सोने से तेज दौड़ रही चांदी, खरीदें, बेचें या होल्ड करने को लेकर हैं कन्फ्यूज, अच्छे रिटर्न के लिए अपनाएं ये फॉर्मूला
पिछले एक साल में चांदी ने सोने से बेहतर प्रदर्शन किया है और यह लगातार नए स्तर को छू रही है. पिछले 1 साल में सिल्वर ETFs ने 77.1% और गोल्ड ETFs ने 61.5% रिटर्न दिया है. तीन साल में भी चांदी का रिटर्न 35.8% और सोने का 31.6% रहा है. बावजूद इसके, विशेषज्ञ निवेश में सतर्कता की सलाह देते हैं.

चांदी ने हाल के समय में शानदार प्रदर्शन किया है और इसके दाम 1.53 लाख रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गए हैं. हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में सिल्वर ETFs ने 77.1% की रिटर्न दिया है जबकि गोल्ड ETFs का रिटर्न का 61.5% रहा है. तीन साल के आंकड़े भी इसी रुझान को दर्शाते हैं जिसमें चांदी का रिटर्न 35.8% और सोने का 31.6% रहा है. यानि चांदी, सोने से तेज भाग रही है लेकिन इस तेजी के बाद भी एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसमें निवेश करते समय सतर्क रहना बेहद जरूरी है. आइये इसके कारण पर नजर डालते हैं.
चांदी की कीमतों में तेजी के कारण
एक्सपर्ट्स के अनुसार, चांदी की कीमतों में वृद्धि के कई कारण हैं. लेकिन स्थिर मांग और आपूर्ति में व्यवधान सबसे बड़े कारण हैं. इंडस्ट्रियल उपयोग भी चांदी की मांग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स और सोलर एनर्जी जैसे क्षेत्रों की हिस्सेदारी प्रमुख है. इसके अलावा, सेमीकंडक्टर्स, 5G तकनीक और इलेक्ट्रिक वाहनों में चांदी का इस्तेमाल बढ़ रहा है.
10, 20 साल में चांदी-सोने का प्रदर्शन
लंबी अवधि के आंकड़े बताते हैं कि सोना और चांदी दोनों बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. 10 साल के CAGR के अनुसार, चांदी ने 15.6% का रिटर्न दिया जबकि सोने ने 16.6% का रिटर्न दिया है. वहीं, 20 साल और 30 साल के आंकड़े भी इसी रुझान को दिखाते हैं.
अवधि | सिल्वर (Silver) CAGR % | गोल्ड (Gold) CAGR % |
---|---|---|
10 वर्ष | 15.6% | 16.6% |
20 वर्ष | 13.4% | 15.0% |
30 वर्ष | 10.8% | 11.5% |
कितना करें निवेश
एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि चांदी में निवेश मध्यम अवधि के लिए सकारात्मक माना जा सकता है लेकिन यह केवल एक ‘टैक्टिकल बेट’ होना चाहिए. आमतौर पर निवेशकों को पोर्टफोलियो में अपने फंड का 2-4% हिस्सा ही सिल्वर में एलोकेटतक करना चाहिए. विशेष परिस्थितियों में चांदी सोने से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है. सिल्वर ETFs के अलावा मल्टी-एसेट फंड्स में निवेश पर भी विचार किया जा सकता है.
इसका ध्यान रखें
सोने की तुलना में चांदी अधिक अस्थिर (वोलेटाइल) होती है. निवेशक केवल तभी निवेश करें जब ETF प्रीमियम सामान्य हो. इसके अलावा, उच्च स्तर पर आने पर धीरे-धीरे निवेश बढ़ाना सही रहेगा. चांदी ने हाल ही में बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन निवेशकों को अपनी जोखिम क्षमता, पोर्टफोलियो संतुलन और बाजार की अस्थिरता का ध्यान रखते हुए सतर्कता से निर्णय लेना चाहिए.
टैक्स नियम
चांदी ETFs में एक साल के बाद 12.5% लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है जबकि शॉर्ट-टर्म लाभ निवेशक के इनकम टैक्स स्लैब दर के अनुसार टैक्सेबल होते हैं
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