Infosys Buyback 2025: इंफोसिस बायबैक में शेयर बेचने पर कितना देना होगा टैक्स, जानें पूरा कैलकुलेशन

IT दिग्गज Infosys ने 18000 करोड़ के शेयर बायबैक का ऐलान किया है. बायबैक प्राइस 1800 रुपये प्रति शेयर रखा गया है, जबकि फिलहाल इसका बाजार भाव 1500 रुपये से नीचे है. अब निवेशकों के मन में यह सवाल उठता है कि अगर वे इस बायबैक में हिस्सा लेते हैं, तो उन्हें कितना टैक्स देना होगा. इस सवाल का जवाब समझने के लिए पहले हमें बायबैक पर लागू नए टैक्स नियम को समझना होगा.

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Infosys Buyback: IT दिग्गज Infosys ने 18000 करोड़ के शेयर बायबैक का ऐलान किया है और इसके लिए रिकॉर्ड डेट 14 नवंबर 2025 (शुक्रवार) तय की गई है. इसका मतलब है कि इस तारीख तक जिन निवेशकों के पास Infosys के शेयर होंगे, वे इस बायबैक ऑफर में हिस्सा ले सकते हैं. आमतौर पर बायबैक में कंपनी अपने शेयर बाजार के मौजूदा भाव से ऊंचे दाम पर खरीदती है, ताकि निवेशकों को आकर्षित किया जा सके. Infosys के मामले में, बायबैक प्राइस 1800 रुपये प्रति शेयर रखा गया है, जबकि फिलहाल इसका बाजार भाव 1500 रुपये से नीचे है. अब निवेशकों के मन में यह सवाल उठता है कि अगर वे इस बायबैक में हिस्सा लेते हैं, तो उन्हें कितना टैक्स देना होगा. इस सवाल का जवाब समझने के लिए पहले हमें बायबैक पर लागू नए टैक्स नियम को समझना होगा.

क्या कहते हैं नियम

1 अक्टूबर 2024 से टैक्स का नियम बदल गया है. अब बायबैक पर कंपनी नहीं, बल्कि निवेशक को टैक्स देना होगा. बायबैक से जो पैसा आपको मिलता है, उसे Deemed Dividend माना जाता है. यह रकम आपकी इनकम के Income from Other Sources के रूप में गिनी जाती है. इस पर टैक्स आपकी इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से लगेगा. उदाहरण के लिए, अगर आप 30 फीसदी स्लैब में आते हैं, तो पूरी रकम पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा. ध्यान देने वाली बात यह है कि इस रकम पर कोई भी कटौती (deduction) नहीं मिलती यानी आपको पूरी राशि पर टैक्स देना होगा.

लेकिन यहां एक छोटा फायदा भी है, जो कई निवेशकों को पता नहीं होता. आपने जब ये शेयर खरीदे थे, वह रकम Capital Loss के रूप में गिनी जा सकती है. अगर आपने शेयर 12 महीने से कम समय तक रखे, तो यह Short-Term Capital Loss (STCL) कहलाएगा और अगर 12 महीने से ज्यादा रखा तो Long-Term Capital Loss (LTCL) कहलाएगा. इस घाटे को आप अपने Capital Gains के साथ एडजस्ट कर सकते हैं. STCL को शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म दोनों गेन से एडजस्ट किया जा सकता है, जबकि LTCL सिर्फ लॉन्ग-टर्म गेन से ही सेट ऑफ हो सकता है. अगर उसी साल एडजस्ट नहीं हो पाता, तो आप इस घाटे को 8 साल तक आगे बढ़ा सकते हैं.

उदाहरण से समझें पूरी गणित

मान लीजिए आपके पास 500 Infosys शेयर हैं, और कंपनी इन्हें 1800 रुपये प्रति शेयर के रेट पर बायबैक कर रही है. आपने ये शेयर साल 2020 में 900 रुपये प्रति शेयर के भाव से खरीदे थे.

अब कैलकुलेशन देखें

  • बायबैक से मिलने वाली कुल रकम: 1800 रुपये × 500 = 900000 रुपये
  • इस पर 30 फीसदी टैक्स: 900000 रुपये × 30 फीसदी = 270000 रुपये
  • शेयर खरीदने की लागत: 900 × 500= 450000 रुपये
  • इसे आप अपने LTCG से एडजस्ट करेंगे और लगभग 56200 रुपये की टैक्स बचत होगी (₹4,50,000 × 12.5%).
  • टैक्स देने के बाद आपके हाथ में बचेगा: 900000 रुपये – 270000 रुपये= 630000 रुपये
  • अगर टैक्स बचत जोड़ें तो कुल फायदा: ₹6,30,000 + ₹56,200= लगभग 686200 रुपये

यह आपका Long-Term Capital Loss बनेगा.

ITR दाखिल करते समय, बायबैक से मिली अमाउंट को “Income from Other Sources” के रूप में दिखाना होता है, और शेयर की खरीद लागत को “Capital Loss” में दर्ज करना चाहिए. इससे भविष्य में आप अपने कैपिटल गेन पर टैक्स बचा सकते हैं.

क्या होता है शेयर बायबैक?

जब कोई कंपनी अपने शेयर दोबारा शेयरधारकों से खरीदती है, उसे शेयर बायबैक कहते हैं. कंपनी आमतौर पर बाजार भाव से ऊंचे दाम पर शेयर खरीदती है ताकि निवेशकों को फायदा मिले.

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