8वें वेतन आयोग में गायब हैं ये बातें, जिससे डर गए 69 लाख पेंशनभोगी, 7वें वेतन आयोग में मिले थे ये फायदे
देश के 69 लाख केंद्रीय पेंशनर्स और फैमिली पेंशनर्स इन दिनों गहरी चिंता में हैं. 8वें वेतन आयोग की जारी हुई Terms of Reference में वे अहम प्रावधान नजर नहीं आए, जो 7वें वेतन आयोग में पेंशनर्स के हित में थे. इससे पुराने रिटायर्ड कर्मचारियों में यह डर बढ़ गया है कि कहीं उन्हें मिलने वाले अधिकार और बढ़ोतरी पर असर न पड़े.
8th Pay Commission: देश के 69 लाख केंद्रीय पेंशनर्स और फैमिली पेंशनर्स इस समय बड़ी चिंता में हैं, क्योंकि उन्हें यह डर सता रहा है कि कहीं 8वें वेतन आयोग (8th CPC) का लाभ उनसे छूट न जाए. यह आशंका इसलिए बढ़ी है क्योंकि केंद्र सरकार ने हाल ही में 8th CPC की Terms of Reference (ToR) जारी की हैं, जिनमें कई ऐसे बिंदु शामिल नहीं हैं जो 7वें वेतन आयोग (7th CPC) में पेंशनर्स के हित में थे. जस्टिस रंजन देसाई की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय आयोग के लिए जारी ToR सामने आने के बाद कर्मचारियों और पेंशनर्स में सवाल उठने लगे हैं कि आखिर नए ढांचे में पेंशनर्स की भूमिका और लाभ किस रूप में तय होंगे.
69 लाख पेंशनर्स को क्यों सता रहा डर?
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, AIDEF (All India Defence Employees Federation) ने 7वीं पे कमीशन के नियमों (ToR) का हवाला दिया है. 7वीं कमीशन में साफ-साफ लिखा था कि पेंशन और रिटायरमेंट बेनिफिट का स्ट्रक्चर कैसा होना चाहिए. साथ ही उन कर्मचारियों की पुरानी पेंशन को भी बढ़ाने की बात थी, जो नई सिफारिशें लागू होने पहले रिटायर हो चुके थे. लेकिन ये भी कहा गया था कि 1 जनवरी 2004 या उसके बाद नौकरी जॉइन करने वाले कर्मचारियों की पेंशन न्यू पेंशन स्कीम (NPS) में ही रहेगी.
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अब AIDEF का कहना है कि 8वीं पे कमीशन के नियमों में ये सारी बातें गायब हैं. इसलिए पुराने रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन बढ़ाने का वादा 8वीं कमीशन में भी डालना चाहिए, जैसे 7वीं कमीशन में था. आसान भाषा में कहें, तो 7वीं पे कमीशन में पुरानी पेंशन बढ़ाने का वादा था, जो 8वीं में वो छूट गया है, AIDEF कह रहा है कि उसे वापस डालो.
AIDEF की क्या है मांग?
AIDEF की मांग है कि सरकार 7वें केंद्रीय वेतन आयोग (7th CPC) की शर्तों को 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th CPC) में भी शामिल करे. उनका कहना है कि ToR में संशोधन किया जाए, ताकि उन कर्मचारियों की पेंशन भी दोबारा तय करने का प्रावधान हो सके, जो 8वें वेतन आयोग की लागू होने की तारीख यानी 01.01.2026 से पहले रिटायर हो चुके हैं. साथ ही इसमें हर पांच साल में 5 फीसदी पेंशन वृद्धि जैसे सुझाव शामिल हैं.
7वें वेतन आयोग में मिले थे ये फायदे
cleartax से मिली जानकारी के अनुसार.
- न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये से प्रति माह शुरू किया गया.
- अधिकतम वेतन 2,25,000 रुपये प्रति माह निर्धारित किया गया था.
- शीर्ष पदों जैसे कैबिनेट सचिव एवं समकक्ष स्तर के लिए वेतन 2,50,000 रुपये प्रति माह शुरू हुआ.
- सभी मौजूदा कर्मचारियों के वेतन में एकसमान 2.57 का फैक्टर लागू करके नई वेतन स्केल प्राप्त की गई.
- वार्षिक वेतन वृद्धि दर 3 फीसदी ही रहेगी, जैसा कि छठे वेतन आयोग में था.
साथ ही सातवीं वेतन आयोग में पेंशनर्स के लिए यह खास बातें शामिल की गई थी.
पेंशन संबंधी मुख्य बातें
- सिविल और रक्षा कर्मियों (CAPF सहित) की पेंशन में समानता लाने के लिए पेंशन में संशोधन किया गया.
- संशोधित पेंशन की गणना करने की विधि भी रिवाइज की गई.
- विकलांगता पेंशन की गणना के लिए स्लैब आधारित प्रणाली लागू की गई.
- ड्यूटी पर मृत्यु होने की स्थिति में परिजनों को दी जाने वाली मुआवजे की राशि में संशोधन.
अब पेंशनर्स को यही डर है कि 8वें वेतन आयोग उनके लिए मौजूदा मिल रहे फायदों पर क्या फैसला करेगा.
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