ड पार्टी प्रीमियम में चार साल से बदलाव नहीं हुआ है. जबकि बीमाकर्ता इस सेक्टर में बढ़ते घाटे का सामना कर रहे हैं. चिकित्सा लागत में वृद्धि, न्यायालय द्वारा दिए गए समझौतों और भारतीय सड़कों पर वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण उद्योग तनाव में है.
सूत्रों के अनुसार, लॉस रेश्यो क्लेम के रूप में भुगतान किए गए प्रीमियम का प्रतिशत, हाल के वर्षों में चिंताजनक रूप से हाई बना हुआ है.
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का हिस्सा
वित्त वर्ष 2025 में थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में कुल मोटर बीमा प्रीमियम का लगभग 60 फीसदी हिस्सा शामिल था और सामान्य बीमा उद्योग की कुल प्रीमियम आय में इसका योगदान 19 फीसदी था. इस पर्याप्त हिस्से को देखते हुए, विश्लेषकों का मानना है कि 20 फीसदी की बढ़ोतरी से सेक्टर के ज्वाइंट रेश्यो- अंडरराइटिंग प्रॉफिट का एक प्रमुख उपाय है, जिसे अनुमानित 4-5 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है.
लंबे समय से नहीं बढ़ा है प्रीमियम
रिपोर्ट के अनुसार, उद्योग विशेषज्ञ लंबे समय से थर्ड पार्टी इंश्योरेंस दरों में नियमित रूप से ऊपर की ओर बदलाव की वकालत करते रहे हैं ताकि बढ़ती चिकित्सा लागत, अदालत द्वारा दिए गए क्लेम और सड़कों पर वाहनों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखा जा सके. आखिरी बदलाव 2021 में किया गया था और तब से बढ़ोतरी पर रोक ने सामान्य बीमा कंपनियों के अंडरराइटिंग मार्जिन को प्रभावित किया है.
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