तिमाही-दर-तिमाही हो रही बिकवाली, FII- प्रमोटर ने की ताबड़तोड़ सेलिंग! भयंकर टूटा ये मल्टीबैगर स्टॉक
Dixon Technologies में तेज गिरावट की बड़ी वजह प्रमोटर और FII होल्डिंग में लगातार कमी है. प्रमोटर हिस्सेदारी 34% से घटकर 28.9% और FII हिस्सेदारी 23.2% से 20.6% होने से निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है. साथ ही कंपनी की कमज़ोर मोबाइल गाइडेंस और चीन की बढ़ती कंपटीशन ने सेंटिमेंट पर दबाव बढ़ाया है. तकनीकी चार्ट भी कमजोरी दिखा रहे हैं.
Dixon Technologies: भारत की सबसे बड़ी EMS कंपनियों में शामिल Dixon Technologies के शेयरों में हाल के दिनों में तीखी गिरावट देखने को मिली है. दिसंबर में ही स्टॉक लगभग 15% टूट चुका है और अपने रिकॉर्ड हाई से 33% नीचे ट्रेड कर रहा है. तेजी में लगातार नई ऊंचाइयां छूने वाले Dixon के लिए गिरावट का यह दौर निवेशकों को हैरान कर रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है, प्रमोटर और FII की तेज बिकवाली , जिसने बाजार के भरोसे को कमजोर कर दिया है. हालांकि आज, 12 दिसंबर को इसके शेयरों में 2.65 फीसदी की तेजी देखने को मिली जिससे चलते यह 13,332 रुपये पर ट्रेड कर रहा था.
प्रमोटर होल्डिंग में तेज गिरावट
Dixon Technologies की प्रमोटर होल्डिंग में वित्त वर्ष 2024 के तिमाहियों से लगातार गिरावट दर्ज की गई है. Q1FY24 में जहां प्रमोटर हिस्सेदारी 32.4% थी, वहीं Q2FY26 में यह घटकर 28.9% रह गई. लगभग 5 फीसदी अंकों की इस गिरावट ने निवेशकों के बीच यह धारणा बनाई कि मैनेजमेंट शायद मौजूदा वैल्यूएशन या निकट भविष्य की ग्रोथ को लेकर सतर्क है. हालांकि कंपनी ने स्पष्ट किया है कि आगे प्रमोटर होल्डिंग स्थिर रहेगी, लेकिन तब तक बाजार इस कमी को एक कमजोर संकेत मान चुका था.
FII ने भी कम की हिस्सेदारी
केवल प्रमोटर्स ही नहीं, बल्कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी कम की है. Q3FY25 में FII हिस्सेदारी 23.2% थी, जो Q2FY26 में घटकर 20.6% रह गई. FII होल्डिंग में यह लगातार कमी इस बात का संकेत है कि बड़े संस्थागत निवेशक उच्च वैल्यूएशन और सेक्टर में बढ़ती कंपटीश को लेकर सतर्क हैं. यही ट्रेंड स्टॉक पर अतिरिक्त बिकवाली का दबाव बनाता है और निवेशक सेंटिमेंट को कमजोर करता है.
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निवेशकों का कॉन्फिडेंस क्यों हिला?
Dixon हमेशा से PLI स्कीम और मजबूत ऑर्डर बुक का लाभ उठाने वाली कंपनी रही है और पिछले 5 सालों में इसके स्टॉक ने 2,889% का शानदार रिटर्न दिया है. इसके बावजूद प्रमोटर और FII, दोनों की हिस्सेदारी का एक साथ घट जाना निवेशकों के मन में कई सवाल खड़े करता है, क्या कंपनी का वैल्यूएशन अब बहुत महंगा हो चुका है, क्या भविष्य की ग्रोथ पहले जैसी तेज नहीं रहेगी, क्या चीन की बढ़ती कंपटीशन से Dixon की पकड़ कमजोर हो रही है, और क्या मोबाइल डिवीजन की कमजोर गाइडेंस इसके पीछे का बड़ा कारण है? यही चिंताएं मिलकर बाजार में कंपनी के लिए एक नर्वस सेंटिमेंट तैयार कर रही हैं. पिछले 5 साल में इसने निवेशकों को 418 फीसदी का रिटर्न दिया है.
चीन की बढ़ती पकड़ से बिकवाली को और हवा
कंपनी ने हाल ही में मोबाइल यूनिट्स की गाइडेंस को 50 मिलियन से घटाकर 40–41 मिलियन यूनिट्स कर दिया है, जिससे ऑपरेशनल ग्रोथ को लेकर बाजार में सतर्कता बढ़ी है. इसी के साथ, चीनी EMS प्लेयर्स जैसे BYD और DBG भारत में तेजी से अपने ऑपरेशन बढ़ा रहे हैं, जबकि Motorola जैसे ब्रांड Dixon से अपना वॉल्यूम डायवर्ट कर रहे हैं. यह बदलता हुआ परिदृश्य Dixon के लिए एक स्पष्ट फंडामेंटल प्रेशर तैयार करता है और भविष्य की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति पर सवाल खड़े करता है.
टेक्निकल चार्ट भी सपोर्ट नहीं दे रहे
स्टॉक इस समय 20, 50 और 200 दिनों की EMA के नीचे ट्रेड कर रहा है, जो शॉर्ट-टर्म कमजोरी और बिकवाली के दबाव को साफ दर्शाता है. इसके बावजूद, ₹12,175 के स्तर पर डबल बॉटम का संकेत दिखाई दे रहा है, जो बताता है कि हाल की तेज गिरावट के बाद शेयर अब स्थिर होने की कोशिश कर रहा है और निकट भविष्य में कंसोलिडेशन की संभावना बन सकती है.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.