इस फिनटेक कंपनी पर चला RBI का डंडा, BNPL पर रोक, Swiggy-Zomato जैसे 26000 मर्चेंट नहीं ले पाएंगे पेमेंट
बेंगलुरु की बीएनपीएल कंपनी सिम्पल को आरबीआई ने तुरंत पेमेंट ऑपरेशन बंद करने का आदेश दिया है. 26,000 व्यापारियों के साथ काम करने वाली यह कंपनी बिना मंजूरी के पेमेंट सिस्टम चला रही थी. यह डिजिटल क्रेडिट पर आरबीआई की सख्ती का हिस्सा है, जहां अनसिक्योर्ड लोन और ग्राहकों की सुरक्षा की बात कही गई है. पहले ईडी ने भी एफडीआई उल्लंघन पर जांच की थी.

RBI action on Fintech Firm Simpl: बेंगलुरु की बाय-नाउ-पे-लेटर यानी BNPL कंपनी सिम्पल (Simpl) को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने तुरंत अपना पेमेंट ऑपरेशन बंद करने का आदेश दिया है. यह कंपनी 26,000 व्यापारियों के साथ काम करती है और ग्राहकों को चेकआउट पर पेमेंट की सुविधा देती है. कंपनी बिना आरबीआई की मंजूरी के पेमेंट सिस्टम चला रही थी, जो 2007 के पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम एक्ट का उल्लंघन है.
डिजिटल क्रेडिट पर क्यों है आरबीआई की नजर?
यह आदेश आरबीआई की डिजिटल क्रेडिट को कंट्रोल करने की मुहिम का हिस्सा है. हाल के वर्षों में बीएनपीएल स्कीम्स तेजी से बढ़ी हैं, जो ग्राहकों को तुरंत क्रेडिट और व्यापारियों को आसान बिक्री देती हैं. TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई को अनसिक्योर्ड लोन (Unsecured Loan), निगरानी में ढील और ग्राहक सुरक्षा की कमी की चिंता है. 2022 में आरबीआई ने बीएनपीएल कंपनियों को उधार के पैसे से प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स टॉप-अप करने से रोक दिया था.
क्या है कंपनी पर आरोप?
सिम्पल को वन सिग्मा टेक्नोलॉजीज चलाती है. पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में फंस चुकी है. आरोप है कि कंपनी ने फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) और विदेशी मुद्रा नियमों का उल्लंघन किया. कंपनी ने आईटी सर्विसेज के रूप में 913 करोड़ रुपये लिए, जो 100 फीसदी ऑटोमैटिक एफडीआई अप्रूवल के योग्य है. अब ईडी ने पाया कि असल बिजनेस फाइनेंशियल सर्विसेज है, जिसके लिए सरकारी मंजूरी जरूरी थी, जो नहीं ली गई.
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BNPL कैसे काम करता है?
बाय नाउ, पे लेटर (BNPL) एक डिजिटल क्रेडिट सुविधा है, जो ग्राहकों को खरीदारी के समय सामान तुरंत खरीदने और भुगतान बाद में करने की अनुमति देती है. जब आप ऑनलाइन या स्टोर में चेकआउट करते हैं, तो बीएनपीएल विकल्प चुनकर तुरंत क्रेडिट पा सकते हैं, जिसके लिए कंपनी आपका क्रेडिट स्कोर या बुनियादी जानकारी चेक करती है. इसके बाद, खरीदारी की राशि को छोटी-छोटी किस्तों में या निश्चित समय बाद बिना ब्याज या कम फीस के चुकाया जा सकता है. बीएनपीएल कंपनियां, जैसे सिम्पल, व्यापारियों से फी कमाती हैं और ग्राहकों को लचीला भुगतान विकल्प देती हैं, जिससे खरीदारी आसान हो जाती है, लेकिन डिफॉल्ट होने पर नुकसान कंपनी का होता है.
कार्ड नेटवर्क्स जैसा मामला
सिम्पल का यह मामला पिछले साल कार्ड नेटवर्क्स पर हुई कार्रवाई जैसा है, जहां बिना मंजूरी के थर्ड पार्टी के जरिए बिजनेस-टू-बिजनेस यानी B-to-B पेमेंट किए जा रहे थे. दोनों मामलों में गलती एक ही है. वो है बिना लाइसेंस के क्लियरिंग और सेटलमेंट करना. फर्क इतना है कि कार्ड नेटवर्क्स का मामला कॉरपोरेट कार्ड फ्लो से जुड़ा था, जबकि सिम्पल का कंज्यूमर क्रेडिट और पेमेंट एग्रीगेशन से. आरबीआई का संदेश साफ है कि चाहे कार्ड-बेस्ड हो या बीएनपीएल, सभी डिजिटल पेमेंट सिस्टम उसके नियमों के तहत आते हैं.
क्या कह रही कंपनी?
सिम्पल के एक सीनियर एक्जीक्यूटिव ने ToI को बताया कि हम अपना खुद का पैसा अपनी गारंटी पर इस्तेमाल करते हैं, कोई पब्लिक मनी शामिल नहीं है. अगर ग्राहक डिफॉल्ट करता है, तो नुकसान हमारा है. उन्होंने कहा कि कंपनी ब्याज नहीं लेती. हम मर्चेंट फी कमाते हैं और लेट फी लगाते हैं, ताकि ग्राहक ब्याज के चक्कर में ना फंसें.
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