अब जमीन की लोकेशन और यूज से तय होगी सर्किल रेट, UP में लागू हुआ नया स्टैंडर्ड सिस्टम; पूरे प्रदेश में होगा एक जैसा नियम

उत्तर प्रदेश में अब जमीन का सर्किल रेट उसकी लोकेशन और यूज के आधार पर तय होगा. स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग ने नया स्टैंडर्ड सिस्टम लागू किया है जिसके तहत सड़क से सटी जमीन का रेट ज्यादा और अंदरूनी इलाके की जमीन का रेट कम होगा. इससे ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी और लोग सॉफ्टवेयर के जरिए प्रॉपर्टी वैल्यू घर बैठे जान सकेंगे.

उत्तर प्रदेश में अब जमीन का सर्किल रेट उसकी लोकेशन और यूज के आधार पर तय होगा.

Circle Rate UP: उत्तर प्रदेश में जमीन खरीदने और बेचने वालों के लिए बड़ी खबर है. स्टांप और रजिस्ट्रेशन विभाग ने अब सर्किल रेट तय करने का नया स्टैंडर्ड सिस्टम लागू किया है. अब जमीन की कीमत उसकी लोकेशन के हिसाब से तय होगी. सड़क के किनारे स्थित जमीन का सर्किल रेट ज्यादा होगा जबकि सड़क से दूर जमीन का रेट कम होगा. इससे संपत्ति के वैल्यूएशन में ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी और आम आदमी अपनी जमीन की सही कीमत घर बैठे जान सकेगा.

लोकेशन के हिसाब से तय होंगे सर्किल रेट

पहले सड़क से सटी और सड़क से दूर जमीनों का सर्किल रेट समान होता था. लेकिन अब नई व्यवस्था में यह रेट लोकेशन के आधार पर बदलेगा. सड़क के पास की जमीन महंगी होगी जबकि अंदरूनी क्षेत्रों में सस्ती. इससे स्टांप ड्यूटी भी उसी हिसाब से तय होगी.

प्रदेशभर में लागू हुए यूनिवर्सल स्टैंडर्ड

अब तक सर्किल रेट तय करने की 14 श्रेणियां थीं, जो हर जिले में अलग-अलग तरीके से तय होती थीं. नई व्यवस्था में अब 15 कैटेगरी होंगी और सभी जिलों में एक समान स्टैंडर्ड लागू होंगे. इससे एकरूपता आएगी और विवाद की संभावना कम होगी.

जमीन की कैटेगरी के हिसाब से अलग रेट

कृषि, गैर कृषि और वाणिज्यिक भूखंडों के लिए अलग-अलग दरें तय की गई हैं. सड़क से सटे भूखंड, होटल, अस्पताल, पेट्रोल पंप, सिनेमाहॉल, कोचिंग सेंटर जैसी जगहों के लिए अलग-अलग दरें रहेंगी. इससे जमीन का उपयोग देखते हुए रेट तय किया जाएगा.

निर्माण की उम्र पर भी असर पड़ेगा रेट पर

नई व्यवस्था में निर्माण की उम्र के आधार पर 20 से 50 फीसदी तक डेप्रिसिएशन लागू होगा. साथ ही, वृक्षों का मूल्यांकन उनकी आयु और परिधि के आधार पर किया जाएगा. इससे पुराने भवन और पेड़ों वाली जमीन की कीमत तय होगी.

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सरकार का कहना है ट्रांसपेरेंट बनेगी प्रक्रिया

सरकार का कहना है कि नए मानक से अनावश्यक अदालती मुकदमे और विवाद खत्म होंगे. शहर, अर्धशहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को अलग-अलग वर्गों में बांटकर रेट तय किए जाएंगे. इसके लिए सॉफ्टवेयर भी तैयार किया जा रहा है जिससे लोग ऑनलाइन अपनी संपत्ति का मूल्य जान सकेंगे.