TATA Capital IPO में दांव लगाने को हैं बेकरार? क्या यह बनेगा गेम चेंजर; सब्सक्रिप्शन से पहले जानें क्या कहते हैं दिग्गज
टाटा कैपिटल का नया आईपीओ आज सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया है. लेकिन निवेशकों के लिए क्या यह सही समय है? एक्सपर्ट्स ने कंपनी के स्ट्रेंथ, मार्केट पोजिशन और संभावित जोखिमों का विश्लेषण किया है. जानिए क्यों निवेशक इसके लिए उत्साहित हैं और क्या कहती हैं ब्रोकरेज फर्में.
TATA Capital IPO Review: टाटा कैपिटल का नया आईपीओ आज सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया है और निवेशक इसके लिए उत्साहित हैं क्योंकि कंपनी देश की तीसरी सबसे बड़ी डाइवर्सिफाइड NBFC मानी जाती है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि कंपनी के पास निवेश करने लायक कितनी मजबूती है और किन जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है. ब्रोकरेज फर्मों ने टाटा कैपिटल की वित्तीय स्थिति, मार्केट पोजिशन और ग्रोथ स्ट्रेटेजी का विश्लेषण कर निवेशकों के लिए अपनी राय दी है. आइए जानते हैं.
कंपनी प्रोफाइल और बिजनेस स्ट्रैटेजी
टाटा कैपिटल, टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड की सब्सिडियरी है और RBI द्वारा अपर लेयर NBFC के तौर पर क्लासिफाइड है. कंपनी ने 2007 से लेंडिंग बिजनेस की शुरुआत की थी और आज तक 73 लाख से ज्यादा ग्राहकों को सेवाएं दे चुकी है. 25 से ज्यादा तरह के लोन प्रोडक्ट्स के जरिए कंपनी सैलरीड और सेल्फ-एम्प्लॉयड प्रोफेशनल्स, छोटे कारोबारियों, SMEs और बड़ी कंपनियों तक को कर्ज देती है. वित्त वर्ष 2023 से 2025 के बीच कंपनी के लोन बुक ने 37% से ज्यादा CAGR की दर से ग्रोथ दिखाई है.
कंपनी का फोकस प्रोडक्ट ऑफरिंग बढ़ाने, नेटवर्क मजबूत करने और टेक्नोलॉजी व डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल कर लागत घटाने और कस्टमर एक्सपीरियंस बेहतर बनाने पर है. साथ ही, कंपनी TMFL मर्जर के जरिए फुल-स्टैक व्हीकल फाइनेंस प्रोवाइडर बनने की दिशा में काम कर रही है.
IPO का ढांचा
यह आईपीओ फ्रेश इश्यू और ऑफर फॉर सेल (OFS) दोनों का कॉम्बिनेशन है. फ्रेश इश्यू से कंपनी करीब 6,510 से 6,846 करोड़ रुपये जुटाएगी, जबकि OFS का साइज 8,240 से 8,665 करोड़ रुपये है. कंपनी को OFS से कोई फायदा नहीं होगा. फ्रेश इश्यू से जुटाई गई राशि का इस्तेमाल कंपनी अपने टियर-1 कैपिटल बेस को बढ़ाने और लेंडिंग के लिए करेगी.
कंपनी की स्ट्रेंथ और रिस्क फैक्टर
चॉइस ब्रोकिंग ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि टाटा कैपिटल की सबसे बड़ी ताकत उसकी टाटा ग्रुप की लेगेसी और ब्रांड वैल्यू है. यह देश की तीसरी सबसे बड़ी डाइवर्सिफाइड NBFC है और इसके पास सबसे ज्यादा प्रोडक्ट रेंज है. कंपनी का वितरण नेटवर्क पैन-इंडिया ब्रांच, डिजिटल प्लेटफॉर्म और पार्टनरशिप मॉडल पर आधारित है. मजबूत अंडरराइटिंग और कलेक्शन सिस्टम के चलते कंपनी की एसेट क्वालिटी स्थिर बनी हुई है. साथ ही कंपनी को क्रेडिट रेटिंग में भी उच्च रेटिंग हासिल है.
चॉइस ब्रोकिंग के अनुसार, ग्लोबल इकोनॉमी में सुस्ती, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव और कड़ी रेगुलेटरी शर्तें कंपनी के बिजनेस को प्रभावित कर सकती हैं. साथ ही भारतीय इकोनॉमी में सीजनल ट्रेंड्स का असर भी कंपनी के प्रदर्शन पर पड़ सकता है. बढ़ती प्रतिस्पर्धा भी इसके लिए चुनौती बनी रहेगी.
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ब्रोकरेज की राय
Choice Brokrage की राय में, आईपीओ ऊपरी प्राइस बैंड पर Adj. P/BV 3.6x पर है, जो पीयर्स के समान है. हालांकि RoE और RoA कम हैं, लेकिन मजबूत ब्रांड और TMFL के साथ प्रस्तावित विलय से कंपनी के पास लंबी अवधि में विकास की संभावना है. Choice Brokrage “Subscribe for Long Term” रेटिंग देती है. लेकिन निवेशकों को रिस्क फैक्टर को भी ध्यान में रखकर ही सब्सक्रिप्शन का फैसला लेना चाहिए.
Choice Brokrage की राय में, आईपीओ ऊपरी प्राइस बैंड पर Adj. P/BV 3.6x पर है, जो पीयर्स के समान है. हालांकि RoE और RoA कम हैं, लेकिन मजबूत ब्रांड और TMFL के साथ प्रोपोस्ड मर्जर से कंपनी के पास लंबी अवधि में विकास की संभावना है. Choice Brokrage “Subscribe for Long Term” रेटिंग देती है, यानी लॉन्ग टर्म के लिए सब्सक्राइब की सलाह.
डिस्क्लेमर: मनी9लाइव किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.