
IndianEconomy| क्या हम भविष्य की बचत छोड़कर आज का सुख चुन रहे हैं?
भारत में लंबे समय से चली आ रही बचत की प्रवृत्ति अब कमजोर होती दिख रही है. FY24 में घरेलू बचत दर झटके से गिरकर GDP का केवल 18.1 फीसदी रह गई. दूसरी वर्ष लगातार गिरावट दर्ज की गई है. इसी बीच, क्रेडिट कार्ड और लोन पर निर्भरता बढ़ी है, जिससे उपभोक्ता खर्च इंस्टेंट ग्रैटिफिकेशन की तरफ झुकने लगे हैं. सरकार ने हाल ही में GST में बड़े कटौती के साथ फिलहाल लोगों के हाथों में अधिक डॉयरेक्ट इनकम छोड़ी है, जिससे त्योहारी मौसम में खरीदारी और लग्जरी सेवाओं पर खर्च बढ़ा है. RBI के आंकड़े भी परेशान कर देने वाले हैं, पिछले दो वर्षों में घरेलू ऋण, GDP में 36 फीसदी से बढ़कर 42 फीसदी हो गया, जबकि बचत दर गिरते हुए रही है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या यह त्योहारी सीजन असली खुशी ला रहा है या हमारे फ्यूचर की आर्थिक सुरक्षा को कमजोर कर रहा है? भारत क्या अमेरिका जैसी खर्च-केंद्रित जीवनशैली को अपनाने की स्थिति में है? अगर आज की झलक की खुशी भविष्य की स्थिरता की कीमत पर आई है, तो यह लंबी अवधि में आर्थिक अस्थिरता को बुलावा दे सकता है. आइए जानते हैं वीडियों के माध्यम से सभी जानकारी को.
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