आपके नाम पर किसी और ने तो नहीं लिया लोन! पैसे चुराने से ज्यादा आसान है क्रेडिट डेटा चुराना, जानें धोखाधड़ी से बचने के तरीके

आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और डिजिटल लेंडिंग के चलते क्रेडिट जानकारी चोरी होने का खतरा बढ़ गया है. स्कैमर फर्जी लोन लेकर लोगों की फाइनेंशियल हेल्थ को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इससे बचाव के लिए सुरक्षित नेटवर्क, एन्क्रिप्शन, और नियमित रूप से क्रेडिट स्कोर जांच जरूरी है.

क्रेडिट स्कैम से बचाव Image Credit: canva

आज के डिजिटल जमाने में शॉपिंग से लेकर पेमेंट तक सब कुछ ऑनलाइन हो गया है. भारत में रोजाना लाखों लोग ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के जरिये लेनदेन करते हैं इसलिए आज के हाईटेक जमाने में आपके पैसे चुराने से ज्यादा आसान है किसी की क्रेडिट जानकारी चुराना. क्योंकि ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए लोग क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड को भी इस्तेमाल करते हैं और ऐसे में आपकी क्रेडिट डिटेल चोरी होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. क्रेडिट डेटा चोरी होने से आपकी फाइनेंशियल हेल्थ को नुकसान पहुंच सकता है. कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिसमें ग्राहक की बिना सहमति के उसका लोन शुरू हो गया. आइये जानते हैं कि ऑनलाइन लोन कैसे काम करता है और धोखाधड़ी से कैसे बचा जा सकता है.

डिजिटल लेंडिंग में बढ़ता खतरा

आजकल लगभग सभी लेंडर ग्राहकों की क्रेडिट रिपोर्ट की जांच करते हैं. ये जानकारी चार प्रमुख ब्यूरो से ली जाती है जिनमें सिबिल सबसे बड़ा है. जब भी कोई नए लोन के लिए आवेदन होता है, यह तुरंत उधारकर्ता की क्रेडिट हिस्ट्री की जांच करता है और अगर सब कुछ ठीक हो तो लोन तुरंत स्वीकृत कर देता है. यह पूरा प्रोसेस ऑनलाइन होता है. आवेदन, वेरिफिकेशन, सिग्नेचर और डिस्बर्सल ऑनलाइन होने के बाद कुछ ही सेकंड्स में लोन पास हो जाता है. इस डिजिटल लेंडिंग के बढ़ते चलन ने धोखाधड़ी के मामलों को भी बढ़ा दिया है.

क्रेडिट संबंधी धोखाधड़ी से बचने के लिए करें ये काम

लेंडर को भी ध्यान में रखनी चाहिए ये बातें

भारत में लोन स्वीकृति की प्रक्रिया इतनी तेज है कि कई बार उचित पहचान की जांच नहीं की जाती है और केवल मोबाइल नंबर या ईमेल के आधार पर भी लोन पास कर दिया जाता है जिससे धोखाधड़ी होने की संभावना बढ़ जाती है. इससे बचाव के लिए लेंडर को भी तीन चीजों को जरूर चेक करना चाहिए.

कई देशों में ये सभी सुरक्षा उपाय पहले से लागू हैं. भारत में भी “अकाउंट एग्रीगेटर सिस्टम” मौजूद है, जो ऐसी सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन अभी इसे क्रेडिट रिपोर्ट्स में लागू नहीं किया गया है.