वकील के नाम पर ठगे जा रहे हैं साइबर फ्रॉड के शिकार लोग, गृह मंत्रालय का अलर्ट, जानें कैसे बचें
क्या हो अगर ठगी के शिकार लोगों को ही फिर से ठग लिया जाए और वो भी किसी वकील के वेश में? साइबर अपराधियों ने एक नया पैंतरा अपनाया है. वे खुद को लॉयर बताकर भरोसा जीतते हैं, फॉर्म भरवाने के नाम पर पैसे मांगते हैं और लोग दोबारा उसी जाल में फंस जाते हैं, जिससे वो निकलने की कोशिश कर रहे थे. पढ़ें पूरी खबर.

Cyber Crime On The Name Of Lawyer: साइबर क्रिमिनल्स ने लोगों को ठगने का एक नया तरीका निकाला है. अब साइबर ठग लोगों को वकील बनकर कॉल करते हैं. उनके निशाने पर खासकर वे लोग होते हैं, जो पहले कभी न कभी ठगी का शिकार हुए होते हैं. एक बार साइबर ठगी के शिकार हुए पीड़ित को कॉल या मैसेज करके वे बताते हैं कि एक फॉर्म भरने के बाद साइबर ठगी में गंवाई गई राशि वापस पाई जा सकती है. ये तथाकथित वकील पीड़ित को ऐसे फंसाते हैं कि वे दोबारा साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं.
ठगी का क्या है मॉडस ऑपरेंडी?
क्या आपको पता है आपके आसपास कुछ ऐसे साइबर अपराधी घूम रहे हैं, जो अपने आप को वकील बता रहे हैं. गृह मंत्रालय की वेबसाइट Cyber Dost के अनुसार यह नकली वकील उन लोग को टारगेट करते हैं जो किसी स्कैम का शिकार हो चुके होते हैं. ये लोग उन्हें कॉल करते हैं और उन्हें भरोसा दिलाते हैं कि आपके केस (पहले की ठगी का केस) पर कार्यवाही चल रही है. आपको भरोसा दिलाने के लिए यह स्कैमर्स आपको कुछ प्रूफ्स भी दिखाते हैं. जैसे कि WhatsApp के चैट्स जिसमें वो स्क्रीनशॉट भेजेंगे कि देखिए हमारी स्कैमरर्स से बात हो रही है.
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आपको भरोसे में लेने के लिए ये आपको यह बताएंगे कि स्कैमर की आइडेंटिटी क्या है. अब होता यूं है कि यह तथाकथित वकील आपसे कहते हैं कि कार्यवाही करने के लिए कुछ फॉर्म्स भरने होंगे. यह फॉर्म्स भरने के लिए आपको 5000, 10,000 या 15,000 रुपये फीस डिपॉजिट करनी पड़ेगी. साथ ही आप फॉर्म में कुछ पर्सनल डाटा भी भरते हैं. फिर जैसे ही आप यह पैसे उनको देते हैं वो पैसे लेकर गायब हो जाते हैं. और आपको चूना लगा देते हैं.
स्कैमर की पहचान कैसे करें?
आप कैसे जानेंगे कि जिस फेक वकील का कॉल आपको आया है वो असली है या नकली? कभी भी आपको ऐसा कॉल आए तो इन तीन तरीकों से उस कॉल को वेरीफाई करें. अगर वह ये सारी डिटेल्स देने से मना कर दे तो समझ लें कि यह आपके लिए है एक रेड फ्लैग सतर्क हो जाएं.
- उस वकील से उसका बार काउंसिल रजिस्ट्रेशन नंबर पूछें और तुरंत इस रजिस्ट्रेशन नंबर को स्टेट बार काउंसिल के पोर्टल पर जाकर वेरीफाई करें.
- उससे पूछें कि वो किस कोर्ट से एफिलिएटेड है.
- उससे उसका वकालतनामा मांगे और चेक करें कि क्या उसकी फर्म रजिस्टर्ड है और क्या उस फर्म का एक प्रॉपर ऑफिस एड्रेस है भी या नहीं.
1930 और cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें
अगर आपके फोन पर इस तरह के मैसेज या कॉल आए तो उसे तुरंत नेशनल हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके इसकी शिकायत करें या cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें. इससे ना सिर्फ आप खुद को बल्कि अपने साथ लाखों लोगों को ठगी से बचा सकते हैं.
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