Bitcoin vs Ether: दुनिया की दो सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी में क्या है अंतर, किसके लिए कौन बेहतर?
बिटकॉइन और ईथर दुनिया की दो सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी हैं. दुनियाभर में करोड़ों निवेशक इनसे जुड़े हैं. अगर आप भी इन दोनों में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं, तो पहले दोनों के बारे में उन बुनियादी अंतरों को समझना जरूरी है, जिनकी वजह से ये एक-दूसरे अलग हैं.
Bitcoin को संक्षिप्त में BTC कहा जाता है. Ether को इसी तरह ETH कहा जाता है. एथर को अक्सर Ethereum के नाम से भी जाना जाता है. मार्केट कैप के लिहाज से BTC दुनिया की सबसे बड़ी Cryptocurrency है. मंगलवार 29 अप्रैल को इसका मार्केट कैप करीब एक ट्रिलियन डॉलर है. वहीं, ETH का मार्केट कैप करीब 200 अरब डॉलर है. बहरहाल, अगर आप इन दोनों में निवेश करना चाहते हैं, तो दोनों के बारे में कुछ बुनियादी बातें समझना जरूरी है.
अस्तित्व में आने का मकसद
BTC और ETH में पहला फर्क दोनों Cryptocurrency के अस्तित्व में आने की वजह है. बिटकॉइन को एक ऐसे ग्लोबल पी2पी पेमेंट सिस्टम के तौर पर डिजाइन किया गया है. यह बैंकों जैसे तीसरे पक्ष पर भरोसे की जरूरत के बिना लोगों को आपस में लेनदेन में सक्षम बनाता है. वहीं, दूसरी तरफ एथेरियम प्लेटफॉर्म को एक नेटिव डिजिटल एसेट के तौर पर डिजाइन किया गया है. यह मोटे तौर पर ऐप्स के डिसेंट्रलाइजेशन पर केंद्रित है. इसकी मदद से यूजर डिसेंट्रलाइज्ड ऐप्स के इस्तेमाल के लिए फीस का लेनदेन भी कर सकते हैं.
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का अंतर
बिटकॉइन और एथिरियम के बीच एक बड़ा अंतर यह है कि एथेरियम नेटवर्क स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का इस्तेमाल करता है. मूल रूप से ये सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होते हैं जो विशेष जरूरतों को पूरा करते हैं. ये स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट तमाम ऐप्स के प्रॉसेस को ऑटोमेट करते हैं. इसके चलते किसी इंटरमिडिएडरी की जरूरत नहीं पड़ती है. यही वह वजह है, जिसके चलते एथिरियम ऐप्स के डिसेंट्रलाइजेशन को सपोर्ट कर पाता है.
कंसेंसस मैकेनिज्म में अंतर
एक बड़ा अंतर दोनों नेटवर्क के कंसेंसस मैकेनिज्म में है. दोनों डिसेंट्रलाइज्ड ब्लॉकचेन नेटवर्क हैं. ऐसे में किसी लेनदेन को वैरिफाइड घोषित किए जाने के लिए एक विशेष पद्धति के जरिये आम सहमति दर्ज की जाती है. दोनों नेटवर्क की यह पद्धति अलग-अगल होती है. बिटकॉइन में जहां प्रूफ-ऑफ-वर्क POW नाम से एक आम सहमति तंत्र का उपयोग किया जाता है. इसके तहत यूजर लेनदेन की पुष्टि करते हैं और उन्हें ब्लॉक में शामिल करते हैं. POW को बिजली और कंप्यूटिंग पावर की जरूरत पड़ती है. POW की वजह से ही किसी भी यूजर के लिए बिटकॉइन नेटवर्क को धोखा दे पाना मुश्किल है. वहीं, Ethereum के ब्लॉकचेन में यूजर के ट्रांजेक्शन को वैरिफाई करने और ब्लॉकचेन में जोड़ने के लिए प्रूफ ऑफ स्टेक यानी POS का इस्तेमाल किया जाता है.
बिटकॉइन और एथर के फायदे-नुकसान
बिटकॉइन दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टो करेंसी है. निवेशक, सरकार और वित्तीय संस्थानों ने सभी ने बिटकॉइन में निवेश किया है, जिससे इसमें निवेश भरोसेमंद लगता है. इसके अलावा निवेश के लिहाज से बिटकॉइन ज्यादा सुरक्षित है, क्योंकि इसे बनाया ही एक करेंसी के तौर पर गया है. वहीं, इसके नुकसान देखे जाएं, तो यह बहुत वोलेटाइल है. इसके अलावा बॉन्ड्स या स्टॉक्स की तरह बिटकॉइन की कोई फंडामेंटल वेल्यू नहीं है. इसके अलावा अवैध गतिविधियों में इसका इस्तेमाल भी चिंता का विषय है.
एथर के फायदे और नुकसान
Ethereum Network यूजर सिर्फ क्रिप्टो करेंसी के साथ ही डिसेंट्रलाइज्ड ऐप्स तक पहुंच देता है. बिटकॉइन की तरह ही एथर भी प्रमुख एक्सचेंज पर मौजूद है और डिजिटल फाइनेंस को डिसेंट्रलाइज्ड बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है. खासतौर पर ऐप डेवलपरर्स और यूजर्स के लिए यह भुगतान की ऐसी व्यवस्था देता है, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की भागीदारी नहीं होती है. वहीं, इसके नेगेटिव पहलुओं की बात करें, तो एथेरियम नेटवर्क को दूसरे कई ऑल्टकॉइन से चुनौती मिल रही है. इस तरह एथर को स्केलेबल बनाने और में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है.
दोनों के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती
बिटकॉइन और एथर से जुड़ा सबसे बड़ा जोखिम यह है कि दोनों में किया गया निवेश कभी भी अचानक डूब सकता है. क्योंकि, दोनों में अच्छी खासी तेजी आ चुकी है.
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