शिपबिल्डिंग ही नहीं शिप रिपेयर भी बना कमाई का जरिया, बन सकता है नया ग्रोथ इंजन, ये 3 कंपनियां मचा रही धमाल, स्टॉक्स पर रखें नजर
भारत में शिप रिपेयर और मेंटेनेंस का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. सरकार घरेलू MRO इकोसिस्टम को मजबूत करने पर जोर दे रही है ताकि जहाजो के रिपेयर पर विदेशी निर्भरता कम हो. मजगांव डॉक जीआरएसई और कोचीन शिपयार्ड जैसी कंपनियां इस सेक्टर में तेजी से विस्तार कर रही हैं. इन कंपनियों के पास करोड़ो के रिपेयर ऑर्डर बुक है और नए ड्राइ डॉक व MRO फैसिलिटी से इनकी क्षमता तेजी से बढ़ रही है.
Mazagon, GRSE, Cochin: भारत में अब शिपबिल्डिंग ही नहीं बल्कि शिप रिपेयर और मेंटेनेंस यानी MRO सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है. सरकार आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत शिप रिपेयर इंडस्ट्री को मजबूत बनाने पर फोकस कर रही है. इसका मकसद विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम करना और जहाजों का टर्नअराउंड टाइम घटाना है. भारत ने नेवी और कोस्ट गार्ड के लिए खुद जहाज बनाना शुरू कर दिया है, ऐसे में एक मजबूत MRO इकोसिस्टम की जरूरत और भी बढ़ गई है. इसी वजह से देश की तीन बड़ी शिपयार्ड कंपनियां इस सेक्टर में बेहद तेजी से ग्रोथ कर रही हैं. आने वाले सालों में यह सेक्टर भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा बन सकता है.
सरकार का फोकस इकोसिस्टम बनाने पर
सरकार Maritime India Vision 2030 और Defence Procurement Manual 2025 जैसे कई नीतिगत बदलावों के साथ MRO सेक्टर को बढ़ावा दे रही है. शिप रिपेयर से जहाजों की सर्विसिंग भारत में ही हो सकेगी और विदेशी खर्च कम होगा. इससे भारत का ट्रेड रूट सुरक्षित और समय पर आपरेशन रहेगा. इसके साथ ही स्वदेशी सप्लाई चेन मजबूत बनेगी. सरकार का मानना है कि MRO सेक्टर शिपबिल्डिंग की वैल्यू चेन में सबसे बड़ी कमी थी जो अब तेजी से भर रही है.
Mazagon Dock
Mazagon Dock शिप रिपेयर बिजनेस में सबसे आगे निकल रही कंपनियों में से है. इसके पास तीन ड्राय डॉक और एक सबमरीन ड्राय डॉक है जहां बड़े पैमाने पर रिपेयर और रिफिट का काम होता है. कंपनी ने नया Colombo Dockyard भी खरीदा है जिससे उसके रिपेयर बिजनेस की क्षमता दोगुनी हो गई है. Mazagon की शिप रिपेयर से करीब आधी कमाई आती है जो अगले साल 10 बिलियन रुपये से बढ़कर 15 बिलियन रुपये तक पहुंच सकती है. इसके अलावा कंपनी ने अमेरिकी नेवी के रिपेयर टेंडर और नेपाल की MI 17 हेलिकॉप्टर सर्विसिंग जैसे नए सेगमेंट में भी एंट्री ली है. इसका शेयर 11 दिसंबर को 1.6 फीसदी की तेजी के साथ 2,468 रुपये पर बंद हुआ. इसका मार्केट कैप 99,514 करोड़ रुपये का है. इसने 5 साल में 2500 फीसदी का रिटर्न दिया है.
GRSE
Garden Reach Shipbuilders शिप रिपेयर और रिफिटिंग में तेजी से विस्तार कर रही है. कंपनी की रिपेयर रेवन्यू FY22 में 190 मिलियन रुपये थी जो FY25 में बढ़कर 1.1 बिलियन रुपये हो गई. GRSE ने कोलकाता पोर्ट से तीन ड्राय डॉक लीज पर लिए हैं जिससे उसकी रिपेयर क्षमता कई गुना बढ़ गई है. कंपनी भारतीय नेवी, कोस्ट गार्ड और राज्य सरकारों के जहाजों की वार्षिक देखरेख और रिफिट कॉन्ट्रैक्ट्स ले रही है. इसके साथ ही GRSE ने मॉरीशस और सेशेल्स के जहाजों का रिपेयर कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी जगह बनाई है. इसका शेयर 11 दिसंबर को 2394 रुपये पर बंद हुआ. इसका मार्केट कैप 27 428 करोड़ रुपये का है. इसने 5 साल में 1122 फीसदी का रिटर्न दिया है.
Cochin Shipyard
Cochin Shipyard शिप रिपेयर मार्केट का सबसे बड़ा खिलाड़ी माना जाता है. इसका इंटरनेशनल शिप रिपेयर फैसिलिटी लगभग 82 जहाज हर साल रिपेयर करने की क्षमता रखता है. अभी 14 जहाज रिपेयर में हैं. यह सुविधा अगले 18 से 24 महीनों में 2.5 बिलियन रुपये की अतिरिक्त कमाई देगी जो बाद में 6 बिलियन रुपये प्रति वर्ष तक पहुंच सकती है. इसके अलावा नया 310 मीटर का ड्राय डॉक भी रिपेयर कार्यों के लिए इस्तेमाल होने लगा है. Cochin का रिपेयर ऑर्डर बुक करीब 15 बिलियन रुपये है. इसका शेयर 11 दिसंबर को 1.35 फीसदी की गिरावट के साथ 1597 रुपये पर बंद हुआ. इसका मार्केट कैप 780 करोड़ रुपये का है. इसने 5 साल में 4200 फीसदी का रिटर्न दिया है.
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शिप रिपेयर हब बनाने का लक्ष्य
तीनों कंपनियां अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ साझेदारी कर रही हैं. Cochin ने Drydocks World UAE और Maersk के साथ समझौते किए हैं ताकि भारत को एशिया का बड़ा रिपेयर हब बनाया जा सके. Mazagon ने Oman की Asyad Drydock कंपनी के साथ MRO साझेदारी की है. GRSE अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के जहाजों को रिपेयर कर रही है जिससे भारत का शिप रिपेयर एक्सपोर्ट तेजी से बढ़ सकता है. इन साझेदारियों से भारत समुद्री रिपेयर सेवाओं में आत्मनिर्भर बन सकता है
तेज ग्रोथ ट्रेंड दिखा रही
Mazagon, GRSE और Cochin तीनों कंपनियां अपने पांच साल के औसत P E रेश्यो से ऊपर ट्रेड कर रही हैं. फिर भी बाजार में इनके लिए रुचि बनी हुई है क्योंकि इनके पास मजबूत ऑर्डर बुक है. GRSE कुछ डिस्काउंट पर उपलब्ध है जबकि Cochin प्रीमियम पर ट्रेड कर रही है. आने वाले समय में शिप रिपेयर सेक्टर इन कंपनियों के लिए स्थिर और लंबी अवधि की ग्रोथ लेकर आएगा.