आज नहीं तो कभी नहीं! SIP में 1 साल की देरी कैसे आपकी रिटायरमेंट में ला देती है करोड़ों का फर्क
निवेश में समय सबसे बड़ा हथियार है. जितनी जल्दी निवेश शुरू होता है, उतनी ही तेजी से पैसा अपने ऊपर पैसा बनाता है. इसे कंपाउंडिंग कहते हैं.निवेश देर से शुरू करने का मतलब है कि बाद में ज्यादा पैसा डालना पड़ेगा. अक्सर लोग कहते हैं, अगली सैलरी हाइक के बाद निवेश करेंगे. समस्या यह है कि सैलरी बढ़ने के साथ खर्च भी बढ़ जाता है.
SIP Calculation: बहुत से लोग सोचते हैं कि निवेश एक-दो साल बाद शुरू किया जाए तो कोई खास फर्क नहीं पड़ता. आम धारणा यही होती है कि अभी नहीं, थोड़ा सेट हो जाएं, फिर SIP शुरू करेंगे. लेकिन असलियत यह है कि निवेश में की गई सिर्फ 1 साल की देरी भविष्य में करोड़ों रुपये का नुकसान करा सकती है. यह नुकसान तेजी से नहीं, बल्कि चुपचाप और धीरे-धीरे होता है इसलिए अक्सर दिखता भी नहीं.
कंपाउंडिंग का नियम
निवेश में समय सबसे बड़ा हथियार है. जितनी जल्दी निवेश शुरू होता है, उतनी ही तेजी से पैसा अपने ऊपर पैसा बनाता है. इसे कंपाउंडिंग कहते हैं. मान लीजिए कोई व्यक्ति 30 साल तक हर महीने ₹20000 SIP करता है और औसतन 12% रिटर्न मिलता है. 25 साल बाद उसके पास करीब ₹3.40 करोड़ होंगे. लेकिन अगर वही व्यक्ति सिर्फ 1 साल देर से निवेश शुरू करे और 24 साल SIP करे, तो रकम घटकर करीब ₹3 करोड़ रह जाती है. यानी सिर्फ 1 साल की देरी में करीब ₹50 लाख का नुकसान.
कैच-अप ट्रैप
निवेश देर से शुरू करने का मतलब है कि बाद में ज्यादा पैसा डालना पड़ेगा. उदाहरण के तौर पर, अगर 25 साल में ₹2 करोड़ का लक्ष्य है और आप आज से SIP शुरू करें, तो करीब ₹13,000 महीना काफी है. लेकिन अगर 1 साल देर कर दी, तो वही ₹2 करोड़ पाने के लिए SIP बढ़ाकर करीब ₹15,000 महीना करनी होगी. छोटी-सी देरी, लेकिन सालों तक ज्यादा दबाव.
सैलरी बढ़ेगी, तब शुरू करेंगे
अक्सर लोग कहते हैं, अगली सैलरी हाइक के बाद निवेश करेंगे. समस्या यह है कि सैलरी बढ़ने के साथ खर्च भी बढ़ जाता है. बेहतर फोन, गाड़ी, घूमना-फिरना. निवेश फिर भी टलता रहता है. नतीजा यह कि निवेश शुरू ही नहीं हो पाता और लंबे समय में लाखों-करोड़ों का नुकसान हो जाता है.
सेफ सेविंग बनाम स्मार्ट इन्वेस्टिंग
निवेश टालने का मतलब है पैसा सेविंग अकाउंट में पड़ा रहना. सेविंग सुरक्षित तो है, लेकिन महंगाई को नहीं हरा पाती. अगर ₹2 लाख सेविंग अकाउंट में पड़े रहें, तो साल भर में मुश्किल से ₹8-10 हजार मिलते हैं. वहीं अगर वही पैसा म्यूचुअल फंड में लगाया जाए, तो लंबे समय में वही रकम कई गुना बन सकती है.
देरी से कम हो जाती है आजादी
निवेश में देरी सिर्फ पैसा नहीं, भविष्य की आजादी भी छीनती है. घर खरीदना, बच्चों की पढ़ाई, रिटायरमेंट सब कुछ बाद में भारी लगने लगता है. जो निवेश समय पर शुरू करता है, उसके पास विकल्प होते हैं. जो देर करता है, उसे समझौते करने पड़ते हैं.
जल्दी शुरू करने वालों को अनुभव का फायदा
जो लोग जल्दी निवेश शुरू करते हैं, वे बाजार के उतार-चढ़ाव को समझना सीख जाते हैं. जो देर से शुरू करते हैं, वे गिरावट में जल्दी घबरा जाते हैं और गलत फैसले ले बैठते हैं.
कंट्रोल बनाम मजबूरी
निवेश में 1 साल की देरी उस वक्त मामूली लगती है, लेकिन समय के साथ यह बड़ा आर्थिक बोझ बन जाती है. जल्दी शुरुआत मतलब कम दबाव, ज्यादा विकल्प और सुकून. देरी मतलब ज्यादा SIP, ज्यादा तनाव और कम आजादी. निवेश का सही समय ‘आज’ है परफेक्ट समय का इंतजार सबसे महंगी गलती हो सकती है.
कैलकुलेशन: Groww SIP Calculator
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