मासूमों पर साइबर ठगों की नजर, सेफ रहने के लिए अपनाएं ये आसान तरीका, सरकार ने जारी की चेतावनी
ऑनलाइन गेमिंग अब सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि साइबर ठगों का नया अड्डा बन गई है. ठग बच्चों से गेम में दोस्ती कर उनकी मासूमियत का फायदा उठाते हैं. इनाम या गिफ्ट के लालच में बच्चे पैसे या पर्सनल डिटेल्स शेयर कर लेते हैं. फर्जी लिंक से मोबाइल में मालवेयर डालकर उनके बैंक डिटेल्स तक चोरी कर लिए जाते हैं.

Online Gaming cyber fraud: ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया अब सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं रह गई है बल्कि यह साइबर अपराधियों के लिए नया शिकार का जरिया बन चुकी है. ठग अब बच्चों को गेमिंग के जरिए निशाना बना रहे हैं और उनकी मासूमियत का फायदा उठाकर वित्तीय और व्यक्तिगत नुकसान पहुंचा रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें ठग बच्चों से दोस्ती कर उनके भरोसे का दुरुपयोग करते हैं. वे कभी इनाम जीतने का लालच देते हैं, तो कभी इन-गेम गिफ्ट या पेड आइटम के नाम पर पैसे या पर्सनल जानकारी मांग लेते हैं. कई बार वे फर्जी लिंक या ऐप भेजकर बच्चों के मोबाइल में मालवेयर इंस्टॉल कर देते हैं जिससे बैंकिंग डिटेल्स और पासवर्ड चोरी हो जाते हैं. कुछ अपराधी गेम अकाउंट खरीदने या बेचने का बहाना बनाकर भी ठगी करते हैं.
ठगी से बचने के उपाय
ऐसे मामलों से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि माता-पिता और बच्चे दोनों जागरूक रहें. बच्चों को सिखाना चाहिए कि ऑनलाइन गेम में किसी अजनबी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी न दें और किसी भी लिंक या फाइल को बिना जांचे न खोलें. इन-गेम खरीदारी पर पासवर्ड या पैरेंटल कंट्रोल ज़रूर लगाएं ताकि कोई अनजाने में पेमेंट न कर सके. मजबूत पासवर्ड और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का उपयोग करें. साथ ही, बच्चों से यह भरोसे का रिश्ता बनाए रखें कि अगर कोई गेम में पैसे या निजी जानकारी मांगे तो वे तुरंत माता-पिता को बताएं. नियमित रूप से गेमिंग ऐप्स और डिवाइस को अपडेट रखना और एंटी-मालवेयर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना भी सुरक्षा के लिए जरूरी है.
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ठगी के बाद कहां करें शिकायत
अगर किसी बच्चे या परिवार के साथ ठगी हो जाती है तो घबराने के बजाय तुरंत कदम उठाना चाहिए. सबसे पहले बैंक या पेमेंट ऐप को सूचित करें ताकि ट्रांजैक्शन रोका जा सके. इसके बाद नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें या हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें. बच्चों से संबंधित मामलों में POCSO e-Box या NCPCR के माध्यम से भी शिकायत दर्ज की जा सकती है. जरूरत पड़ने पर नजदीकी साइबर थाने या पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाएं. शिकायत करते समय चैट, स्क्रीनशॉट और ट्रांजैक्शन की जानकारी जैसे सबूत सुरक्षित रखें ताकि जांच में मदद मिल सके.
डिजिटल साक्षरता ही असली सुरक्षा
माता-पिता और स्कूलों को चाहिए कि वे बच्चों को डिजिटल साक्षरता और साइबर सुरक्षा की जानकारी दें. उन्हें यह समझाया जाए कि इंटरनेट पर हर कोई दोस्त नहीं होता और गेम में मिलने वाला हर ऑफर असली नहीं होता. थोड़ी सी सावधानी और जागरूकता से हम अपने बच्चों को न सिर्फ ऑनलाइन ठगों से बचा सकते हैं बल्कि उन्हें एक सुरक्षित डिजिटल माहौल भी दे सकते हैं.
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