विदेशी निवेशकों को रिझाने के लिए सेबी करेगा कई बड़े सुधार, तुहिन कांत पांडे ने बताई पूरी प्लानिंग

सेबी विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बड़े सुधारों की तैयारी कर रही है. सेबी प्रमुख तुहिन कांत पांडे ने इसे लेकर जानकारी दी है. इसमें रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को तेज करना, ट्रेडिंग कॉस्ट कम करना, शॉर्ट सेलिंग को आसान बनाना और नेटिंग की अनुमति देना शामिल है. इन कदमों से विदेशी कैश फ्लो बढ़ने और बाजार की लिक्विडिटी मजबूत होने की उम्मीद है.

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भारतीय बाजार नियामक सेबी (SEBI) अब विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बड़े सुधारों की तैयारी कर रही है. सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने बुधवार को कहा कि सेबी निवेशकों के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को आसान और तेज करने, ट्रेडिंग लागत को कम करने और शॉर्ट सेलिंग को बढ़ावा देने जैसे कदमों पर काम कर रही है. यह कदम ऐसे समय पर उठाया जा रहा है जब विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी मार्केट से लगभग 17 बिलियन डॉलर की निकासी की है और भारतीय अर्थव्यवस्था को अमेरिकी निर्यात पर लगे हाई टैरिफ से भी दबाव झेलना पड़ रहा है.

लंबी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में होगा सुधार

सेबी प्रमुख पांडे ने बताया कि विदेशी निवेशक भारत में निवेश करने के लिए इच्छुक हैं, लेकिन उन्हें रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया बहुत लंबी लगती है. उन्होंने कहा कि “विदेशी निवेशकों से बातचीत में यह स्पष्ट हुआ कि रजिस्ट्रेशन प्रोसेस अभी भी बहुत लंबा है. हमारा लक्ष्य है कि इसे एक महीने नहीं, बल्कि कुछ दिनों में ठीक किया जाए.” सेबी अब उन नियमों की समीक्षा कर रही है जो भारत के कैश इक्विटी मार्केट को और अधिक लिक्विड बना सकें. सेबी प्रमुख ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कैश मार्केट की लिक्विडिटी बढ़ी है, लेकिन इसे और बेहतर बनाने की जरूरत है. सेबी इस पर विचार कर रही है कि मार्जिन आवश्यकताओं में किस तरह के बदलाव किए जा सकते हैं.

फ्यूचर्स और ऑप्शंस

वर्तमान में भारत के डेरिवेटिव मार्केट का आकार कैश मार्केट से करीब 300 गुना अधिक है. रिटेल निवेशकों द्वारा फ्यूचर्स और ऑप्शंस में तेजी से बढ़ते सट्टे को नियंत्रित करने के लिए सेबी कदम उठा रही है. पांडे ने कहा कि सेबी “प्रोडक्ट स्यूटेबिलिटी” के नियमों पर भी विचार कर रही है, जिससे छोटे निवेशकों के लिए जोखिम भरे डेरिवेटिव ट्रेड्स में शामिल होना कठिन हो जाएगा.

कैपिटल आवश्यकताओं में कमी

सेबी शॉर्ट सेलिंग और सिक्योरिटीज उधार एवं उधारी (Borrowing & Lending) से जुड़े नियमों की भी समीक्षा कर रही है. पांडे ने कहा कि ये मार्केट अभी भी बहुत सीमित हैं और इनकी गहराई बढ़ाने के लिए लागत को कम करना जरूरी है. इसके साथ ही सेबी नेटिंग के विकल्प पर भी विचार कर रही है, जिससे निवेशकों को एक ही या अलग-अलग स्क्रिप्स में खरीद और बिक्री ट्रेड्स को बैलेंस करने की सुविधा मिलेगी. यह कदम विदेशी निवेशकों के लिए कैपिटल आवश्यकताओं को कम कर सकता है और वह कम कैपिटल से मार्केट में निवेश के पाएंगे.

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सेबी ने फिलहाल अपने T+0 सेटलमेंट सिस्टम की योजना को टालने का फैसला किया है और कहा कि पहले T+1 सिस्टम के प्रभाव का मूल्यांकन किया जाएगा.