बाजार के टॉप और बॉटम का न करें इंतजार, जारी रखें निवेश; विजय केडिया ने निवेशकों को दी सलाह
भारतीय शेयर मार्केट में पिछले कुछ समय से निवेशकों को तगड़ा झटका लगा है. इस बीच, दिग्गज निवेशक विजय केडिया ने निवेशकों को कई सलाह दी हैं. उनका कहना है कि निवेशकों को संभावित गिरावट के लिए तैयार रहना चाहिए. गिरते बाजार पर उनका मानना है कि भारत का बुल मार्केट अब लंबे समय तक चलेगा, जबकि मंदी के दौर छोटे होंगे.

vijay kedia: पिछले कुछ समय से शेयर मार्केट में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. हालांकि, इस अस्थिरता के बीच कुछ अनुभवी निवेशक बुल रन की सवारी कर रहे हैं और मंदी में भी मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसे ही एक अनुभवी निवेशक, विजय केडिया, ने निवेशकों के साथ अपने विचार साझा किए. Money9 Financial Freedom Summit में उन्होंने शेयर मार्केट के कई पहलुओं पर चर्चा की और नए निवेशकों को महत्वपूर्ण टिप्स दिए.
बाजार के उतार-चढ़ाव पर केडिया की राय
विजय केडिया ने कहा, “जब ऊपर वाला देता है तो छप्पर फाड़कर देता है और जब लेता है तो थप्पड़ मारकर लेता है.” उन्होंने यह भी कहा कि बाजार में गिरावट कब समाप्त होगी, यह तय कर पाना असंभव है. निवेशकों को हमेशा अपने पोर्टफोलियो को संभावित गिरावट के लिए तैयार रखना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि बाजार के टॉप और बॉटम को पहचानने की कोशिश करना गलत धारणा है.
कोई भी यह दावा नहीं कर सकता कि उसने बाजार का सबसे निचला स्तर पकड़ लिया है. उनके अनुसार, “जब भी आप कोई स्टॉक खरीदते हैं, तो उसे 10-15 फीसदी गिरने की संभावना मानकर चलना चाहिए. बॉटम को पकड़ने की कोशिश करने की बजाय, एक मजबूत निवेश रणनीति अपनाना ज्यादा महत्वपूर्ण है.”
नए और अनुभवी निवेशकों के लिए सीख
केडिया के अनुसार, बाजार में दो तरह के निवेशक होते हैं—एक वे, जो वर्षों से बाजार में हैं और हर तरह की तेजी-मंदी देख चुके हैं, और दूसरे वे, जो हाल ही में बाजार में आए हैं और हर करेक्शन में खरीदारी कर लाभ कमा रहे हैं. वर्तमान परिदृश्य में, नए निवेशकों को यह सीखने को मिल रहा है कि बाजार में समय और मूल्य दोनों के आधार पर करेक्शन होते हैं. उन्होंने कहा, “मंदी से बड़ा कोई शिक्षक नहीं है. मंदी आपको धैर्य और सही निवेश रणनीति सिखाती है. बुल मार्केट में निवेशक अक्सर अति-आत्मविश्वास में गलत निर्णय लेते हैं, जबकि मंदी स्मार्ट निवेशकों का निर्माण करती है.”
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वैल्यूएशन और FII की बिकवाली
बुल मार्केट में वैल्यूएशन को लेकर काफी चर्चाएँ होती हैं, लेकिन मंदी के समय FII की बिकवाली चर्चा का मुख्य विषय बन जाती है. केडिया ने बताया कि कुछ समय पहले कंपनियों का मूल्यांकन 200-300 गुना तक पहुंच गया था, जो अस्वाभाविक था. कई कंपनियों के IPO में बिना किसी ठोस आधार के बड़ी मात्रा में निवेश हुआ, जिससे बाजार में अस्थिरता आई.
FII की बिकवाली पर उन्होंने कहा कि विदेशी निवेशक अपनी रणनीतियों के आधार पर बिकवाली कर रहे हैं, लेकिन इससे भारतीय बाजार की दीर्घकालिक क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता. भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और आने वाले वर्षों में निवेश के लिए आकर्षक बनी रहेगी.
भारतीय और चीनी बाजार की तुलना
केडिया ने यह भी बताया कि उन्होंने चीनी बाजार में म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश किया है, क्योंकि वहां की अर्थव्यवस्था बीते 16 वर्षों में काफी आगे बढ़ी, लेकिन स्टॉक मार्केट ने वैसा प्रदर्शन नहीं किया. भारतीय बाजार के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारत का बुल मार्केट अब लंबे समय तक चलेगा, जबकि मंदी के दौर छोटे होंगे.
उन्होंने 2003 के बाद के बाजार चक्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 2003 से पहले मंदी के दौर लंबे होते थे और तेजी के दौर छोटे. लेकिन अब स्थिति बदल गई है—तेजी लंबे समय तक बनी रहती है, जबकि मंदी कुछ महीनों में समाप्त हो जाती है.
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