SBI Mutual Fund का ‘निवेश कैफे’: रिटायरमेंट प्लानिंग में सेफ्टी, इनफ्लेशन और रेगुलर इनकम पर एक्सपर्ट्स की बड़ी सीख
दिल्ली के खान मार्केट में आयोजित SBI Mutual Fund के ‘निवेश कैफे’ में रिटायरमेंट प्लानिंग को लेकर अहम चर्चा हुई. एक्सपर्ट्स ने बताया कि रिटायरमेंट सिर्फ उम्र का पड़ाव नहीं, बल्कि सही निवेश, हेल्थ, इनफ्लेशन से मुकाबला और रेगुलर इनकम की स्ट्रैटेजी का नाम है. महिलाओं की फाइनेंशियल प्लानिंग, बकेट स्ट्रैटेजी और SWP जैसे टूल्स पर खास फोकस रहा.
SBI Mutual Fund Nivesh Cafe: दिल्ली के खान मार्केट स्थित एक कैफे में SBI Mutual Fund की ओर से आयोजित ‘Nivesh Cafe’ में रिटायरमेंट प्लानिंग को लेकर बातचीत देखने को मिली. इस चर्चा में अलग-अलग उम्र और प्रोफेशन से जुड़े लोगों ने रिटायरमेंट को लेकर अपनी चिंताएं, उलझनें और अनुभव साझा किए. इस चर्चा में कुछ लोग ऐसे थे जो रिटायरमेंट के बिल्कुल करीब हैं, कुछ पहले ही रिटायर हो चुके हैं और कुछ अभी इस सफर की शुरुआत में हैं. किसी को यह समझ नहीं आ रहा था कि सही निवेश क्या हो, तो कोई यह जानना चाहता था कि जो वह कर रहा है, वह सही दिशा में है या नहीं.
रिटायरमेंट का मतलब सिर्फ 60 साल नहीं
डॉक्टर टीना शर्मा ने बताया कि उन्होंने कभी भारी EMI या दिखावे वाली चीजों पर फोकस नहीं किया. उनका लक्ष्य था कि इमरजेंसी के समय तुरंत कैश या गोल्ड उपलब्ध हो और बच्चों की पढ़ाई में कोई कमी न आए. वहीं आर्मी से रिटायर्ड मेजर डॉक्टर मोहम्मद अली शाह ने कहा कि रिटायरमेंट का मतलब काम से दूर होना नहीं है. उनके मुताबिक, सबसे बड़ी इन्वेस्टमेंट हेल्थ है, क्योंकि जब तक शरीर फिट रहेगा, तब तक कमाई और जिंदगी दोनों चलती रहेंगी.
महिलाओं को खुद करनी चाहिए फाइनेंशियल प्लानिंग
एंटरप्रेन्योर नेहा शालिनी दुआ ने खासतौर पर महिलाओं के लिए अहम बात रखी. उन्होंने कहा कि कई महिलाएं यह मानकर चलती हैं कि पति सब संभाल लेंगे, लेकिन यह सोच गलत है. हर महिला को खुद के लिए निवेश करना चाहिए. उनके मुताबिक, सरप्लस पैसा प्रॉपर्टी, गोल्ड या अन्य सुरक्षित विकल्पों में लगाना जरूरी है.
सिर्फ सेफ्टी नहीं, रिटर्न भी जरूरी
चर्चा के दौरान मनी9लाइव की एंकर प्रियंका संभव ने एक अहम सवाल उठाया- क्या सिर्फ पैसा सुरक्षित रखना काफी है? उन्होंने समझाया कि अगर आज किसी परिवार का खर्च 50,000 रुपये है, तो 10 साल बाद वही खर्च महंगाई की वजह से कहीं ज्यादा हो सकता है. ऐसे में अगर निवेश महंगाई को मात नहीं दे पाया, तो रिटायरमेंट में मुश्किलें आ सकती हैं. रियल एस्टेट को उदाहरण देते हुए बताया गया कि प्रॉपर्टी भले ही महंगी हो, लेकिन जरूरत के समय उसे तुरंत बेचना आसान नहीं होता. यानी लिक्विडिटी की कमी भी एक बड़ा जोखिम है.
अनियमित इनकम वालों के लिए क्या करें?
एडवोकेट हर्ष सिंह ने सवाल उठाया कि जिन प्रोफेशनल्स की इनकम हर महीने एक जैसी नहीं होती, वे रिटायरमेंट प्लानिंग कैसे करें. इस पर एक्सपर्ट्स ने बताया कि ऐसे लोगों के लिए सॉल्यूशन ओरिएंटेड रिटायरमेंट स्कीम्स बेहतर हो सकती हैं, जहां लंपसम निवेश भी किया जा सकता है और फंड मैनेजर पैसा इक्विटी व डेट में संतुलित तरीके से लगाता है.
बकेट स्ट्रैटेजी: रिटायरमेंट का आसान फॉर्मूला
चर्चा में रिटायरमेंट प्लानिंग का एक सरल तरीका सामने आया. नाम है बकेट स्ट्रैटेजी-
- पहली बकेट: इमरजेंसी फंड, जिसे तुरंत निकाला जा सके (FD, बैंक बैलेंस, गोल्ड).
- दूसरी बकेट: शॉर्ट टर्म जरूरतों के लिए पैसा, जो 2–3 साल में काम आ सकता है (लिक्विड या डेट फंड).
- तीसरी बकेट: लॉन्ग टर्म निवेश, जहां 5 साल या उससे ज्यादा समय तक पैसा लगाया जा सके और महंगाई को मात देने वाला रिटर्न मिले (इक्विटी, हाइब्रिड फंड).
रिटायरमेंट के बाद भी इनकम संभव
एक्सपर्ट्स ने बताया कि रिटायरमेंट के बाद SWP (Systematic Withdrawal Plan) के जरिए निवेश से नियमित इनकम पाई जा सकती है. इसमें पैसा निवेशित भी रहता है और जरूरत के हिसाब से हर महीने या तिमाही निकासी भी हो जाती है. यह तरीका टैक्स के लिहाज से भी फायदेमंद माना जाता है.
ये भी पढ़ें- HDFC Multi Cap vs Kotak Multicap vs Nippon India Multi Cap: किस फंड में है ज्यादा दम?
Latest Stories
HDFC Multi Cap vs Kotak Multicap vs Nippon India Multi Cap: किस फंड में है ज्यादा दम?
इस फंड ने 10,000 रुपये के निवेश को बनाया 17 लाख, बेंचमार्क से भी दिया ज्यादा रिटर्न, SIP का मुनाफा और जबरदस्त
SIP हो या लंपसम, इस हेल्थकेयर फंड ने 2 साल में दिया दमदार रिटर्न, 17% CAGR से बढ़ा पैसा; शेयरहोल्डिंग में दिग्गज कंपनियां
