महंगाई घटी, फिर क्यों जेब पर भारी, जानें कहां छुपी है असली वजह

जुलाई में महंगाई के आंकड़े चौंकाने वाले रहे. रिटेल इन्फ्लेशन 6 साल के निचले स्तर पर, थोक महंगाई 19 महीने के न्यूनतम पर आ गया, लेकिन आम आदमी को राहत क्यों नहीं मिल रही? आलू-प्याज और दालें अभी भी महंगी हैं. असल में, आंकड़े साल-दर-साल तुलना पर आधारित हैं, जबकि मासिक आधार पर कीमतें बढ़ी हैं. आंकड़े और हकीकत की असली तस्वीर देखें इस रिपोर्ट में.

Real Image of Inflation Image Credit: Canva/ Grok

Effect of Inflation on Common Men: जुलाई के महीने में महंगाई को लेकर दो बड़ी खबरें आती है. पहली खबर यह थी कि रिटेल महंगाई दर यानी वह महंगाई जो आम आदमी दुकान, ठेलों, ग्रॉसरी स्टोर पर खरीदारी के समय महसूस करता है. सरकार की रिपोर्ट कहती है कि रिटेल महंगाई 6 साल के निचले स्तर पर आ गई है. इसके कुछ घंटे पहले थोक महंगाई के आंकड़े जारी होते हैं.

जिसमें रिपोर्ट यह बताती है कि वह 19 महीने के निचले स्तर पर है. यानी दुकानदार, बड़े सुपर मार्केट सीधे बाजार से जिस रेट पर खरीदारी करते हैं, वह भी घट गई है. सुनकर खुशी के साथ अचरज भी होता है कि अगर महंगाई इतनी ज्यादा घट गई है तो फिर आलू 30-40 रुपये, प्याज 35-40 रुपये, हरी सब्जियों की कीमतें क्यों ज्यादा लग रही हैं, तुअर की दाल अभी भी 200 रुपये क्यों है. भाई क्या मामला है कि आंकड़ों में महंगाई घट गई लेकिन हमारी जेब पर वो असर क्यों नहीं दिख रहा और थोड़ी सी खरीदारी में झोला क्यों भर जाता है. तो इस अबूझ पहले को आज हम सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं..

पहले देखिए आंकड़ों में कहां पहुंची महंगाई

जून में थोक महंगाई दर -0.13 फीसदी रही. यह 19 महीनों के बाद शून्य से नीचे आई है. इसी तरह रिटेल महंगाई दर 2.1 फीसदी रही. यह बीते 6 सालों में रिटेल इन्फ्लेशन का सबसे निचला स्तर है. महंगाई के आंकड़े से तो लग रहा है कि इसमें बड़ी गिरावट आई है. बात भी सही है. लेकिन जब इसकी सही से पड़ताल करेंगे, तो असली वजह पता चलेगी. असल में महंगाई की तुलना हमेशा पिछले साल की अवधि में दर्ज रेट से होते हैं. यानी अगर आप जून 2025 में महंगाई का हाल जानना चाहते हैं तो उसकी तुलना जून 2024 की महंगाई दर से होगी. अब यही पेंच है. मान लीजिए जून 2024 में आपको आलू 45 रुपये में मिल रहा था, वह अब जून 2025 में 35-40 रुपये में मिल रहा है तो जाहिर है कीमत कम हो गई. लेकिन आपकी जेब को इसलिए नहीं महसूस रही है कि आलू की कीमतें 45 रुपये भी ज्यादा हैं और 40 रुपये भी आपकी जेब के लिए ज्यादा है. इसके अलावा कीमतें राज्य स्तर पर बदलती रहती है. नीचें दिए गए टेबल से आप समझ सकते हैं कि इन राज्यों के लोगों पर सबसे ज्यादा महंगाई की मार पड़ रही है. और यहां पर औसत महंगाई दर कहीं ज्यादा है.

राज्यप्रतिशत (%)
केरल 6.71
पंजाब 4.67
जम्मू और कश्मीर4.38
उत्तराखंड 3.40
हरियाणा 3.10
सोर्स- भारत सरकार

CPI कम, पर महंगाई बढ़ी!

