फर्राटे भरता GMP नहीं दिखाता लिस्टिंग की असली तस्वीर, जानें ग्रो से लेकर लेंसकार्ट तक कैसे हुए फेल
आईपीओ बाजार में ग्रे मार्केट प्रीमियम यानी जीएमपी पर भरोसा अक्सर निवेशकों के लिए महंगा साबित हो रहा है. हाल में लिस्ट हुए कई आईपीओ ने दिखाया है कि ऊंचे जीएमपी के बावजूद लिस्टिंग कमजोर रही. कुछ शेयर तो इश्यू प्राइस से नीचे भी खुले. यह साबित करता है कि लिस्टिंग गेन का यह संकेतक आपको हमेशा मुनाफा नहीं करा सकता है. कई बार लिस्टिंग जीएमपी से भी कमजोर रहा है.
Listing Gain after GMP: IPO बाजार में कुछ निवेशक सिर्फ लिस्टिंग गेन से मुनाफा कमाते हैं. वे ज्यादा समय तक उस स्टॉक में नहीं बने रहते. ऐसे निवेशक अक्सर ग्रे मार्केट प्रीमियर (GMP) को ही अपना मुख्य संकेतक मान लेते हैं. कई बार यह तरीका काम कर जाता है और उन्हें अच्छा रिटर्न मिल जाता है. लेकिन हाल के कुछ आईपीओ ने दिखा दिया है कि जीएमपी पर अंधा भरोसा कई बार नुकसान का कारण भी बन सकता है. क्योंकि लिस्टिंग का भाव हमेशा जीएमपी के अनुसार नहीं, बल्कि कई बार उससे बहुत कम या बिल्कुल अलग होता है.
एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया के आईपीओ में निवेशकों दिलचस्पी दिखी थी. इस आईपीओ को 54 गुना सब्सक्रिप्शन मिला और इसने 50 फीसदी के प्रीमियम पर लिस्टिंग हासिल की. इस तरह के मुनाफे ने और निवेशकों को आकर्षित किया है. एलजी के बाद आए रुबिकॉन रिसर्च, मिडवेस्ट लिमिटेड और स्टड्स एक्सेसरीज जैसे आईपीओ को भी जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली. लेकिन ऊंची सब्सक्रिप्शन के बावजूद, इन आईपीओ की लिस्टिंग ने निवेशकों के उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
GMP एक भरोसेमंद संकेतक क्यों नहीं है?
हाल में लिस्ट हुए कई कंपनियों ने दिखाया है कि जीएमपी लिस्टिंग गेन का सही संकेत देने में कई बार असफल रहा है. ऊंचे जीएमपी के बावजूद कंपनियों की लिस्टिंग कमजोर रही या फिर इश्यू प्राइस से नीचे हुई. हालांकि अधिकांश केस में ये देखा गया है कि लिस्टिंग जीएमपी से मिले अनुमान से भी अधिक रहा है.
CASE 1 – जीएमपी से बेहतर लिस्टिंग
ग्रो और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया के आईपीओ ने ग्रे मार्केट की उम्मीदों को पीछे छोड़ दिया. ग्रो के शेयर का जीएमपी सिर्फ 3 रुपये था लेकिन इसने 12 फीसदी के गेन के साथ लिस्टिंग की. एलजी ने जीएमपी से ज्यादा 50 फीसदी का शानदार डेब्यू किया और निवेशकों को एक शेयर पर 600 रुपये से अधिक का मुनाफा कराया था.
CASE 2 – जीएमपी के मुकाबले कमजोर लिस्टिंग
एनएसडीएल, ओर्कला इंडिया और टाटा कैपिटल जैसे आईपीओ की लिस्टिंग जीएमपी के मुकाबले काफी कमजोर रही. उदाहरण के लिए, टाटा कैपिटल के जीएमपी ने 6 फीसदी से ज्यादा गेन का संकेत दिया था लेकिन शेयर सिर्फ 1.2 फीसदी के प्रीमियम पर ही लिस्ट हुआ.
CASE 3 – हाई जीएमपी लेकिन खराब लिस्टिंग
लेंसकार्ट सॉल्यूशंस और स्टड्स एक्सेसरीज के मामले में तो स्थिति और खराब रही. इनके शेयरों का जीएमपी ऊंचा था, लेकिन ये अपने इश्यू प्राइस से भी नीचे लिस्ट हुए. यानी इससे निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा.
| कंपनी | GMP | लिस्टिंग डे |
|---|---|---|
| Groww | ₹3 प्रति शेयर | ▲ 12% लाभ |
| LG Electronics India | ₹430 प्रति शेयर | ▲ 50% लाभ |
| NSDL | ₹125 प्रति शेयर | ▲ 10% लाभ |
| Orkla India | ₹66 प्रति शेयर | ▲ 2.7% लाभ |
| Tata Capital | ₹12.5 प्रति शेयर | ▲ 1.2% लाभ |
| Lenskart Solutions | ₹10 प्रति शेयर | ▼ 1.7% नीचे |
| Studds Accessories | ₹35 प्रति शेयर | ▼ 3.4% नीचे |
आईपीओ लिस्टिंग प्राइस कैसे तय होता है?
लिस्टिंग के दिन, स्टॉक एक्सचेंज सुबह 9 बजे से 10 बजे तक एक विशेष प्री-ओपन ट्रेडिंग सेशन आयोजित करते हैं. इस सेशन के पहले 45 मिनट में एक्सचेंज सभी खरीद और बिक्री के आर्डर इकट्ठा करते हैं. इन आर्डर के आधार पर ही लिस्टिंग प्राइस तय किया जाता है. यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और नियमित होती है.
निवेशकों के लिए सबक
ग्रे मार्केट प्रीमियम (जीएमपी) निवेशकों के मूड का एक संकेत दे सकता है, लेकिन यह आईपीओ लिस्टिंग गेन का भरोसेमंद संकेतक नहीं है. बाजार की स्थिति, निवेशकों की मांग और कंपनी के फंडामेंटल्स लिस्टिंग गेन के बारे में जानने के लिए ज्यादा अहम भूमिका निभाते हैं. इसलिए निवेशकों को जीएमपी का इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए और निवेश से पहले ठोस रिसर्च पर ध्यान देना चाहिए.
डिस्क्लेमर: इस खबर में GMP से संबंधित जानकारी दी गई है. मनी9लाइव का GMP तय करने से कोई संबंध नहीं है. मनी9लाइव निवेशकों को यह भी सचेत करता है कि केवल जीएमपी के आधार पर निवेश पर फैसला नहीं करें. निवेश से पहले कंपनी के फंडामेंटल जरूर देखें और एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.