मेटा के इस प्रोजेक्ट से भारत बनेगा डेटा कनेक्टिविटी का ग्लोबल हब, मुंबई और विशाखापट्टनम होंगे सेंटर, जानें डिटेल
मेटा प्लेटफॉर्म्स ने भारत में अपने वॉटरवर्थ अंडरसी केबल प्रोजेक्ट के लिए मुंबई और विशाखापट्टनम को लैंडिंग साइट चुना है. यह केबल अमेरिका, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका को जोड़ेगा. कंपनी ने Sify Technologies को लैंडिंग पार्टनर बनाया है. 50,000 किलोमीटर लंबा यह नेटवर्क भारत को ग्लोबल AI और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का हब बना सकता है.

Subsea Cable: टेक दिग्गज मेटा प्लेटफॉर्म्स ने भारत में अपने मल्टी बिलियन डॉलर वॉटरवर्थ अंडरसी केबल प्रोजेक्ट के लिए मुंबई और विशाखापट्टनम को लैंडिंग साइट के रूप में चुना है. यह प्रोजेक्ट अमेरिका, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका को जोड़ने वाला दुनिया का सबसे लंबा केबल नेटवर्क होगा. 50,000 किलोमीटर में फैला यह प्रोजेक्ट भारत को ग्लोबल डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में अहम केंद्र बना सकता है. कंपनी ने भारत में इस प्रोजेक्ट के लिए Sify Technologies को लैंडिंग पार्टनर नियुक्त किया है.
10 अरब डॉलर की मेगा योजना
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मेटा का यह प्रोजेक्ट अगले 5 से 10 साल में करीब 10 अरब डॉलर का होगा. इसमें 2 अरब डॉलर केबल नेटवर्क पर, 2 अरब डॉलर नेटवर्क की क्षमता को सक्रिय करने वाले कंपोनेट्स पर और करीब 6 अरब डॉलर भारत में AI डाटा सेंटर के लिए निवेश किया जाएगा. यह W आकार का केबल रूट रेड सी कॉरिडोर को बायपास करेगा, जहां हाल ही में हमलों के कारण कई नेटवर्क को नुकसान हुआ था.
भारतीय कंपनियों से बढ़ेगी कंपटीशन
भारत में पिछले तीन सालों में अंडरसी केबल नेटवर्क की क्षमता तेजी से बढ़ी है. गूगल ने भी ब्लू रमण केबल के लिए Sify के साथ साझेदारी की है. वहीं, भारती एयरटेल ने दिसंबर 2024 में Sea Me We 6 सिस्टम शुरू किया और रिलायंस जियो भी इंडिया एशिया एक्सप्रेस और इंडिया यूरोप एक्सप्रेस केबल नेटवर्क पर काम कर रही है. इस बड़े निवेश से मेटा और गूगल की टक्कर जियो, एयरटेल और टाटा कम्युनिकेशंस जैसे घरेलू खिलाड़ियों से होगी.
भारत के लिए बड़ा मौका
2030 तक पूरा होने वाला वॉटरवर्थ प्रोजेक्ट भारत को वैश्विक AI इंफ्रास्ट्रक्चर का हब बना सकता है. बढ़ती कानूनी जरूरतों के चलते मेटा डेटा लोकलाइजेशन पर भी ध्यान दे रही है. यह प्रोजेक्ट भारत में डाटा सेंटर बूम को और तेज कर सकता है और देश को ग्लोबल डिजिटल नेटवर्क विस्तार में अहम भूमिका निभा सकता है.
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तेजी से बढ़ा रहा है मार्केट
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अनुसार, वैश्विक सबमरीन कम्युनिकेशन केबल बाजार 2023 के 27.57 अरब डॉलर से बढ़कर 2028 तक 40.58 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा. भारतीय बाजार एशिया पैसिफिक क्षेत्र में सबसे तेजी से बढ़ने वाला है और 2030 तक 78.6 मिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. Sify और Lightstorm जैसी कंपनियां सस्ते लैंडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए नए अवसरों को भुना सकती हैं.
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