म्यूचुअल फंड से कमाई पर कैसे लगता है टैक्स, जानें क्या है FIFO नियम; कैसे करता है काम
म्यूचुअल फंड निवेश पर टैक्स कैलकुलेशन Fixed Deposit या Real Estate से ज्यादा कठिन है. यहां FIFO यानी First In First Out मेथडोलॉजी लागू होती है, जिसमें सबसे पहले खरीदे गए यूनिट्स को पहले बेचा हुआ माना जाता है. इससे कैपिटल गेन टैक्स की कैलकुलेशन होती है. Debt Funds पर टैक्स आपकी स्लैब रेट से तय होता है.

FIFO: म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों के लिए टैक्स कैलकुलेशन उतना आसान नहीं होता जितना कि फिक्स्ड डिपॉजिट या रियल एस्टेट जैसे अन्य इंवेस्टमेंट में होता है. यहां टैक्स सिर्फ कमाई गई रकम पर ही नहीं बल्कि निवेश की अवधि और समय पर भी निर्भर करता है. इसी में सबसे अहम भूमिका होती है FIFO यानी First In First Out नियम की. यह नियम बताता है कि सबसे पहले खरीदे गए यूनिट्स पर ही सबसे पहले टैक्स लगाया जाएगा. ऐसे में निवेशकों को टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले FIFO को समझना जरूरी है.
कैसे काम करता है FIFO
FIFO यानी First In First Out का मतलब है कि जब आप अपने म्यूचुअल फंड यूनिट्स बेचते हैं तो सबसे पहले खरीदे गए यूनिट्स को बेचा हुआ माना जाता है. इसका सीधा असर इस बात पर होता है कि आपकी कमाई शॉर्ट टर्म गेन मानी जाएगी या लॉन्ग टर्म गेन. एक डिमैट अकाउंट इस प्रोसेस को आसान बना देता है क्योंकि सभी लेन-देन एक ही जगह पर दर्ज रहते हैं.
ये भी पढ़ें- मार्केट वोलैटिलिटी से बचने को Bonds में करें इन्वेस्ट, समझ लें 5 सबसे बड़े रिस्क और बचने की स्ट्रैटेजीटैक्स कैसे तय होता है कैपिटल गेन
कैपिटल गेन टैक्स निकालने के लिए सबसे पहले कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन यानी निवेश के समय चुकाई गई कीमत को घटाया जाता है. इसके बाद जो लाभ निकलता है उस पर टैक्स लगाया जाता है. उदाहरण के तौर पर अगर आपने 200 यूनिट 2000 रुपये में खरीदे और उनमें से 150 यूनिट 3000 रुपये में बेचे तो कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन 1500 रुपये होगी. इस पर आपको 1500 रुपये का कैपिटल गेन होगा.
इक्विटी और डेट फंड्स पर अलग नियम
वित्त वर्ष 2025-26 के अनुसार डेट फंड्स पर टैक्स आपकी इनकम टैक्स स्लैब रेट के हिसाब से लगता है. वहीं इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर लॉन्ग टर्म गेन यानी 12 महीने से ज्यादा होल्ड करने पर 12.5 फीसदी और शॉर्ट टर्म गेन यानी 12 महीने के भीतर बेचने पर 20 फीसदी टैक्स देना होता है.
हर महीने यूनिट खरीदने वालो के लिए जरूरी
FIFO नियम खासतौर पर उन निवेशकों के लिए अहम है जो SIP से हर महीने यूनिट खरीदते हैं. क्योंकि हर महीने खरीदे गए यूनिट्स के हिसाब से ही टैक्स तय होता है. अगर आप FIFO को समझ लेंगे तो टैक्स की कैलकुलेशन आसान हो जाएगी और रिटर्न फाइल करते समय दिक्कत भी कम होगी.
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