क्या भारतीय बचत की आदत भूल रहे हैं, जानें त्योहार की रौनक या फ्यूचर का जोखिम?

Savings Vs Spending: भारतीय समाज को हमेशा से बचत करने वाला माना जाता रहा है. पहले लोग अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा भविष्य के लिए बचाकर रखते थे, लेकिन अब तस्वीर बदल रही है. GST कटौती और बढ़ी हुई आय ने लोगों की जेब में ज्यादा पैसा छोड़ा है. नतीजतन, यह पैसा बैंक खाते या फिक्स्ड डिपॉजिट में जाने के बजाय शॉपिंग, ट्रैवल और गैजेट्स पर खर्च हो रहा है. आंकड़ों के मुताबिक, घरों की नेट सेविंग लगातार घट रही है जबकि क्रेडिट कार्ड और लोन लेने की आदत बढ़ रही है. त्योहारी सीजन में खरीदारी का जोश अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा लगता है, लेकिन यह भविष्य की सुरक्षा को कमजोर कर सकता है. सवाल यह है कि क्या भारत, अमेरिका की तरह खर्च-आधारित जीवनशैली झेल सकता है? अगर लोग आज की खुशियों के लिए कल की स्थिरता दांव पर लगा देंगे, तो लंबी अवधि में आर्थिक दबाव बढ़ना तय है.