टैरिफ बढ़ते ही विदेशी निवेशकों ने तोड़ा भारतीय बाजार से नाता, अगस्त में अब तक निकाले 18000 करोड़

अगस्त की शुरुआत से ही भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का रुख बदला-बदला नजर आ रहा है. वैश्विक परिस्थितियों और हालिया आर्थिक फैसलों के चलते एफपीआई के निवेश पैटर्न में बड़ा बदलाव आया है. इसका असर बाजार की चाल और निवेशकों की धारणा दोनों पर पड़ा है.

विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से निकाला पैसा Image Credit: FreePik

FIIs August Outflow: भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का भरोसा अगस्त की शुरुआत से ही कमजोर दिख रहा है. बढ़ते अमेरिका-भारत व्यापार तनाव, पहली तिमाही के निराशाजनक नतीजे और रुपये की गिरावट ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) को इक्विटी से पैसा निकालने पर मजबूर कर दिया है. अगस्त के पहले आठ दिनों में ही करीब 18,000 करोड़ रुपये की निकासी हो चुकी है.

अगस्त में अब तक 17,924 करोड़ की निकासी

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, 1 से 8 अगस्त के बीच एफपीआई ने इक्विटी से 17,924 करोड़ रुपये निकाले हैं. जुलाई में भी उन्होंने 17,741 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी. इससे पहले मार्च से जून के बीच लगातार तीन महीनों में एफपीआई ने 38,673 करोड़ रुपये का निवेश किया था.

साल 2025 में अब तक 1.13 लाख करोड़ का आउटफ्लो

इस साल 2025 में अब तक एफपीआई ने भारतीय इक्विटी से कुल 1.13 लाख करोड़ रुपये निकाल लिए हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि मौजूदा हालात में विदेशी निवेशकों का रुख कमजोर और जोखिम से बचने वाला रहेगा. एंजेल वन के सीनियर फंडामेंटल एनालिस्ट वकारजावेद खान के मुताबिक, आने वाले हफ्ते में टैरिफ और व्यापार वार्ताएं बाजार की दिशा तय करने वाले अहम कारक होंगे.

अमेरिका ने 1 अगस्त से भारतीय सामान पर 25% टैरिफ लगाया और मौजूदा हफ्ते में इसे और 25% बढ़ा दिया. इस कदम से बाजार और एफपीआई में घबराहट फैल गई, जिसके चलते भारतीय इक्विटी में जोरदार बिकवाली हुई. इसके साथ ही, अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड बढ़ने से विदेशी पूंजी का रुख ट्रेजरी की ओर मुड़ गया.

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डेट मार्केट में निवेश

इक्विटी से बड़ी निकासी के बावजूद एफपीआई ने डेट मार्केट में निवेश किया है. इस अवधि में उन्होंने डेट जनरल लिमिट में 3,432 करोड़ रुपये और डेट वॉलंटरी रिटेंशन रूट में 58 करोड़ रुपये लगाए.

विश्लेषकों का कहना है कि जब तक व्यापार तनाव और रुपये की कमजोरी बरकरार है, विदेशी निवेशकों की बिकवाली का दबाव भारतीय शेयर बाजार पर बना रह सकता है.