Census 2027: कैबिनेट ने 11,718 करोड़ रुपये की मंजूरी दी, 2026 से दो चरणों में शुरू होगी जनगणना

देश में एक बड़े स्तर पर होने वाली प्रशासनिक कवायद की तैयारी शुरू हो गई है, जिसके लिए सरकार ने कई तकनीकी और नीतिगत कदम उठाए हैं. यह प्रक्रिया लाखों लोगों को जोड़ने, आधुनिक प्रणाली लागू करने और नागरिकों को नए विकल्प देने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है.

भारत में जनगणना की जल्द शुरू होगी प्रक्रिया Image Credit: Santosh Kumar/HT via Getty Images

देश की अगली जनगणना अब पूरी तरह नए ढांचे में होगी. केंद्र सरकार ने जनगणना 2027 के लिए 11,718 करोड़ रुपये से अधिक की बड़ी राशि मंजूर करते हुए एक ऐसे डिजिटल ढांचे की शुरुआत कर दी है, जो भारत में जनगणना प्रक्रियाओं को पूरी तरह बदल देगा. यह दुनिया की सबसे बड़े पैमाने की प्रशासनिक और सांख्यिकीय कवायद मानी जाती है, इसलिए सरकार हर स्तर पर मजबूती और आधुनिक तकनीक को जोड़ रही है.

कैबिनेट ने दी मंजूरी, 2027 में होगी देश की 16वीं जनगणना

शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस राशि को मंजूरी दी गई, जिसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस को दी. उन्होंने बताया कि भारत में यह 16वीं और स्वतंत्रता के बाद आठवीं जनगणना होगी. सरकार ने इसे दो चरणों में करने की योजना बनाई है. पहला चरण हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग जनगणना का होगा, जो अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच चलेगा. दूसरा चरण, आबादी गणना का, फरवरी 2027 में किया जाएगा.

हिमालयी और बर्फ से ढके इलाकों के लिए अलग व्यवस्था की गई है. लद्दाख, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे इलाकों में मौसम की कठिनाइयों के कारण आबादी गणना सितंबर 2026 में ही कर ली जाएगी.

मोबाइल ऐप और रियल-टाइम मॉनिटरिंग के सहारे होगी डिजिटल जनगणना

जनगणना 2027 पूरी तरह डिजिटल माध्यम से की जाएगी. सरकार ने एंड्रॉयड और iOS आधारित मोबाइल ऐप तैयार किए हैं, जिनसे डेटा सीधे डिजिटल रूप में इकट्ठा किया जाएगा. साथ ही एक केंद्रीय पोर्टल सेंसेस मैनेजमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम (CMMS) बनाया गया है, जो पूरी प्रक्रिया को रियल-टाइम में ट्रैक करेगा. अधिकारियों को बेहतर प्लानिंग के लिए हाउस-लिस्टिंग ब्लॉक क्रिएटर वेब मैप ऐप भी उपलब्ध कराया जाएगा.

इस बड़े अभियान को पूरा करने के लिए लगभग 30 लाख फील्ड कर्मचारी तैनात होंगे, जिनमें एन्यूमरेटर्स, सुपरवाइजर्स, मास्टर ट्रेनर्स और जिला जनगणना अधिकारी शामिल हैं. अधिकांश एन्यूमरेटर राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त शिक्षक होंगे, जिन्हें इस अतिरिक्त काम के लिए मानदेय भी दिया जाएगा.

कास्ट डेटा भी होगा शामिल

कैबिनेट की एक अहम मंजूरी के बाद इस जनगणना में जाति आधारित डेटा भी शामिल किया जाएगा. यह डेटा आबादी गणना के दौरान इलेक्ट्रॉनिक रूप में दर्ज होगा. नागरिकों को स्वयं जनगणना में जानकारी भरने के लिए एक मोबाइल ऐप का विकल्प भी मिलेगा. सरकार ने इसे Census-as-a-Service (CaaS) नाम दिया है, जिसके तहत डेटा अधिक तेज, सटीक और मशीन-रीडेबल रूप में उपलब्ध होगा.

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डिजिटल जनगणना को डेटा सुरक्षा कानून DPDP एक्ट के अनुरूप तैयार किया गया है. साथ ही लगभग 18,600 तकनीकी कर्मियों को 550 दिनों तक काम मिलेगा, जिससे करीब 1.02 करोड़ मानव-दिवस का रोजगार उत्पन्न होगा. सरकार ने बताया कि पूरे देश में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा, ताकि हर नागरिक तक जानकारी पहुंचे और इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्रक्रिया में उसकी सहभागिता सुनिश्चित हो सके.