Hyundai IPO : दूसरे दिन भी बैलगाड़ी की रफ्तार से चला सब्सक्रिप्शन, जानें किन चार कारणों से फेल साबित हुआ

Hyundai Motor ने जब से देश के सबसे बड़े IPO का एलान किया यह लगातार सुर्खिया में है. ऑफिशियल लॉन्च से पहले इसका ग्रे मार्केट प्राइस आसमान छू रहा था. लेकिन, लॉन्चिंग से ठीक पहले यह धूल चाटने लगा. अब हाल यह है सब्सक्रिप्शन के लिए खुले दो दिन हो चुके हैं, लेकिन 100% भी सब्सक्रिप्शन नहीं हो पाया है. दूसरे दिन तक यह महज 42% सब्सक्राइब हुआ है. जानें किन कारणों से यह फेल हुआ है.

आईपीओ Image Credit: DEV IMAGES/Moment/Getty Images

हुंडई मोटर्स की भारतीय बाजार में 22 अक्टूबर को लिस्टिंग होनी है. 27,870.16 करोड़ रुपये के पब्लिक इश्यू को 16 अक्टूबर को सब्सक्रिप्शन के लिए खुले दो दिन हो गए. लेकिन, दूसरे दिन भी इस आईपीओ 100% सब्सक्राइब नहीं हुआ. सबसे ज्यादा सब्सक्रिप्शन फिलहाल क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (क्यूआईबी) के लिए रिजर्व हिस्से में 58% हुआ है. वहीं, नॉन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स के लिए रिजर्व हिस्सा 26% और रिटेल इनवेस्टर्स के लिए रिजर्व हिस्सा 38% सब्सक्राइब हुआ है. इसके अलावा कर्मचारियों के लिए रिजर्व हिस्से को 123% सब्स​क्रिप्शन मिला चुका है. कंपनी ने 1865-1960 रुपये के प्राइसबैंड में 14.22 करोड़ शेयर बेचने का प्रस्ताव रखा है. लॉट साइज 7 शेयर का रखा गया है.

अब तक कंपनी एंकर इनवेस्टर्स से 8,315 करोड़ रुपये जुटा चुकी है. कंपनी के आईपीओ का प्रबंधन कोटक महिंद्रा कैपिटल कंपनी लिमिटेड, सिटीग्रुप ग्लोबल मार्केट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, एचएसबीसी सिक्योरिटीज एंड कैपिटल मार्केट्स प्राइवेट लिमिटेड, जेपी मॉर्गन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और मॉर्गन स्टेनली इंडिया कंपनी प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से किया जा रहा है. वहीं, केफिन टेक्नोलोजिज लिमिटेड इस इश्यू के लिए रजिस्ट्रार के तौर पर काम कर रही है. ग्रे मार्केट में फिलहाल कंपनी के शेयर अपर प्राइस बैंड 1960 रुपये से 63 रुपये यानी 3.21% के प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे हैं. इस आधार पर माना जा रहा है कि शेयरों की लिस्टिंग 2023 रुपये के भाव पर हो सकती है

इन चार कारणों से पिट रहा आईपीओ

सबके दिमाग में यह सवाल है कि हुंडई जैसी कंपनी, जो निवेश के लिए तमाम पैमानों पर खरी उतरती है, उसका आईपीओ इतनी बुरी तरह क्यों पिट रहा है. फिलहाल, मोटे तौर पर 4 बड़े कारण सामने आ रहे हैं, जिनकी वजह से हर छोटे-बड़े आईपीओ में सब्सक्रिप्शन के लिए दौड़ लगाने वाले निवेशका हुंडई को लेकर उत्साहित नहीं हैं.

ज्यादा कीमत

निवेशकों की धारणा के मुताबिक आईपीओ की कीमत बहुत ज्यादा रखी गई है. इससे निवेशकों को लग रहा है कि लिस्टिंग के बाद शेयर की कीमतों में अगर कमी आई, तो इसकी खरीदारी की जाएगी.

आकांक्षा समझने में नाकाम

हुंडई मोटर इंडिया ने आईपीओ के लिए भारतीय निवेशकों की अपेक्षाओं को कम करके आंका है, खासकर तेजी के बाजार में बहुत ज्यादा हाई वैल्युएशन की उम्मीद हुंडई के लिए भारी पड़ती दिख रही है.

मुनाफा वसूली पर जोर

निवेशकों ने जब कंपनी की बैलेंस शीट पर नजर डाली, तो यह बात काफी खटकी कि कंपनी अपने प्रॉफिट का मोटा हिस्सा दक्षिण कोरिया स्थित अपनी मूल कंपनी को दे रही है. इससे निवेशकों के मन मे शंका आई कि कंपनी भारत में अपना व्यापार बढ़ाने से ज्यादा यहां से मुनाफा वसूलने पर फोकस्ड है.

केंद्र में कोरिया

मोटे तौर पर हुंडई का आईपीओ भारतीय निवेशक और भारतीय ग्राहकों पर केंद्रित नहीं होकर दक्षिण कोरिया में अपने मूल्यांकन में सुधार करने पर केंद्रित नजर आता है. ऐसे में भारतीय निवेशकों ने कंपनी से दूरी बनाना उचित समझा