इंसॉल्वेंसी की गिरफ्त में सुपरटेक, 15 हजार परिवार अब भी इंतजार में, क्या सुप्रीम कोर्ट से मिलेगी राहत?
दिल्ली-एनसीआर की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में से एक आज ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहां हजारों निवेशकों का भविष्य दांव पर लगा है. बीते कुछ सालों से संकट गहराता गया है और अब सबकी नजरें अदालत के फैसले पर हैं, जो तय करेगा खरीदारों की उम्मीदें टूटेंगी या बनेंगी.

दिल्ली-NCR की जानी-मानी रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक लिमिटेड पर बीते कुछ सालों से वित्तीय संकट गहराता जा रहा है. कंपनी पर इंसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग्स चल रही हैं, जिसकी वजह से हजारों निवेशकों और मकान खरीदारों की मेहनत की कमाई अधर में फंसी हुई है. इसी बीच कंपनी के पूर्व चेयरमैन आर.के. अरोड़ा ने जानकारी दी है कि पिछले तीन सालों में सुपरटेक ने अपने 16 प्रोजेक्ट्स में 6,121 फ्लैट्स खरीदारों को डिलीवर किए हैं.
इंसॉल्वेंसी की प्रक्रिया और कोर्ट की दखल
मार्च 2022 में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने सुपरटेक लिमिटेड को कॉरपोरेट इंसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) में भेजा था. इसके खिलाफ कंपनी ने अपील दायर की थी. इसके बाद NCLAT ने जून 2022 में आदेश दिया कि केवल ‘इको विलेज-2’ प्रोजेक्ट पर ही क्रेडिटर्स कमेटी (CoC) बनेगी, जबकि बाकी प्रोजेक्ट्स का काम पुराना मैनेजमेंट अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल की निगरानी में पूरा करेगा.
कंपनी के मुताबिक, जून 2022 से अब तक रीवर्स इंसॉल्वेंसी प्रोसेस के दौरान 6121 फ्लैट्स की डिलीवरी हो चुकी है. हालांकि, करीब 15000 फ्लैट्स अभी भी अधूरे हैं, जो नोएडा, ग्रेटर नोएडा और मेरठ के प्रोजेक्ट्स में फंसे पड़े हैं.
निवेशकों की चिंता बरकरार
सुपरटेक ने एपेक्स हाइट्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट में एक संयुक्त रिजॉल्यूशन प्लान दायर किया है. इस योजना के तहत एपेक्स हाइट्स अगले 12 महीनों में 500 करोड़ रुपये निवेश करेगी. यह पैसा निर्माण कार्य पूरा करने, घर खरीदारों को कब्जा देने और बकाया चुकाने में लगाया जाएगा. अगर सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलती है तो कंपनी का दावा है कि दो साल में सभी प्रोजेक्ट्स पूरे हो सकते हैं.
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हालांकि कंपनी ने फ्लैट्स की डिलीवरी शुरू कर दी है, लेकिन जिन लोगों का पैसा अब भी फंसा हुआ है, उनकी परेशानी जस की तस है. सुपरटेक के कई प्रोजेक्ट्स में हजारों निवेशकों ने अपनी जमा पूंजी लगाई थी और वे वर्षों से अपने घर का इंतजार कर रहे हैं.
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