घर तो नहीं मिला पर कर्ज और केस जरूर मिले; दिल्ली-NCR के होमबायर्स के लिए सबवेंशन स्कीम बनी सिरदर्द
ईएमआई सबवेंशन स्कीम से जुड़े हजारों लोग आज भी घर पाने का इंतजार कर रहे हैं. कोर्ट के दखल के बावजूद इस समस्या का पूरा समाधान अब तक नहीं निकल पाया है. यह मामला बताता है कि घर खरीदने से पहले ग्राहकों को हर वित्तीय योजना को पूरी तरह समझना चाहिए और किसी भी लुभावने ऑफर के झांसे में नहीं आना चाहिए.

Homebuyers Trapped in EMI Subvention Scam: घर खरीदना हर भारतीय का सपना होता है, लेकिन यह उनके जीवन की सबसे महंगी खरीदारी भी होती है. लोग सालों तक बचत करते हैं मगर बढ़ती कीमतें और जल्द घर पाने की लालसा उन्हें ज्यादा कर्ज लेने पर मजबूर कर देती है. इस मानसिकता का फायदा बिल्डर और रियल एस्टेट कंपनियां उठाती हैं. आकर्षक ऑफर्स और आसान भुगतान योजनाओं का वादा कर वे ग्राहकों को ऐसे जाल में फंसा देती हैं जिससे निकलना आसान नहीं होता. दिल्ली-एनसीआर के हजारों होमबायर्स के साथ ऐसा ही हुआ, जब वे ईएमआई सबवेंशन स्कीम के चक्कर में फंस गए.
ईएमआई सबवेंशन स्कीम, जहां सपना बना संघर्ष
गुरुग्राम के मनीष मिनोचा ने 2015 में सुपरटेक हिलटाउन में 2BHK फ्लैट बुक किया था. स्कीम के तहत तीन साल बाद उन्हें घर की चाबी मिलनी थी और तब तक बिल्डर बैंक को प्री-ईएमआई का भुगतान करता. लेकिन सालों बाद भी उनका घर अधूरा है, बिल्डर ने EMI चुकाने बंद कर दिए और अब बैंक उन पर कानूनी कार्यवाही की धमकी दे रहा है.
2015-16 में जब दिल्ली-एनसीआर में कई प्रोजेक्ट्स की डिलीवरी में देरी हो रही थी, तब सबवेंशन स्कीम एक सुरक्षित विकल्प की तरह पेश की गई थी. इस स्कीम के तहत होमबायर्स को तब तक EMI नहीं चुकानी थी जब तक उन्हें घर मिल नहीं जाता. बिल्डर बैंक से लोन लेते और जब तक घर का कब्जा न मिले, प्री-ईएमआई चुकाते. मगर हकीकत कुछ और ही निकली.
बिल्डर्स की धोखाधड़ी, बैंकों की मिलीभगत
सबवेंशन स्कीम का सच यह है कि कई बिल्डर्स ने बैंकों से मोटी रकम लेकर प्रोजेक्ट्स अधूरे छोड़ दिए. जब बिल्डर ने भुगतान करना बंद किया तो बैंक सीधे खरीदारों के पीछे पड़ गए. जब हजारों होमबायर्स बैंकों और बिल्डरों के इस गोरखधंधे से परेशान हो गए तो उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिल्डर्स और बैंकों की मिलीभगत को “स्पष्ट धोखाधड़ी” करार दिया और सीबीआई जांच के आदेश दिए.
टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से कंज़्यूमर राइट्स एक्सपर्ट गौरव सिंह के मुताबिक, “बैंकों ने आरबीआई की गाइडलाइंस को तोड़ते हुए सीधे बिल्डर्स को पैसे दे दिए. जब बिल्डर डिफॉल्ट हुए तो उन्होंने बोझ होमबायर्स पर डाल दिया. यह पूरी योजना ही गलत थी.” 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को सख्त निर्देश दिए कि वे बिना किसी ठोस समाधान के होमबायर्स पर ईएमआई चुकाने के लिए दबाव न बनाएं. हालांकि, अब भी कई खरीदार कानूनी कार्यवाही और आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.
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