चांदी ने तोड़ा रिकॉर्ड! MCX पर पहली बार 2 लाख रुपये प्रति किलो के पार, इस बंपर तेजी की क्या रही वजहें

मेटल मार्केट में एक बड़े बदलाव ने निवेशकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. वर्ष की शुरुआत से लगातार मजबूत रुझान दिखा रही एक धातु अचानक नई ऊंचाइयों तक पहुंच गई है. इसकी तेजी के पीछे वैश्विक माहौल, मांग में बदलाव और बाजार की अस्थिरता जैसे कई कारक जिम्मेदार बताए जा रहे हैं.

सिल्वर की कीमत Image Credit: Getty image

भारत में चांदी की कीमतों ने शुक्रवार को वो स्तर छू लिया जो पहले कभी नहीं देखा गया था. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर चांदी के फ्यूचर प्राइस 2 लाख रुपये प्रति किलो के पार निकल गए, जिससे निवेशकों और बाजार विशेषज्ञों के बीच जबरदस्त हलचल देखने को मिली. तेजी इतनी मजबूत रही कि साल की शुरुआत से अब तक चांदी करीब 129 प्रतिशत चढ़ चुकी है.

MCX पर चांदी का रिकॉर्ड स्तर

सेशन के दौरान चांदी के फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट 2,00,362 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए. दोपहर 2:55 बजे तक कीमतें थोड़ी नरम होकर 2,00,143 रुपये पर कारोबार कर रही थीं, लेकिन रैली बरकरार रही. विशेषज्ञों का कहना है कि चांदी में यह उछाल केवल घरेलू बाजार की वजह से नहीं, बल्कि वैश्विक मांग और सप्लाई के बीच बढ़ते अंतर का नतीजा है.

क्यों बढ़ रही है चांदी की चमक?

एनालिस्टों के मुताबिक इस साल चांदी की तेज बढ़त के पीछे कई बड़े कारण हैं, जिसमें शामिल है, अस्थिर वैश्विक माहौल, कमजोर अमेरिकी डॉलर और सेफ हेवन की ओर झुकाव. Axis Securities ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि चांदी पर असर डालने वाले कई कारक सोने जैसे ही हैं. इसके अलावा, कॉपर की ऊंची कीमतों ने भी चांदी को मजबूत सपोर्ट दिया है, क्योंकि दोनों की इंडस्ट्रियल डिमांड में गहरा संबंध है.

एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि चांदी की सप्लाई इतनी लचीली नहीं है. दुनियाभर में चांदी का ज्यादातर उत्पादन अन्य धातुओं- जैसे लेड, जिंक और कॉपर के साथ बाई-प्रोडक्ट के रूप में होता है. कीमतें बढ़ने के बावजूद उत्पादन तुरंत नहीं बढ़ाया जा सकता, जिससे सप्लाई कम और मांग ज्यादा बनी रहती है.

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सोना भी चढ़ा, लेकिन चांदी की रफ्तार ज्यादा तेज

MCX पर सोने के फ्यूचर भी शुक्रवार को 1.05 प्रतिशत बढ़कर 1,33,860 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गए.
विशेषज्ञों के अनुसार सोने की रैली को कम ब्याज दरों, सेफ हेवन डिमांड और वैश्विक अनिश्चितताओं ने थाम रखा है. US Federal Reserve की दर कटौती ने भी सोना रखने की लागत कम कर दी है.

कुल मिलाकर, चांदी ने इस साल सोने को भी पीछे छोड़ दिया है और बाजार में नई ऊंचाइयां बनाते हुए निवेशकों की नजरों का केंद्र बन गई है.