बैंक डूबने पर ग्राहकों को DICGC से मिलेंगे 5 लाख से ज्‍यादा, सरकार कर रही प्‍लानिंग

डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन आरबीआई की एक सहायक कंपनी है, जो केंद्र सरकार द्वारा समर्थित है. यह किसी बैंक दिवालिया होने या दिवालियापन होने की स्थिति में छोटे ग्राहकों को सुरक्षा प्रदान करता है. यह प्रति जमाकर्ता, प्रति बैंक 5 लाख रुपये तक का बीमा कवरेज प्रदान करता है. यह कवरेज बचत खातों, फिक्स्ड डिपॉजिट, चालू खातों और रिकरिंग डिपॉजिट पर लागू होता है.

बीमा कवरेज को बढ़ाने पर विचार कर रही है सरकार. Image Credit: @tv9

बैंक के डूबने पर अब ग्राहकों को 5 लाख रुपये से ज्यादा का कवरेज मिल सकता है. इसके लिए केंद्र सरकार प्लानिंग कर रही है. कहा जा रहा है कि भारत सरकार डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) की बीमा कवरेज को 5 लाख रुपये से अधिक करने पर विचार कर रही है, ताकि बैंक के ग्राहकों को अधिक सुरक्षा मिल सके. यह जानकारी डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंस सर्विसेज के सचिव एम नागराजू ने सोमवार को दी.

फिलहाल, DICGC की बीमा कवरेज 5 लाख रुपये तक है, जो फरवरी 2020 में 1 लाख रुपये से बढ़ाई गई थी. यह कदम ग्राहकों की सुरक्षा को बढ़ाने और बैंकिंग प्रणाली में विश्वास बढ़ाने के लिए उठाया जा रहा है.

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RBI ने इस बैंक पर लिया था एक्शन

यह घटनाक्रम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 13 फरवरी को मुंबई स्थित न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के संचालन पर प्रतिबंध लगाने के बाद आया है. RBI ने पाया कि बैंक की लिक्विडिटी पॉजिशन और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी खतरे में है. इस प्रतिबंध के कारण, बैंक के ग्राहक अपने खातों से 30,000 रुपये से अधिक की निकासी नहीं कर पाएंगे.

यही वजह है कि सरकार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन की बीमा कवरेज को बढ़ाने पर विचार करना शुरू किया, जिससे बैंक जमाकर्ताओं को अधिक सुरक्षा मिलेगी. साथ ही सरकार का यह कदम ग्राहकों की चिंताओं को दूर करने और बैंकिंग प्रणाली में स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगा

साल 2021 में सरकार का फैसला

केंद्र सरकार ने 2021 में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया था, जिसके तहत असफल या संकटग्रस्त बैंकों के ग्राहकों को मोरेटोरियम की अवधि में 90 दिनों के भीतर अपनी जमा राशि वापस पाने की अनुमति दी गई थी. इस निर्णय के तहत, बैंक ग्राहक डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन की जमा बीमा योजना के तहत अपनी जमा राशि (अधिकतम 5 लाख रुपये) का दावा कर सकते हैं.

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