तीन महीने बाद बदला विदेशी निवेशकों का मिजाज, अक्टूबर में की इतने रुपये की खरीदारी
तीन महीने की लगातार बिकवाली के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार में वापसी की है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, अब तक 6,480 करोड़ रुपये की नेट खरीदारी दर्ज हुई है. भारत की मजबूत स्थिति ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है. इक्विटी के साथ-साथ डेट मार्केट में भी विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी बनी हुई है.
Foreign Portfolio Investors: लगातार तीन महीने तक भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने अक्टूबर में अपना रुख बदल लिया है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, FPIs ने इस महीने अब तक 6,480 करोड़ रुपये की नेट खरीदारी की है. यह बदलाव वैश्विक निवेशकों में भारतीय बाजारों के प्रति बढ़ते विश्वास का एक स्पष्ट संकेत माना जा रहा है. एंजल वन के वरिष्ठ फंडामेंटल विश्लेषक वकार जावेद खान ने इस बदलाव की एक और अहम वजह अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनावों में कमी को बताया है. अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सुधार से निवेशकों का भरोसा बढ़ा है.
तीन महीने की बिकवाली के बाद राहत भरी वापसी
यह नई खरीदारी पिछले तीन महीनों के दौरान हुई भारी बिकवाली के बाद एक सुकून भरी खबर है. आंकड़ों के अनुसार, विदेशी निवेशकों ने सितंबर में 23,885 करोड़ रुपये, अगस्त में 34,990 करोड़ रुपये और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये की निकासी की थी. इस तरह, पिछले तीन महीनों में उन्होंने कुल मिलाकर 76,575 करोड़ रुपये बाजार से निकाले थे.
क्या है इस बदलाव की वजह
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के प्रिंसिपल मैनेजर हिमांशु श्रीवास्तव के अनुसार, भारत की मैक्रोइकॉनॉमिक पृष्ठभूमि विकसित बाजारों की तुलना में कहीं अधिक मजबूत है. देश में स्थिर आर्थिक विकास, नियंत्रण में मुद्रास्फीति और मजबूत घरेलू मांग ने भारत को एक आकर्षक निवेश जगह बनाया है.
उन्होंने कहा कि अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती या कम से कम उन्हें स्थिर रखने की उम्मीदों ने वैश्विक लिक्विडिटी की स्थिति में सुधार का माहौल बनाया है. जैसे-जैसे निवेशकों में जोखिम लेने की प्रवृत्ति वापस लौट रही है, पैसा उभरते बाजारों की ओर रुख कर रहा है, जहां रिटर्न की संभावना अधिक है.
डेट मार्केट में भी जारी है दिलचस्पी
इक्विटी के अलावा भारतीय डेट मार्केट में भी विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी बरकरार है. अक्टूबर में अब तक (17 अक्टूबर तक) FPIs ने जनरल लिमिट के तहत लगभग 5,332 करोड़ रुपये और वॉलन्टरी रिटेन्शन रूट (VRR) के माध्यम से 214 करोड़ रुपये का निवेश किया है. यह इस बात का संकेत है कि भारत की मैक्रोइकॉनॉमिक स्टैबिलिटी और ब्याज दरों के मोर्चे पर नियंत्रण को देखते हुए विदेशी निवेशक भारतीय डेट इंस्ट्रूमेंट्स में भरोसा जता रहे हैं.
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