US FED Rate Cut: 25 बेस पॉइंट घटी ब्याज दर, मिश्रित रही अमेरिकी बाजार की प्रतिक्रिया, क्या होगा भारतीय बाजार पर असर?
अमेरिका केंद्रीय बैंक US FED ने 2025 में पहली बार ब्याज दरों में कटौती का ऐलान किया है. इस कटौती के बारे में फेड प्रमुख जेरोम पॉवेल ने पहले ही संकेत दे दिए थे. हालांकि, पॉवेल ने पहले ही यह साफ कर दिया कि रेट कट का फैसला किसी राजनीतिक दबाव में नहीं, बल्कि अमेरिकी इकोनॉमी के हालात को देखते हुए लिया गया है.

डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद पहली बार अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में कटौती का ऐलान किया है. फेडरल रिजर्व ने बुधवार को बहुप्रतीक्षित ब्याज दर में कटौती को मंजूरी दी. इसके साथ ही संकेत दिया कि है इस वर्ष के अंत से पहले दो और कटौती की जा सकती हैं. क्योंकि अमेरिकी श्रम बाजार को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.
स्टीफन मिरान 25 आधार अंक की कटौती के खिलाफ वोट देने वाले अकेले सदस्य रहे. वह इससे भी ज्यादा, कम से कम 50 आधार अंक की कटौती चाहते थे. मिरान ट्रंप के पूर्व शीर्ष आर्थिक सलाहकार रहे हैं और अब भी व्हाइट हाउस में कार्यरत हैं.
ट्रंप ने चुनाव अभियान के दौर से ब्याज दरों में भारी कमी का वादा किया. इसके बाद कई बार फेड प्रमुख से इस मुद्दे पर टकराव भी दिखा. लेकिन, ट्रंप के पिछले कार्याकाल में फेड प्रमुख नियुक्त किए गए जेरोम पॉवेल ने ट्रंप की मर्जी के मुताबिक ब्याज दरों में कटौती से इन्कार किया. बहरहाल, ट्रंप के मौजूदा कार्यकाल में पहली बार फेड ने रेट कट का ऐलान किया है.
प्रमुख दरों में क्या बदलाव हुआ
फेडरल रिजर्व ने 17 सितंबर, 2025 को अपनी मौद्रिक नीति में बदलाव करते हुए फेडरल फंड्स रेट को 1/4 प्रतिशत घटाकर 4 से 4.25 प्रतिशत की रेंज में कर दिया है. इसके साथ ही रिजर्व बैलेंस पर ब्याज दर को 4.15 प्रतिशत, स्टैंडिंग ओवरनाइट रेपो ऑपरेशन की न्यूनतम दर को 4.25 प्रतिशत, स्टैंडिंग ओवरनाइट रिवर्स रेपो ऑपरेशन की दर को 4 प्रतिशत और प्राइम क्रेडिट रेट को 4.25 प्रतिशत कर दिया गया है. ये सभी बदलाव 18 सितंबर, 2025 से लागू होंगे. नीति में यह कटौती आर्थिक गतिविधियों में मंदी, रोजगार में गिरावट और महंगाई बढ़ने जैसी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए की गई है, ताकि रोजगार को समर्थन दिया जा सके और महंगाई को नियंत्रित रखने का प्रयास किया जा सके. फेड ने संकेत दिया है कि वह आने वाले आर्थिक डाटा और जोखिमों के आधार पर आगे भी दरों में बदलाव कर सकता है.
दर का नाम | नई दर | प्रभावी तिथि |
---|---|---|
फेडरल फंड्स रेट (Target Range) | 4.00% – 4.25% | 18 सितंबर, 2025 |
रिजर्व बैलेंस पर ब्याज दर | 4.15% | 18 सितंबर, 2025 |
स्टैंडिंग ओवरनाइट रेपो ऑपरेशन की न्यूनतम दर | 4.25% | 18 सितंबर, 2025 |
स्टैंडिंग ओवरनाइट रिवर्स रेपो ऑपरेशन की दर | 4.00% | 18 सितंबर, 2025 |
प्राइम क्रेडिट रेट | 4.25% | 18 सितंबर, 2025 |
मिलीजुली रही अमेरिकी बाजार की प्रतिक्रिया
फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में 0.25% की कटौती के बाद अमेरिकी शेयर बाजार की प्रतिक्रिया मिश्रित रही. Dow Jones Industrial Average लगभग 450 अंक यानी 1% चढ़ा, जबकि S&P 500 में मामूली 0.1% की बढ़ोतरी हुई. इसके विपरीत Nasdaq Composite में 0.3% की गिरावट देखने को मिली. इसके अलावा बॉन्ड यील्ड्स में गिरावट आई, जो निवेशकों की बढ़ती जोखिम-प्रतिक्रिया को दर्शाती है.

