Mutual Fund में निवेश करना हो सकता है सस्ता, ब्रोकरेज फीस घटाने की तैयारी में SEBI; नए साल से पहले मिल सकता है तोहफा

Mutual Fund: सेबी ने म्यूचुअल फंड को और बेहतर बनाने के लिए एक नया कंसल्टेशन पेपर जारी किया है. सेबी की कोशिश है कि निवेशकों को फीस और खर्च के बारे में पूरी जानकारी मिले और म्यूचुअल फंड पर उनका भरोसा पहले से अधिक मजबूत हो. रेगुलेटर ने 17 नवंबर तक लोगों से इस बारे में राय मांगी है.

म्यूचुअल फंड में बड़े बदलाव की तैयारी में सेबी. Image Credit: Getty image

Mutual Fund: सेबी ने म्यूचुअल फंड्स द्वारा लगाए जाने वाले टोटल एक्सपेंस रेश्यो (TER) में बड़े बदलाव का प्रस्ताव किया है. यह कदम निवेशकों की लागत कम करने और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है. इसमें ब्रोकरेज शुल्क की लिमिट में बदलाव शामिल है. सेबी ने म्यूचुअल फंड को और बेहतर बनाने के लिए एक नया कंसल्टेशन पेपर जारी किया है. सेबी की कोशिश है कि निवेशकों को फीस और खर्च के बारे में पूरी जानकारी मिले और म्यूचुअल फंड पर उनका भरोसा पहले से अधिक मजबूत हो. रेगुलेटर ने 17 नवंबर तक लोगों से इस बारे में राय मांगी है.

प्रस्तावित फ्रेमवर्क

प्रस्तावित फ्रेमवर्क के तहत, सेबी की योजना उन अतिरिक्त 5 बेसिस प्वाइंट्स (BPS) को समाप्त करने की है, जो ऐसेट्स मैनेजमेंट कंपनी (AMC) को पहले म्यूचुअल फंड योजनाओं में वसूलने की अनुमति थी. यह अतिरिक्त खर्च, स्कीम्स में एक्जिट लोड वापस जमा करने के प्रभाव की भरपाई के लिए शुरू किया गया था, जिसे पहले 2012 में 20 बेसिस प्वाइंट पर निर्धारित किया गया था और बाद में 2018 में घटाकर 5 बेसिस प्वाइंट कर दिया गया था.

एक्जिट लोड

जब आप म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करते हैं और उसे निश्चित समय से पहले निकालते हैं, तो फंड हाउस एक एग्जिट लोड काटता है. जो एग्जिट लोड निवेशक से काटा गया है, उसे AMC अपनी आमदनी के रूप में रखने के बजाय उसी स्कीम (फंड) में वापस जोड़ देती है. यानी वह पैसा बाकी निवेशकों के लाभ के लिए स्कीम के कॉर्पस में चला जाता है.

ब्रोकरेज खर्च को कम करने की योजना

नियामक ब्रोकरेज खर्चों की सीमा में भारी कटौती करने की योजना बना रहा है. कैश मार्केट लेनदेन के लिए यह लिमिट 12 बेसिस प्वाइंट (0.12%) से घटकर 2 हो सकती है और डेरिवेटिव्स के लिए 5 बेसिस प्वाइंट से घटकर 1 बेसिस प्वाइंट हो सकती है. कम लेनदेन शुल्क का मतलब है कि निवेशक का ज्यादा निवेशित पैसा बाजार में रहेगा, जिससे लॉन्ग टर्म कंपाउंडिंग इंटरेस्ट में मदद मिलेगी.

फंड के प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद

जानकारों का कहना है कि यह कटौती उतनी ज्यादा नहीं होगी, क्योंकि एसटीटी, जीएसटी और स्टांप शुल्क जैसे वैधानिक शुल्क इस सीमा से बाहर हैं. लेकिन 15-20 बेसिस प्वाइंट की कमी भी आने वाले वर्षों में फंड के प्रदर्शन में सुधार ला सकती है.

सेबी ने परफॉरमेंस-लिंक्ड एक्सपेंस रेश्यो का भी प्रस्ताव रखा है, जो किसी स्कीम के प्रदर्शन के आधार पर अलग-अलग होगा. इससे यह सुनिश्चित हो सकता है कि जब वास्तव में वैल्यू जेनरेट हो रहा हो तो निवेशक अधिक भुगतान करें और जब योजना का प्रदर्शन कम हो तो कम भुगतान करें.

फंड हाउसेज पर असर

म्यूचुअल फंड्स से इतर गतिविधियों में लगे फंड हाउसेज को अपना ऑपरेशन अलग व्यावसायिक यूनिट के माध्यम से चलाना पड़ सकता है. यह बदलाव क्रॉस-सब्सिडी को रोकने और निवेशकों के फंड को म्यूचुअल फंड प्रबंधन से असंबंधित जोखिमों से बचाने के लिए किया गया है.

निवेशकों को कैसे लाभ होगा

निवेशकों को अब क्या करना चाहिए?

फिलहाल, म्यूचुअल फ़ंड निवेशकों को कुछ करने की जरूरत नहीं है. एसआईपी और मौजूदा निवेश सामान्य रूप से जारी रह सकते हैं. लेकिन जैसे-जैसे अंतिम नियम सामने आते हैं, निवेशक कुछ काम कर सकते हैं.

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