वोडाफोन आइडिया का मामला चौथी बार टला, अब दिवाली बाद होगी सुनवाई…. टूटे शेयर; जानें पूरा मामला

Voda-Idea: दिवाली के कारण कोर्ट 20 से 25 अक्टूबर तक बंद रहेगा. यह मामला पिछले महीने वोडाफोन आइडिया द्वारा दायर एक याचिका से संबंधित है, जिसमें टेलीकॉम विभाग (DoT) द्वारा AGR बकाया के लिए अतिरिक्त 9,450 करोड़ रुपये की मांग को चुनौती दी गई थी. वोडा-आइडिया के शेयरों में गिरावट आई है.

वोडा-आइडिया के शेयर में गिरावट. Image Credit: Getty image

Voda-Idea: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 13 अक्टूबर को वोडाफोन आइडिया लिमिटेड की उस याचिका पर सुनवाई फिर टाल दी, जिसमें सरकार को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाया माफ करने की मांग की गई थी. अब दिवाली के बाद अदालत खुलने पर इस मामले पर सुनवाई होगी. दिवाली के कारण कोर्ट 20 से 25 अक्टूबर तक बंद रहेगा. यह मामला पिछले महीने वोडाफोन आइडिया द्वारा दायर एक याचिका से संबंधित है, जिसमें टेलीकॉम विभाग (DoT) द्वारा AGR बकाया के लिए अतिरिक्त 9,450 करोड़ रुपये की मांग को चुनौती दी गई थी.

ब्याज और जुर्माने से छूट की मांग

भारत की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी ने अपने बकाया पर ब्याज और जुर्माने से भी छूट की मांग की है. कंपनी का तर्क है कि बकाया राशि के विवादित कंपोनेंट को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है. केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा अतिरिक्त समय मांगे जाने के बाद मामले की सुनवाई स्थगित कर दी गई. जवाब में भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने मेहता से एक विशिष्ट रुख अपनाने को कहा और मामले की सुनवाई चौथी बार स्थगित कर दी.

शेयर में गिरावट

दोपहर 12.50 बजे वोडाफोन आइडिया के शेयर एनएसई पर 2.88 फीसदी की गिरावट के साथ 8.78 रुपये पर थे.

सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में कही थी ये बात

सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में टेलीकॉम विभाग की गणना के आधार पर वोडाफोन आइडिया के AGR बकाया को 2016-17 तक के लिए रोक दिया था और कहा था कि बकाया राशि का सेल्फ एसेसमेंट या री-एसेसमेंट नहीं किया जा सकेगा. हालांकि, वोडाफोन आइडिया ने 8 सितंबर को दायर अपनी याचिका में कहा है कि टेलीकॉम विभाग ने अब 2018-19 तक के लिए अतिरिक्त भुगतान की मांग की है.

2774 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग

याचिका के अनुसार, मांगे गए नए 9,450 करोड़ रुपये के बकाया में से टेलीकॉम विभाग द्वारा आइडिया समूह और वोडाफोन आइडिया (अगस्त 2018 में विलय के बाद) से 2,774 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग की गई थी, जबकि वोडाफोन समूह (विलय से पहले) से 6,675 करोड़ रुपये की मांग की गई थी.

विभाग ने टेलीकॉम ऑपरेटर को सूचित किया कि लाइसेंस शुल्क बकाया की गणना अक्टूबर 2019 तक के ब्याज और जुर्माने पर ब्याज के साथ की गई थी और इसे 31 मार्च 2025 तक अपडेट किया गया था, जिसमें 8% की वार्षिक दर से ब्याज की गणना की गई थी.

19 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 26 सितंबर तक के लिए टाल दी थी, लेकिन सरकार ने और समय मांगा. इसके बाद मामले की सुनवाई 6 अक्टूबर और उसके बाद 13 अक्टूबर तक के लिए टाल दी गई थी. 19 सितंबर की सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चूंकि अब सरकार के पास वोडाफोन आइडिया में एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है, इसलिए उपभोक्ता हितों की रक्षा करने वाला एक संतुलित समाधान आवश्यक है.

वोडाफोन आइडिया का तर्क

हालांकि, वोडाफोन आइडिया ने 18 सितंबर को दायर अपनी संशोधित याचिका में तर्क दिया था कि सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में केवल ‘एजीआर की गणना के लिए विवादित मदों को शामिल करने का निर्देश दिया था. इसलिए, आज तक यह नहीं कहा जा सकता कि भुगतान में कोई चूक हुई थी जिसके लिए जुर्माना लगाने की आवश्यकता हो.’

बाद में कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में एक संशोधित याचिका दायर कर एजीआर बकाया पर जुर्माने और ब्याज में छूट की मांग की, यह तर्क देते हुए कि बकाया राशि के विवादित कंपोनेंट को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है.

संशोधित याचिका के अनुसार, टेलीकॉम विभाग और टेलीकॉम ऑपरेटर दोनों इस बात पर सहमत हैं कि राशियों का मिलान, सुधार और अंतिम रूप दिया जाना आवश्यक है. वोडाफोन आइडिया ने याचिका में कहा, ‘जब तक देय मूल राशि स्पष्ट और अंतिम रूप नहीं दे दी जाती, तब तक यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ता ने जुर्माना अदा करने में चूक की है.’

वोडाफोन आइडिया पर कितना बकाया

वोडाफोन आइडिया पर पहले से ही सरकार का लगभग 83,400 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है, जिसका मार्च से वार्षिक भुगतान 18,000 करोड़ रुपये है. जुर्माने और ब्याज सहित, सरकार के प्रति इसकी कुल देनदारियां लगभग 2 ट्रिलियन रुपये होने का अनुमान है.

वोडाफोन आइडिया ने पहले कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में बढ़े हुए बकाया का भुगतान करने के लिए उसका कैश फ्लो अपर्याप्त है. वोडाफोन आइडिया के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी अक्षय मूंदड़ा ने अगस्त में कहा था कि एजीआर विवाद का शीघ्र समाधान दूरसंचार ऑपरेटर के लिए बैंक फंडिंग हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है.

टेलीकॉम ऑपरेटर ने सर्वोच्च न्यायालय से वित्त वर्ष 2017 और उससे पहले के लिए दूरसंचार विभाग की अतिरिक्त मांगों को रद्द करने और उस अवधि के सभी एजीआर बकाया का व्यापक री-एसेसमेंट और समाधान करने का आदेश देने का अनुरोध किया है.

भारी देनदारी और कर्मचारियों पर खतरा

इसने चेतावनी दी है कि भारी देनदारी से उसके अस्तित्व और कंपनी के साथ ‘प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काम करने वाले हजारों कर्मचारियों की आजीविका’ को खतरा है. वोडाफोन आइडिया लगभग 198 मिलियन ग्राहकों को सेवा प्रदान करता है और 18,000 से अधिक लोगों को रोजगार देता है.

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