Algo Trading पर SEBI ने बढ़ाई डेडलाइन, अब 1 अक्टूबर से लागू होगा रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए फ्रेमवर्क
SEBI ने Algo Trading के नए फ्रेमवर्क की डेडलाइन को बढ़ा दिया है. अब यह फ्रेमवर्क 1 अक्टूबर, 2025 के बाद लागू किया जाएगा. इसके तहत रिटेल इन्वेस्टर्स भी रजिस्टर्ड ब्रोकर्स के जरिये अप्रूव्ड एल्गो से ट्रेड कर सकेंगे. जानें नए नियम और इसके फायदे.

भारतीय शेयर बाजार के नियामक सेबी ने रिटेल इन्वेस्टर्स की तरफ से एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग (Algo Trading) के इस्तेमाल को लेकर जारी होने वाले फ्रेमवर्क की डेडलाइन को दो महीने बढ़ा दिया है. नए फ्रेमवर्क को सेबी के पहले आदेश के मुताबिक 1 अगस्त से लागू किया जाना था. लेकिन, अब यह 1 अक्टूबर से लागू किया जाएगा.
क्या था सेबी का आदेश?
SEBI ने ट्रेडिंग में टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल के मद्देनजर रिटेल यूजर्स के लिए भी एल्गो ट्रेडिंग की इजाजत देने का फैसला किया. इसके लिए सेबी ने फरवरी 2025 में एक सर्कुलर जारी किया, ताकि एल्गो ट्रेडिंग में रिटेल इन्वेस्टर्स की सुरक्षित भागीदारी तय हो सके. इस सर्कुलर में सेबी ने रिटेल एल्गो ट्रेडिंग के लिए 1 अगस्त से नए फ्रेमवर्क को लागू करने की बात कही थी.
क्यों बढ़ाई गई डेडलाइन?
सेबी की तरफ से तय किए गए फ्रेमवर्क को लागू करने के लिए स्टॉक ब्रोकर्स और ISF प्रतिभागियों ने सेबी से अतिरिक्त समय मांगा है. सेबी ने डेडलाइन बढ़ाने की जानकारी देते हुए बताया कि मार्केट प्लेयर्स और निवेशकों को किसी तरह की दिक्कत न हो, इसके लिए अब ये फ्रेमवर्क 1 अक्टूबर 2025 से लागू किए जाएंगे.
क्या है Algo Trading का फायदा?
एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग एक ऑटोमेटेड सिस्टम है, जो तय समय और प्रोग्राम के मुताबिक ऑर्डर को एग्जीक्यूट करता है. यह रिटेल यूजर्स को फास्ट ऑर्डर एग्जीक्यूशन, बेहतर लिक्विडिटी के साथ ही ट्रेडिंग में टाइमिंग और प्रोग्रामिंग का फायदा उठाने का मौका देगा. अभी तक यह सुविधा केवल इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स को ही मिल रही है.
रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए क्या बदलेगा?
सेबी के नए फ्रेमवर्क के तहत रिटेल यूजर्स भी ट्रेडिंग के लिए Algo का इस्तेमाल कर पाएंगे. हालांकि, उन्हें सिर्फ रजिस्टर्ड ब्रोकर्स के जरिये अप्रूव्ड एल्गो के इस्तेमाल की ही इजाजत होगी. इसके साथ ही रिटेल यूजर्स के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रत्येक एल्गो के लिए ब्रोकर्स को स्टॉक एक्सचेंज से परमिशन लेनी होगी. वहीं, सभी एल्गो ट्रेड के लिए एक ऑडिट ट्रेल की व्यवस्था की जाएगी, जिसके तहत सभी एल्गो ऑर्डर को एक्सचेंज की तरफ से Unique Identifier से टैग दिया जाएगा.
ब्रोकर्स की क्या होगी जिम्मेदारी?
एल्गो ट्रेडिंग में ग्राहकों के हितों की सुरक्षा की जिम्मेदारी ब्रोकर की होगी. खासतौर पर ब्रोकर्स इन्वेस्टर ग्रिवांस के लिए पूरी तरह जिम्मेदार होंगे. इसके अलावा API मॉनिटरिंग भी करनी होगी, ताकि किसी भी अवैध गतिविधि को रोका जा सके. वहीं, कुछ शर्तें Algo Provider के लिए भी रखी गई हैं. मसलन जो भी Algo Provider API के जरिये सर्विस देगा, उसे एक्सचेंज के साथ Empanel करना होगा.
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