FPI को मिल सकती है नॉन-कैश और नॉन-एग्री कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग की मंजूरी, SEBI कर रहा विचार

भारतीय इक्विटी बाजार के नियामक SEBI की तरफ से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है. सेबी FPI को नॉन-कैश और नॉन एग्री कमोडिटी डेरिवेटिव्ज में हेजिंग के लिए ट्रेडिंग की मंजूरी देने पर विचार कर रहा है.

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SEBI जल्द ही FPI को कमोडिटी डेरिवेटिव्स उतरने की मंजूरी दे सकता है. BS की एक रिपोर्ट के मुताबिक नॉन कैश और नॉन एग्री कमोडिटी डेरिवेटिव्स में FPI को हेजिंग के लिए ट्रेडिंग की अनुमति देने पर विचार किया जा रहा है. इससे बाजार में लिक्विडिटी बढ़ेगी, हेजिंग के नए विकल्प मिलेंगे और बैंक, बीमा कंपनियां व पेंशन फंड जैसे संस्थागत निवेशकों के लिए निवेश के नए रास्ते खुलेंगे, जिससे कमोडिटी बाजार मजबूत होगा. वहीं, एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (Amfi) ने सेबी को मेटल्स को एक निवेश एसेट क्लास के रूप में स्थापित करने का सुझाव दिया है, जिससे निवेशकों के लिए नए रास्ते खुल सकते हैं.

हेजिंग के विकल्प होंगे विस्तृत

सेबी के चेयरमैन तुहिन पांडे ने कहा कि यह प्रस्ताव विचाराधीन है. इससे संस्थागत भागीदारी बढ़ेगी और लिक्विडिटी में सुधार होगा. फिलहाल हेजिंग विकल्प मुख्य रूप से कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस तक सीमित हैं, लेकिन नए नियमों के तहत सोना, चांदी जैसे कॉन्ट्रैक्ट्स में भी हेजिंग के अवसर बढ़ सकते हैं. सेबी बैंकों, बीमा कंपनियों और पेंशन फंड्स को इस सेगमेंट में शामिल करने के उपायों पर काम कर रहा है. इसके अलावा, सरकार के साथ मिलकर उन जीएसटी संबंधी अड़चनों को भी हल करने का प्रयास किया जा रहा है, जो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर कमोडिटी की डिलीवरी लेने या देने में बाधा बनती हैं.

कमोडिटी ब्रोकर्स के लिए नए नियम

दिसंबर 2025 तक कमोडिटी-स्पेसिफिक ब्रोकर्स को कॉमन रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क में लाने की योजना है. इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और नियामकीय अनुपालन मजबूत होगा. इसके अलावा सेबी ने एग्री कमोडिटी ट्रेडिंग को मजबूत करने के लिए एक समिति गठित की है, जबकि मेटल जैसी नॉन-एग्री कमोडिटी के विकास के लिए अलग वर्किंग ग्रुप पर विचार किया जा रहा है.

वैश्विक झटकों को सहने की क्षमता

पांडे का कहना है कि हमें मूल्य लेने वाले से मूल्य तय करने वाले बनने की दिशा में तेजी से बढ़ना होगा. हम ऐसा इकोसिस्टम बना रहे हैं, जो वैश्विक झटकों से सुरक्षित और घरेलू जरूरतों के लिए सक्षम हो. अमेरिका की तरफ से द्वारा एल्युमिनियम और कॉपर पर टैरिफ दोगुना करने जैसे घटनाक्रमों से भारत की निर्यात स्थिति प्रभावित हो सकती है. ऐसे में मजबूत डेरिवेटिव बाजार हेजिंग के माध्यम से सुरक्षा प्रदान कर सकता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लिथियम, कोबाल्ट, निकल और रेयर अर्थ जैसे खनिजों को सुरक्षित करने की जरूरत बताई.

पारदर्शिता से समझौता नहीं

पांडे ने कहा कि भले ही सेबी वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है, लेकिन रियल-टाइम मार्जिन कलेक्शन और निरंतर निगरानी जैसे सुरक्षा उपायों से समझौता नहीं किया जाएगा.