भारतीय बाजार पर कैसा होगा असर?
फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में कटौती का भारतीय बाजार पर भी असर पड़ सकता है. दरों में कमी से अमेरिकी बाजार में पूंजी का प्रवाह बढ़ सकता है, जिससे निवेशक हाई रिटर्न की तलाश में उभरते बाजारों, जैसे भारत, की तरफ आकर्षित हो सकते हैं. इससे भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेश (FPI) बढ़ सकता है और बाजार में लिक्विडिटी बढ़ सकती है. वहीं, कम ब्याज दरों के चलते डॉलर की मजबूती घट सकती है, जिससे रुपया मजबूत हो सकता है और आयात महंगा होने की आशंका कुछ कम हो सकती है. हालांकि, अगर वैश्विक महंगाई बढ़ती है तो इसका असर भारत की महंगाई और ब्याज दरों पर भी पड़ सकता है, जिससे रिजर्व बैंक को अपनी मौद्रिक नीति में सावधानी बरतनी होगी. कुल मिलाकर, फेड की दर कटौती से भारतीय बाजार में अल्पकालिक सकारात्मक असर और वैश्विक जोखिमों के चलते सतर्कता दोनों देखने को मिल सकते हैं.
रातनीतिक रस्साकशी के बीच हुई बैठक
इस बार फेड की मीटिंग सामान्य से अलग रही, क्योंकि फेड की मीटिंग से ठीक पहले Stephen Miran को फेड का सदस्य नियुक्त किया गया. ट्रंप के पसंदीदा स्टीफन मिरान की नियुक्ति को फेड की बैठक शुरू होने से कुछ घंटे पहले ही सीनेट ने मंजूरी दी. इस तरह मिरान भी एक फुल वोटिंग मेंबर के तौर पर बैठक में शामिल हुए. इसके अलावा फेड की बैठक शुरू होने ठीक पहले एक फेडरल कोर्ट ने एक आपातकालीन फैसला सुनाया, जिसमें गवर्नर लिसा कुक को बैठक में भाग लेने और मतदान करने की अनुमति दी गई. कुक को ट्रंंप के निशाने पर हैं. ट्रंप उन्हें गवर्नर के पद से हटाना चाहते हैं. लेकिन, कुक इस मामले में ट्रंप के खिलाफ अदालत पहुंच गई हैं.
महंगाई और बेरोजगारी
फेड के सामने महंगाई और बेरोजगारी दोधारी तलवार की तरह हैं. एक तरफ जॉब मार्केट का कमजोर डाटा ब्याज दरों को घटाने के फैसले को सपोर्ट करता दिख रहा है. क्योंकि, यह अमेरिकी इकोनॉमी में स्लोडाउन का संकेत देता है. वहीं, महंगाई का डाटा बता रहा है कि ब्याज दरें घटाना महंगाई के लिए आग में घी डालने जैसा हो सकता है. क्योंकि, जॉब मार्केट में स्लोडाउन के बाद भी महंगाई में कमी नहीं आई है. बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि आर्थिक गतिविधि “मॉडरेट” यानी धीमी हुई है. इसके साथ ही इसमें कहा गया कि नौकरी में बढ़ोतरी धीमी हो गई है और महंगाई थोड़ी बढ़ी है और अब भी ऊंची बनी हुई है. कम नौकरी वृद्धि और अधिक महंगाई से फेड के दो मुख्य लक्ष्य स्थिर कीमतें और पूर्ण रोजगार टकराते नजर आ रहे हैं.
जारी रहेगा रेट कट का दौर
बयान में आगे कहा गया है कि आर्थिक स्थिति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. समिति ने बताया कि रोजगार से जुड़े जोखिम बढ़े हैं और वह कीमत और रोजगार दोनों लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाने पर ध्यान दे रही है. बैठक में लिए गए फैसले के साथ “डॉट प्लॉट” जारी हुआ, जिसमें सदस्य अपनी दर कटौती की अपेक्षाएं बताते हैं. इसमें दो और कटौती इस साल के अंत तक होने की संभावना जताई गई. कुछ सदस्य, जैसे कि मिरान, इससे अधिक कटौती की पक्षधर हैं. एक सदस्य ने कोई कटौती नहीं चाही.
2026 और 2027 की दिशा
डॉट प्लॉट में 2026 में केवल एक कटौती का संकेत दिया गया, जबकि बाजार ने तीन कटौती की उम्मीद कर रखी थी. इसके साथ ही 2027 में भी कटौती की संभावना जताई गई, ताकि दर को लंबी अवधि के तटस्थ स्तर यानी करीब 3% तक लाया जा सके. कुछ अधिकारियों का मानना है कि यह स्तर भी नीचे हो सकता है.
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