भारत में महंगाई की तुलना या तो महीने (M-o-M) के आधार पर या वार्षिक (Y-o-Y) आधार पर की जाती है. 14 जुलाई को आए खुदरा महंगाई दर (CPI) के आंकड़ों की गणना पिछले साल की तुलना (Y-O-Y) में की गई थी. अगर CPI 2.1 फीसदी है, तो इसका मतलब है कि जो सामान पिछले साल के जून महीने में 100 रुपये में मिल रहे थे, वे अब 102.1 रुपये में मिलेंगे. जबकि जून 2024 में देश में खुदरा महंगाई दर 5.08 फीसदी थी. यानी 5 फीसदी की तुलना में 2 फीसदी महंगाई कम है. लेकिन अभी वह जेब पर भारी है.

अवधिCPI (%)प्रभाव ( प्रति ₹100)क्या असर
जून 2024 → जून 20252.10%₹2.10 का इजाफाएक साल पहले ₹100 का समान वस्तु आज ₹102.10 में मिलेगा
जून 2023 → जून 20245.08%₹5.08 का इजाफाएक साल पहले ₹100 का समान वस्तु जून 2024 में ₹105.08 में था

पढ़ाई-स्वास्थ्य, परिवहन पर ज्यादा असर

महंगाई (कैटेगरी)मई 2025 (%)जून 2025 (%)क्षेत्रअसर
आवास 3.163.24 केवल शहरीवृद्धि
शिक्षा 4.124.37 ग्रामीण व शहरीवृद्धि
स्वास्थ्य 4.344.43 ग्रामीण व शहरीवृद्धि
परिवहन एवं संचार 3.853.90 ग्रामीण व शहरीवृद्धि

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खाने-पीने की वस्तुओं पर कम असर

आम आदमी को महंगाई कम होने का अनुभव इसलिए भी नहीं हो रहा है, क्योंकि पिछले साल भी महंगाई अधिक थी. अब उसमें मामूली कमी आने के कारण बाजार में सामानों के दामों में ज्यादा कमी नहीं आई है. जून में खाद्य महंगाई दर (Y-O-Y) में -1.06 फीसदी की कमी आई. इसका मतलब है कि 100 रुपये का सामान अब 98.94 रुपये में मिल रहा है.

खाद्य वस्तु (रिटेल )जुलाई 2024जून 2025जुलाई 2025
गेहूं0.32%-0.32%0.21%
आटा-0.83%-0.27%0.02%
दालें1.10%-0.88%-0.65%
खाद्य तेल-1.28%-0.20%0.11%
चाय-0.72%-0.11%0.23%
आलू15.82%3.72%1.94%
प्याज20.72%-0.37%5.40%
टमाटर56.19%36.05%25.69%
डाटा सोर्स- मिंट

पिछले साल की तुलना में खाद्य महंगाई में -1.06 फीसदी की कमी आई, लेकिन मई 2025 की तुलना में जून में इसमें 1.08 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इसका मतलब है कि जो सामान मई महीने में 97.90 रुपये में मिल रहा था, वह अब 98.94 रुपये में मिल रहा है. खाद्य वस्तुओं की कीमत में प्रति 100 रुपये पर 1.04 रुपये की बढ़ोतरी हुई है. इसलिए उपभोक्ताओं को महंगाई कम होने का अनुभव नहीं हो रहा है.

FMCG सेक्टर पर नहीं दिख रहा असर

एक सबसे बड़ा सवाल यह है कि खुदरा महंगाई दर में कमी होने के बावजूद भी FMCG कंपनियां संघर्ष कर रही हैं. इस सेक्टर की कंपनियों के लिए पिछली तिमाही के नतीजे कुछ खास अच्छे नहीं रहे. कई कंपनियों को मंदी, महंगाई और बढ़ती लागत का सामना करना पड़ा, जिससे उनके मुनाफे और मार्जिन पर असर पड़ा. इसी क्रम में FMCG सेक्टर की दिग्गज कंपनी HUL के चौथी तिमाही के नतीजों के बाद मार्जिन को लेकर चिंताएं बनी रहीं. वॉल्यूम ग्रोथ, अनुमान से थोड़ी बेहतर रही, लेकिन कीमतों में सिंगल‑डिजिट बढ़ोतरी और कमजोर गाइडेंस के चलते निवेशकों में निराशा देखकर हुई. नेस्ले के नतीजों में भी प्रॉफिट और मार्जिन दोनों पर दबाव देखने को मिला. चौथी तिमाही में कुल मिलाकर कंपनियों का प्रदर्शन ठंडा ही रहा. इसका असर यह रहा कि इन कंपनियों के शेयर लगभग 10 फीसदी तक टूट गए.

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