18.4 करोड़ यूजर्स का डेटा लीक, गूगल, फेसबुक, एप्पल के पासवर्ड नहीं है सुरक्षित, इस दिग्गज ने किया खुलासा
माइक्रोसॉफ्ट टूल्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट समेत कई प्लेटफॉर्म्स यूजर्स के डेटा लीक होने की बात सामने आई है. ये चौंकाने वाला खुलासा एक साइबर एक्सपर्ट ने किया है. उनके मुताबिक 18 करोड़ से ज्यादा यूजर्स का डेटा एक असुरक्षित डेटा बेस में पाया गया है. जों चिंता का विषय है. तो कैसे लीक हुआ डेटा, क्या है थ्योरी जानें पूरी डिटेल.
Online data breach: ऑनलाइन सुविधाएं बढ़ने के साथ इससे जुड़े फ्रॉड भी बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में अगर आप सोच रहे हैं कि आपके मोबाइल और जरूरी ऐप के पासवर्ड सुरक्षित होंगे तो ऐसा नहीं हैं. हाल ही में 18.4 करोड़ यूजर्स का डेटा लीक हो गया है. उनके गूगल, फेसबुक, इंस्टाग्राम और एप्पल पासवर्ड आदि एक असुरक्षित डेटाबेस में पाए गए. इसका खुलासा साइबरसुरक्षा विशेषज्ञ जेरेमिया फाउलर ने किया. इतना ही नहीं उन्होंने वित्तीय संस्थानों, स्वास्थ्य सेवाओं और कई देशों की सरकारी वेबसाइटों से जुड़े क्रेडेंशियल्स के लीक होने को लेकर चिंता जाहिर की है.
जेरेमिया फाउलर का कहना है कि 18.4 करोड़ से ज्यादा यूनिक क्रेडेंशियल्स, जैसे ईमेल, यूजरनेम, पासवर्ड और डायरेक्ट लॉगिन यूआरएल, एक असुरक्षित डेटाबेस में पाए गए है. यह डेटा विभिन्न प्लेटफॉर्म्स, जैसे लोकप्रिय ईमेल सेवाएं, माइक्रोसॉफ्ट टूल्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट समेत और कई अन्य ऑनलाइन खातों से जुड़ा है. इतना ही नहीं कई देशों की सरकारी वेबसाइटों से जुड़े क्रेडेंशियल्स भी लीक हुए जो लोगों की सुरक्षा और गोपनीयता के लिए गंभीर खतरा हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मुताबिक फाउलर ने कहा कि उनकी ओर से डेटा ब्रीच के मामलों की पड़ताल में ये सबसे अनोखा मामला है. जोखिम के लिहाज से यह सबसे बड़ा मामला है, क्योंकि यह साइबर अपराधियों को लोगों के निजी खातों तक सीधे एक्सेस दे रहा है. उनके लिए लोगों की जानकारी हासिल करना मुश्किल नहीं है.
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कैसे साइबर अपराधी लगा रहें अकाउंट में सेंध?
फाउलर का कहना है कि लोगों के डेटा लीक होने की बड़ी वजह एक विशेष प्रकार का मैलवेयर है, जिसे “इन्फोस्टीलर” कहा जाता है. यह मैलवेयर संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा को चुराने के लिए डिज़ाइन किया गया है. माना जा रहा है कि इस मैलवेयर ने ही इतने बड़े पैमाने पर लोगों की लॉगिन डिटेल्स हासिल की है. उनका कहना है कि जब एक बार इन्फोस्टीलर डेटा तक पहुंच बनाता है, तो इसका उपयोग फिशिंग हमलों, पहचान धोखाधड़ी और अन्य हानिकारक साइबर अपराधों के लिए आसानी से किया जा सकता है.