प्रोजेक्‍ट पूरा होने में देरी होने पर बिल्‍डर नहीं वसूल सकते ब्‍याज, सुप्रीम कोर्ट का है आदेश

प्रोजेक्‍ट पूरा होने में देरी होने पर बिल्‍डर नहीं वसूल सकते ब्‍याज, जानिए क्या है मामला

हाल ही में, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है जो घर खरीदने वालों और डेवलपर्स दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. इस मामले में गुरुदर्शन सिंह ने फरीदाबाद के प्राणायाम में 50.9 लाख रुपये में एक फ्लैट खरीदी थी, जिसका हैंडओवर दिसंबर 2011 में होना था, लेकिन देरी के कारण, अपार्टमेंट केवल 2013 में रहने के लिए तैयार हो सका.


क्या है पूरा मामला


गुरुदर्शन सिंह ने फरीदाबाद के प्राणायाम में 50.9 लाख रुपये में एक फ्लैट बुक किया था. फ्लैट का हैंडओवर दिसंबर 2011 में होना था, 10 अप्रैल, 2024 को, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हमें लगता है कि एनसीडीआरसी का आदेश, जिसमें डेवलपर को घर खरीदारों से देर से भुगतान पर ब्याज वसूलने की अनुमति दी गई थी, गलत है.” इसके चलते, सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों द्वारा मासिक किस्तों के भुगतान में देरी पर डेवलपर द्वारा लगाए गए ब्याज को रद्द कर दिया.


क्या है एनसीडीआरसी का निर्णय


एनसीडीआरसी के फैसले के अनुसार, अगर कोई प्रोजेक्ट तय समय से पहले पूरा हो जाता है, तो डेवलपर्स घर खरीदने वालों से बकाया भुगतान पर ब्याज नहीं ले सकते. यह फैसला भारत के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार है, जो घर खरीदने वालों को प्रोजेक्ट में देरी के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान से बचाने के लिए है.

फिर भी, कुछ राज्यों में रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (RERA) अलग-अलग आदेश जारी कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, कर्नाटक में एक हालिया मामले में, RERA ने खरीदार को एक प्रोजेक्ट में देरी के लिए डेवलपर को ब्याज का भुगतान करने को कहा, जो कि इस फैसले के खिलाफ था.

एक अन्य महत्वपूर्ण उदाहरण में, सुप्रीम कोर्ट ने एनसीडीआरसी के एक फैसले को पलट दिया जिसमें डेवलपर को भुगतान में देरी के लिए ब्याज वसूलने की अनुमति दी गई थी. कोर्ट ने कहा कि जब फ्लैट का कब्जा देने में देरी डेवलपर के कारण हुई हो, तो ऐसा दंड अनुचित है.