अब एआई के जरिए होगी लोन रिकवरी, EMI मिस होने पर आयेगा वीडियो कॉल, बैंक तैनात कर रहे AI एजेंट

भारत में बैंक अब लोन वसूली के लिए एआई एजेंट्स का उपयोग कर रहे हैं. ये वर्चुअल एजेंट वीडियो कॉल करते हैं और उधारकर्ताओं को मेसेज भी भेजते हैं. यह तरीका ह्यूमन एजेंटों के इस्तेमाल की तुलना में सस्ता और अधिक कुशल है. निजी बैंक इस तकनीक को अपना रहे हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भी इस पर विचार कर रहे हैं. इसका उद्देश्य आरबीआई के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए लोन रिपेमेंट की दरों में सुधार करना है. आइये इसके बारे में जानते हैं.

लोन वसूली के लिए एआई का इस्तेमाल Image Credit: canva

भारत में कई फाइनेंशियल संस्थानों ने बकाया लोन की वसूली के लिए एआई का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जो ग्राहक लोन का भुगतान करने में चूक जाते हैं उन्हें एक एआई-जनित अवतार से वीडियो कॉल आने की संभावना है. ये AI एजेंट वकील या अन्य किसी वेश में हो सकते हैं और इनका एकमात्र उद्देश्य लोन का भुगतान करवाना होगा. यह बदलाव लोन वसूली के परिदृश्य को बदल सकता है. आइये जानते हैं कि बैंक क्यों यह तरीका अपना रहे हैं.

AI है अधिक एफिशियंट

अधिकारियों का कहना है कि इस बदलाव से लागत में बचत और एफिशियंसी दोनों बढ़ी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये एआई अवतार कॉल के दौरान ग्राहकों को भुगतान करने के लिए प्रेरित करने के लिए सख्त लहजे और कानूनी भाषा का उपयोग करते हैं. साथ ही, उन्हें विनम्र बने रहने और सीमाओं का उल्लंघन न करने के लिए प्रोग्राम किया गया है. इसके अतिरिक्त, एआई की बिना रुके काम करते रहने की क्षमता इसे मनुष्यों की तुलना में उधारकर्ताओं से जुड़ने में अधिक प्रभावी बनाती है.

एक बैंक अधिकारी ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया है कि अधिकांश बैंक इनके जरिये एआई-जनरेटेड वीडियो कॉल और टेक्स्ट संदेश उन ग्राहकों को भेजते हैं जो अपने लोन का भुगतान करने से चूकते हैं.

कॉस्ट इफेक्टिव है एआई

रिपोर्टस के अनुसार, एक मानव रिकवरी एजेंट पर आमतौर पर लगभग 30,000 रुपये का मासिक खर्च आता है और वह महीने में लगभग 250 केस हैंडल करता है. वहीं, एक एआई एजेंट, मानव रिकवरी एजेंट से 20 गुना तक ज्यादा कॉल कर सकता है और 40-60 प्रतिशत सस्ता पड़ता है.

इन बैंकों में शुरु है ये सुविधा

क्रेडजेनिक्स के सह-संस्थापक और सीईओ ऋषभ गोयल ने द इकोनॉमिक टाइम्स को बताया है कि कंपनी के उन्नत वर्चुअल कलेक्शन बॉट पहले से ही आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और येस बैंक जैसे प्रमुख निजी बैंकों के साथ-साथ एलएंडटी फाइनेंस जैसी एनबीएफसी लगे हुए हैं. ये उधारकर्ताओं को आगामी और ओवरड्यू भुगतानों के बारे में याद दिलाने में कंपनियों की सहायता कर रहे हैं.

सरकारी बैंकों ने अभी इस मॉडल को नहीं अपनाया है

सरकारी बैंकों या सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) ने अभी ऐसे उपकरणों का उपयोग शुरु नहीं किया है. फिलहाल वे इन पर विचार कर रहे हैं. एक सरकारी बैंक के अधिकारी ने द इकोनॉमिक टाइम्स को बताया है कि अधिकांश ऋणदाता अपने कलेक्शन कार्यों को आउटसोर्स करते हैं. इस क्षेत्र में प्रमुख सेवा प्रदाताओं में क्रेडजेनिक्स, ओरिसर्व और सर्वम एआई शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अलायंस के माध्यम से इसी तरह के समाधानों का मूल्यांकन भी कर रहे हैं.