डेटा, अनुशासन और डायवर्सिफिकेशन: म्‍यूचुअल फंडों में समझदारी से निवेश का नया तरीका

भारत में रिटेल निवेशकों का नजरिया बदल रहा है. अब अंदाजे और अफवाहों की जगह डेटा, अनुशासन और डायवर्सिफिकेशन पर आधारित समझदार निवेश को अपनाया जा रहा है. डिजिटल टूल्स से मिली सटीक जानकारी, SIP के जरिए नियमित निवेश और विभिन्न एसेट क्लास में फैला पोर्टफोलियो निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव में भी मजबूती और आत्मविश्वास दे रहा है.

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मनीष गढ़वी | बहुत सालों तक, भारत में रिटेल क्षेत्र में निवेश करना मुख्य रूप से अनुभव से मिली जानकारी, अंदाजे और ट्रेडिंग के लिए तुरंत लिए जाने वाले फैसलों पर निर्भर होता था. लेकिन, आज एक अलग तरह का बदलाव देखने को मिल रहा है. निवेशकों का एक नया समूह ज्यादा व्यवस्थित तरीका अपना रहा है, जिसमें अटकलों के बजाय सही प्रक्रिया, जल्दबाजी के बजाय समझदारी और अव्यवस्था के बजाय डेटा को अपनाया जा रहा है. यह बदला हुआ तरीका मुख्य रूप से तीन बातों: यानी डेटा, अनुशासन और डायवर्सिफिकेशन पर आधारित है.

मौजूदा दौर में तो सूचना ही निवेश का आधार बन गई है. डिजिटल प्लेटफॉर्म, फंड्स के बारे में कुछ भी छिपाए बिना जानकारी देने वाली फैक्ट शीट, और हर निवेशक के लिए आसानी से उपलब्ध बेहतर एनालिटिक्स, जैसे खास ऐप्‍स या वेबसाइट्स की मदद से, फैसले लेने में आत्मविश्वास बढ़ता है, साथ ही बाजार की अफवाहों या समय के अंदाजों पर निर्भरता भी कम होती है. आज के निवेशक मौजूदा ट्रेंड्स पर गौर करते हैं, जोखिम के आधार पर रिटर्न का अंदाजा लगाते हैं, फंड के लंबे समय के प्रदर्शन के बारे में जानकारी लेते हैं, और छोटी अवधि की खबरों पर ध्यान न देकर अपने निवेश को वित्तीय लक्ष्यों के अनुरूप बनाते हैं.

डेटा की उपलब्धता की वजह से रिटेल निवेशकों ने निवेश का एक ऐसा तरीका अपनाया है जो सबूतों पर आधारित है, जिसमें उनके फैसले पिछले ट्रेंड्स, उतार-चढ़ाव की सीमाओं, एसेट्स के बीच आपसी जुड़ाव और प्रदर्शन के अंतराल पर निर्भर होते हैं. अब निवेशक “कल बाजार कैसा रहेगा?” के बारे में जानने के बजाय, ज्यादातर यह पूछ रहे हैं कि “अगले दस वर्षों में निवेश की कौन सी रणनीति कारगर साबित होगी?”

डेटा का महत्व तभी है, जब उसके साथ अनुशासन हो. खास तौर पर बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान भागीदारी को बरकरार रखने से भरोसा बढ़ता है. सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIPs) लगातार निवेश करके अनुशासन बनाए रखने में मदद करते हैं और समय के साथ उनका पैसा भी धीरे-धीरे बढ़ता है, जिससे वे अपने तरीके पर भरोसा कर पाते हैं.

पूरे भारत में SIP में निवेश में बढ़ोतरी से जाहिर है कि निवेशक अब अधिक सब्र रख रहे हैं. बाजार की अस्थिरता के दौरान भी, SIP के नतीजे दिखाते हैं कि सच्ची लगन और नियमित रूप से निवेश की आदतें लंबे समय में कामयाबी दिला सकती हैं, जिससे निवेशकों को उतार-चढ़ाव के दौरान भी निवेश से जुड़े रहने की प्रेरणा मिलती है.

अलग-अलग तरह के एसेट्स में निवेश जैसे कि बढ़त के लिए इक्विटी, स्थिरता के लिए डेट, नुकसान से बचाव के लिए गोल्ड और अलग-अलग कंपनियों में निवेश से निवेशकों को लगता है कि सब कुछ उनके नियंत्रण में है. यह सही तरीका निवेशकों को अधिक सुरक्षित महसूस कराता है और उन्हें बाजार के उतार-चढ़ाव के लिए तैयार करता है.

एक निवेश का विविधता भरा पोर्टफोलियो बाजार में उतार-चढ़ाव के असर को कम करता है और अलग-अलग एसेट्स अलग-अलग समय पर अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं, जिससे निवेशकों को ज्यादा जोखिम लिए बिना लाभ उठाने में मदद मिलती है. जिस माहौल में बाजार अस्थिर हो और कुछ भी होने की संभावना हो, वहां निवेश में विविधता झटका सहने वाले शॉक एब्जॉर्बर की तरह काम करता है, जिससे लंबे समय का सफर आसान बन जाता है. डेटा, अनुशासन और विविधता साथ मिलकर एक ऐसा आधार बनाते हैं, जो निवेशकों को भावनाओं के उतार-चढ़ाव या अफवाहों से भटके बिना, व्यवस्थित तरीके से अपनी जमा-पूंजी बढ़ाने में मदद करता है.

यह तरीका रातों-रात कामयाबी की गारंटी नहीं देता, लेकिन यह मजबूती से टिके रहने, लगातार बढ़ते रहने और स्पष्टता का वादा जरूर करता है. आज की दुनिया में पहले से अनुमान लगाना नामुमकिन है, इसलिए तैयारी सबसे ज्यादा जरूरी है. रिटेल में निवेश करने वालों के लिए जीत का मंत्र बेहद सरल है. प्रक्रिया का पालन करें, डेटा पर भरोसा करें, निवेश में विविधता बनाए रखें, और समय के साथ मिलने वाले लाभ को बढ़ने दें.

(लेखक फंड्सइंडिया पार्टनर (B2B) के सीईओ हैं. प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.)