IPO वैल्यूएशन पर सेबी नहीं देगा दखल, चेयरमैन तुहिन पांडे बोले- ये बाजार और निवेशकों के बीच का मामला
IPOs में ऊंचे वैल्यूएशन को लेकर उठी चिंताओं के बीच सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने साफ किया है कि वैल्यूएशन के मामले में दखल देना नियामक का काम नहीं है. उन्होंने कहा कि यह बाजार और निवेशकों के बीच का मामला है.
मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने कहा कि नियामक का काम कंपनियों के वैल्यूएशन तय करना नहीं है. उन्होंने कहा, “हम यह नहीं तय करते कि वैल्यूएशन क्या होना चाहिए. यह निवेशक की नजर पर निर्भर करता है.” पांडे का यह बयान उस समय आया है, जब हाल ही में लेंसकार्ट के 7,200 करोड़ रुपये के IPO को लेकर बाजार में ऊंचे वैल्यूएशन की चर्चा तेज है. पांडे ने कहा कि मार्केट को अपने हिसाब से अवसर और जोखिम का आकलन करने की आजादी होनी चाहिए.
तमाम IPO पर उठे सवाल
पांडे ने याद दिलाया कि पहले भी कई न्यू एज कंपनियों के IPO के वैल्यूएशन को लेकर सवाल उठे हैं. मसलन, Nykaa और Paytm के IPO के दौरान भी वैल्यूएशन पर चिंता जताई गई थी. हालांकि, सेबी ने हमेशा यह माना है कि वैल्यूएशन तय करना बाजार भागीदारों का काम है.
ESG सिर्फ ब्रांडिंग नहीं
कार्यक्रम में बोलते हुए पांडे ने उन कंपनियों को चेताया जो, एन्वायरमेंट सोशल गवर्नेंस (ESG) रिपोर्टिंग महज ‘ब्रांडिंग एक्सरसाइज’ नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि “ESG ऑथेंटिक होना चाहिए, यह मेजरेबल नतीजों से जुड़ा होना चाहिए और बोर्ड की वास्तविक निगरानी में होना चाहिए.” इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि कंपनियां एथिक्स कमेटी बनाएं, जो शुरुआती स्तर पर चेतावनी देने वाली प्रणाली का काम करें.
गवर्नेंस स्कोरकार्ड अपनाएं
सेबी प्रमुख ने कहा कि अब समय आ गया है कि कंपनियां संस्थागत नैतिकता को अपनाएं. उन्होंने कहा कि बोर्ड को अपनी कंपनी की सांस्कृतिक सेहत को उतनी ही गंभीरता से ट्रैक करना चाहिए, जितना वे राजस्व और रिटर्न रेश्यो को करते हैं.
रेगुलेटरी ओवररीच से बचें
पांडे ने कहा कि सेबी आने वाले समय में कई नियमों की समीक्षा करेगा ताकि उन्हें आसान, तर्कसंगत, प्रासंगिक और स्पष्ट बनाया जा सके. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नियामक का उद्देश्य ओवररीच से बचते हुए बाजार में इनोवेशन और जिम्मेदारी को बढ़ावा देना है.
डायरेक्टर्स को नए रिस्क समझने होंगे
पांडे ने यह भी कहा कि कंपनियों के डायरेक्टर्स और सीनियर मैनेजमेंट को अब नए जमाने के नए रिस्क जैसे- साइबर रिस्क, डाटा एथिक्स, बिहेवियरल साइंस और सस्टेनेबिलिटी जैसे क्षेत्रों में अपनी समझ मजबूत करनी होगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा, “आज के कॉम्प्लेक्स मार्केट में केवल औपचारिक निगरानी नहीं, बल्कि इन्फॉर्म्ड जजमेंट की जरूरत है.”