घरेलू सुस्ती के बीच भारतीय निवेशकों ने अमेरिकी फंड्स में झोंके ₹1660 करोड़, जून की तुलना में पांच गुना से अधिक उछाल
घरेलू बाजारों की सुस्ती के बीच भारतीय निवेशकों ने अमेरिकी फंड ऑफ फंड्स (FoF) में जोरदार निवेश किया है. सितंबर 2025 तिमाही में कुल 1,660 करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जो जून तिमाही के मुकाबले पांच गुना से अधिक है. Nasdaq, S&P 500 और Dow Jones में आई तेजी, रुपये की गिरावट और अमेरिकी नीतिगत सुधारों ने इस रुझान को और मजबूत किया है.
Global Market Trend: अमेरिकी शेयर बाजार में जारी तेजी और घरेलू बाजारों में सुस्त रुख के बीच भारतीय निवेशक विदेशों में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड स्कीमों की ओर रुख कर रहे हैं. हाल के आंकड़े इस रुझान की पुष्टि करते हैं. बिजनेस लाइन के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर 2025 को समाप्त तिमाही में निवेशकों ने विदेशी बाजारों में निवेश करने वाले फंड ऑफ फंड्स (FoF) में 1,660 करोड़ रुपये का निवेश किया है. यह आंकड़ा पिछली तिमाही (जून 2025) के दौरान दर्ज 305 करोड़ रुपये के मुकाबले काफी अधिक है.
मार्च तिमाही में था 87 करोड़
रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले मार्च 2025 तिमाही में निवेश मात्र 87 करोड़ रुपये और दिसंबर 2024 तिमाही में 59 करोड़ रुपये था. इस तिमाही के दौरान इन योजनाओं में 1.08 लाख नए फोलियो जुड़े हैं, जिनमें अधिकांश उच्च-नेट वर्थ (HNI) निवेशक शामिल हैं. यह वर्ग आमतौर पर इस तरह की ज्यादा-जोखिम, ज्यादा-रिटर्न वाली म्यूचुअल फंड पेशकशों में निवेश करता है. इनमें से अधिकांश विदेशी फंड योजनाएं विशेष रूप से अमेरिकी बाजारों पर केंद्रित हैं.
अमेरिकी बाजारों में तेजी प्रमुख कारण
पिछले छह महीनों में अमेरिकी बाजारों ने शानदार प्रदर्शन किया है. नैस्डैक (Nasdaq) 35 फीसदी से अधिक चढ़ा है, जबकि एसएंडपी 500 (S&P 500) और डॉव जोन्स (Dow Jones) सूचकांकों ने क्रमशः 24 फीसदी और 18 फीसदी की बढ़त दर्ज की है. इसी अवधि के दौरान भारत के सेंसेक्स और निफ्टी इंडेक्स ने मात्र 6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है. इस प्रदर्शन अंतर ने भारतीय निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है.
इस तेजी के पीछे अमेरिकी सरकार की नीतियों को एक प्रमुख कारण माना जा रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा शुरू किए गए टैरिफ वॉर और ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट’ जैसे कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स को राहत देने वाले उपायों ने बाजारों में उत्साह बनाए रखा है. हालांकि टैरिफ के कारण इन्फ्लेशन और श्रम बाजारों पर दबाव है, लेकिन बाजार इन चिंताओं से ऊपर बने हुए हैं.
रुपये में गिरावट ने बढ़ाया रिटर्न
भारतीय निवेशकों के लिए, पिछले एक साल में डॉलर के मुकाबले रुपये में आई गिरावट ने उनके रिटर्न को और आकर्षक बना दिया है. इसका मतलब है कि अमेरिकी बाजारों में हुई बढ़त के साथ-साथ, डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी से उनका निवेश रुपये के हिसाब से और अधिक वैल्यूएबल हो गया है.
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डिस्क्लेमर: मनी9लाइव किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ या डेरिवेटिव में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.