Goldman Sachs को भारत की ग्रोथ स्टोरी पर भरोसा, कहा-दिसंबर 2026 तक निफ्टी जाएगा 29000

Goldman Sachs की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक साल में विदेशी निवेशकों (FIIs) ने भारतीय शेयरों में से 30 अरब डॉलर से ज्यादा की बिक्री की है. इससे विदेशी होल्डिंग्स और म्यूचुअल फंड अलोकेशन लगभग 20 साल के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं. अब फर्म को उम्मीद है कि कम वैल्यूएशन और अर्निंग्स रिकवरी के चलते यह ट्रेंड पलटेगा.

निफ्टी Image Credit: Canva

ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म Goldman Sachs ने भारतीय शेयर बाजार को लेकर अपना नजरिया बदल दिया है. फर्म ने भारत को “न्यूट्रल” से अपग्रेड कर “ओवरवेट” रेटिंग दी है. यह अपग्रेड करीब 13 महीने बाद आया है. अक्टूबर 2024 में फर्म ने भारत को ‘न्यूट्रल’ करार दिया था. Goldman Sachs ने अब निफ्टी 50 का लक्ष्य दिसंबर 2026 तक 29,000 अंक तय किया है, जो मौजूदा लेवल से करीब 14 फीसदी की संभावित बढ़त है.

भारत पर बढ़ा भरोसा

Goldman Sachs का मानना है कि भारतीय इक्विटी मार्केट अब रिकवरी के लिए तैयार है. इसके पीछे नीतिगत ढील, बेहतर अर्निंग्स ग्रोथ, और निवेशकों के भरोसे की वापसी जैसे कारक काम कर रहे हैं. फर्म ने कहा कि भारत की इकॉनमी को सपोर्ट करने के लिए हाल ही में RBI द्वारा किए गए कदम, GST कटौती, और धीमी फिस्कल कंसोलिडेशन से आने वाले दो वर्षों में विकास को गति मिलेगी. इसके साथ ही Goldman Sachs ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि जैसे-जैसे साल आगे बढ़ा, अर्निंग्स कट और टैरिफ चुनौतियों ने निवेशक भावना को कमजोर किया. अब हमें लगता है कि आने वाले समय में भारतीय इक्विटी मार्केट बेहतर प्रदर्शन करेगी.

क्यों हुआ Goldman Sachs का रुख बुलिश

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में Earnings Per Share (EPS) डाउनग्रेड साइकिल अब स्थिर होती नजर आ रही है. सामान्यतः यह साइकिल करीब 10 महीनों की होती है, लेकिन इस बार यह ज्यादा लंबी चली और अब पिछले तीन महीनों से स्थिरता दिखा रही है. फर्म के मुताबिक, कॉरपोरेट रिजल्ट उम्मीद से बेहतर आए हैं, जिसके चलते कुछ सेक्टरों में अर्निंग्स अपग्रेड भी हुए हैं. Goldman Sachs को उम्मीद है कि MSCI India की प्रॉफिट ग्रोथ 2025 में 10 फीसदी से बढ़कर 2026 में 14 फीसदी तक पहुंच जाएगी. यह सुधार बेहतर नाममात्र का ग्रोथ और मजबूत घरेलू मांग से संभव होगा.

किन सेक्टरों में दिखी अपसाइड की उम्मीद

ब्रोकरेज फर्म ने निवेशकों को जिन प्रमुख सेक्टरों पर ध्यान देने की सलाह दी है, वे हैं —

  • फाइनेंशियल्स (बैंकिंग और NBFC)
  • कंज्यूमर स्टेपल्स
  • डिफेंस सेक्टर
  • ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMCs)

Goldman Sachs का मानना है कि ये सेक्टर अगले साल कैपेक्स ग्रोथ, मजबूत बैलेंस शीट और घरेलू मांग से फायदा होंगे.

2025 में पिछड़ने के बाद अब सुधार की राह पर

रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में भारतीय इक्विटी बाजार ने उभरते बाजारों की तुलना में कम प्रदर्शन किया है. जहां अन्य उभरते बाजार 30 फीसदी ऊपर हैं, वहीं भारतीय बाजार डॉलर के लिहाज से सिर्फ 3 फीसदी बढ़े हैं. Goldman Sachs ने इसे पिछले दो दशकों का सबसे बड़ा अंडरपरफॉर्मेंस बताया. इसका कारण था. हाई वैल्यूएशन, साइकलिक ग्रोथ प्रेशर, और प्रॉफिट स्लोडाउन की आशंका. हालांकि, अब फर्म को लगता है कि यह चक्र बदल रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, हालिया संकेत बताते हैं कि विदेशी निवेशकों की जोखिम लेने की क्षमता और फंड फ्लो में सुधार हो रहा है, क्योंकि अर्निंग्स रिकवरी दिख रही है.

विदेशी निवेश की वापसी के संकेत

Goldman Sachs की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक साल में विदेशी निवेशकों (FIIs) ने भारतीय शेयरों में से 30 अरब डॉलर से ज्यादा की बिक्री की है. इससे विदेशी होल्डिंग्स और म्यूचुअल फंड अलोकेशन लगभग 20 साल के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं. अब फर्म को उम्मीद है कि कम वैल्यूएशन और अर्निंग्स रिकवरी के चलते यह ट्रेंड पलटेगा.

रिपोर्ट में बताया गया कि भारत का वैल्यूएशन प्रीमियम अब एशियाई बाजारों के मुकाबले 45 फीसदी तक सीमित है, जबकि पहले यह 85 फीसदी से 90 फीसदी के बीच था. इससे भारतीय शेयर अब ग्लोबल इंवेस्टर्स के लिए अपेक्षाकृत सस्ते लग रहे हैं.

वैल्यूएशन और आउटलुक

भारतीय बाजार फिलहाल 23 गुना P/E मल्टीपल पर ट्रेड कर रहा है, जो दूसरे उभरते बाजारों की तुलना में ऊंचा है. लेकिन Goldman Sachs का कहना है कि इसमें डाउनसाइड का रिस्क सीमित है, क्योंकि वैल्यूएशन को अर्निंग्स ग्रोथ और स्थिर मैक्रो आउटलुक सपोर्ट कर रहे हैं.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.