जॉइंट अकाउंट वालों के लिए बड़ी खबर! 10 लाख जमा करने पर मिल सकता है टैक्स नोटिस; ऐसे दें जवाब
संयुक्त बैंक खाते पर इनकम टैक्स विभाग का नया Rule 114E(2) खाता धारको के लिए परेशानी का कारण बन रहा है. यदि जॉइंट अकाउंट में 10 लाख रुपये से अधिक की रकम जमा होती है तो उसकी रिपोर्ट सभी खातेधारको के पैन पर दर्ज होती है. ऐसे में हाउसवाइफ या बुजुर्ग जिनकी खुद की आय नहीं है, वे भी टैक्स नोटिस के दायरे में आ सकते है.
Rule 114E: जॉइंट बैंक अकाउंट रखने वाले लोगों को अब एक नये नियम की वजह से परेशानी उठानी पड़ सकती है. इनकम टैक्स विभाग का Rule 114E(2) कहता है कि यदि किसी जॉइंट अकाउंट में 10 लाख रुपये या उससे अधिक की रकम जमा होती है तो यह पूरी जानकारी सभी खातेधारको के पैन पर दिखाई जाएगी. चाहे पैसा केवल एक व्यक्ति ने ही जमा क्यों न किया हो. इस वजह से कई बार जिन लोगों की कोई इनकम ही नहीं होती उनके नाम पर भी ट्रांजैक्शन दर्ज हो जाते है और उन्हें टैक्स नोटिस मिल सकता है.
क्या है Rule 114E(2)
यह नियम कहता है कि बैंक, पोस्ट ऑफिस और अन्य वित्तीय संस्थानो को 10 लाख रुपये से अधिक के डिपॉजिट या निवेश की रिपोर्ट टैक्स विभाग को देनी होगी. खास बात यह है कि रिपोर्टिंग सभी खातेधारको के पैन पर होती है. मतलब यदि पति पत्नी का जॉइंट अकाउंट है और केवल पति ने पैसा जमा किया है तो भी पत्नी के पैन पर वही रकम दिखाई देगी.
किस तरह की परेशानी आ सकती है
ज्यादातर बुजुर्ग, हाउसवाइफ या ऐसे लोग जिनकी खुद की इनकम नहीं है लेकिन सुविधा के लिए उनका नाम संयुक्त खाते में जोड़ा गया है, वे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे है. ऐसे लोगों के पैन पर हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन दिखने लगता है जबकि असल में उन्होंने कोई निवेश या जमा नहीं किया होता. नतीजा यह होता है कि टैक्स विभाग उनकी ओर से भी जवाब मांग सकता है.
क्या है समाधान
फिलहाल विभाग के पास ऐसा सिस्टम नहीं है जो यह ऑटोमेटिक पहचान सके कि असली निवेश किसने किया है. इस कारण से हर खातेधारक को अपनी वार्षिक जानकारी यानी AIS चेक करनी चाहिए. यदि जानकारी आपके नाम पर गलत दिख रही है तो उसे अन्य पैन से संबंधित बताते हुए फीडबैक दिया जा सकता है. साथ ही यह भी जरूरी है कि संबंधित कागजात सुरक्षित रखे जाए ताकि जरूरत पड़ने पर विभाग को दिखाए जा सके.
ये भी पढ़ें- म्यूचुअल फंड से कमाई पर कैसे लगता है टैक्स, जानें क्या है FIFO नियम; कैसे करता है काम
किस पर लागू है यह नियम
यह समस्या केवल हाउसवाइफ या बुजुर्गो के लिए नहीं बल्कि हर संयुक्त खातेधारक के लिए लागू है. जब भी 10 लाख या उससे अधिक की रकम जमा होती है तो वह सभी नामों पर दर्ज हो जाती है. इसलिए बेहतर यही है कि सक्रिय रूप से AIS चेक करें, सही फीडबैक दे और यदि जरूरत हो तो आईटीआर दाखिल भी करें.